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Friday 14 April 2017 04:39:06 AM
नई दिल्ली। गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने के लिए गठित मालवीय समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती को सौंप दी है। उमा भारती ने रिपोर्ट स्वीकार करते हुए इसे एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार सभी संबंधित पक्षों से इसपर व्यापक विचार-विमर्श के बाद इसे शीघ्र ही कानून का रूप देगी। उमा भारती ने अपने मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे इस रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करने के लिए तत्काल एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करें और वह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट दे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस रिपोर्ट में गंगा की अविरलता एवं निर्मलता का ध्यान रखते हुए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।
मालवीय समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने कहा कि यह एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी, जिसे समिति के सदस्यों ने बखूबी निभाया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का भरपूर सहयोग मिला। समिति ने अपनी रिपोर्ट में गंगा की निर्मलता एवं अविरलता को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं। रिपोर्ट में गंगा के संसाधनों का उपयोग करने के बारे में जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय करने के बारे में कई कड़े प्रावधानों का उल्लेख है। समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पास पूर्व में उपलब्ध कानूनी प्रारूपों का भी अध्ययन किया। केंद्रीय जल संसाधन, गंगा संरक्षण मंत्रालय ने प्रस्तावित गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में गत वर्ष जुलाई में इस समिति का गठन किया था।
मालवीय समिति के सदस्यों में थे-भारत सरकार के विधायी विभाग में पूर्व सचिव वीके भसीन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के प्रोफेसर एके गोसाई और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की के प्रोफेसर नयन शर्मा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक संदीप इस समिति के सदस्य सचिव थे। गिरिधर मालवीय लंबे समय से गंगा संरक्षण अभियान से जुड़े रहे हैं और गंगा से उनका भावनात्मक लगाव है। वे गंगा महासभा के अध्यक्ष भी हैं। महासभा की स्थापना उनके पितामह और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और जाने-माने स्वतत्रंता सेनानी महामना पंडित मदनमोहन मालवीय ने ही की थी।