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Friday 28 April 2017 02:25:43 AM
नई दिल्ली। भारत के सभी राज्यों में इस बात की भारी ईर्ष्या हो सकती है कि लंबे समय से अनुपातिक दृष्टि से जम्मू-कश्मीर को विकास का भारीभरकम पैकेज मिलता आ रहा है। इसका दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष यह है कि यह पैकेज जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां की जनता को बुनियादी सुविधाएं मिलने के बजाए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आज़ाद और उमर अब्दुल्ला की जेब में चला गया। इन नेताओं ने अगर यह पैकेज वास्तव में जम्मू-कश्मीर पर खर्च किया होता तो कश्मीर स्वर्ग से भी बढ़कर दिखाई देता। बहरहाल नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को भारीभरकम विकास पैकेज दिया है, जिसे लागू कर दिया गया है, लेकिन कश्मीर में पत्थरबाज नेता इसमें बड़ी बाधाएं पहुंचा रहे हैं, वे घाटी की बुनियादी सुविधाएं कश्मीरियों तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए घोषित प्रधानमंत्री विकास पैकेज की कड़ी समीक्षा की है। गृहमंत्री ने केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारियों को निश्चित समय सीमा के साथ पीएमडीपी के कार्यांवयन में तेजी लाने को कहा है, जिससे कि जम्मू एवं कश्मीर के लोग जल्द से जल्द भारत सरकार की विकास परियोजनाओं का लाभ उठा सकें।
पीएमडीपी की घोषणा प्रधानमंत्री ने 7 नवंबर 2015 को अपनी जम्मू-कश्मीर की यात्रा के दौरान की थी। यह पैकेज भारत सरकार के 15 मंत्रालयों से संबंधित 63 परियोजनाओं से निर्मित है और इसका परिव्यय 80,068 करोड़ रुपए का है। पीएमडीपी के 80,068 करोड़ रुपए के परिव्यय में से भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से 61,112 करोड़ रुपए की मंजूरी दी जा चुकी है। केंद्र सरकार राज्य सरकार समेत कार्यांवयन एजेंसियों को पहले ही 19,961 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। प्रधानमंत्री विकास पैकेज में जम्मू के लिए एम्स, श्रीनगर में एम्स, जिला एवं उप जिला अस्पतालों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए सहायता, श्रीनगर, आईआईटी में एक आउट कैंपस के साथ जम्मू में आईआईएम, श्रीनगर में एनआईटी के उन्नयन एवं उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में अतिरिक्त बालिका छात्रावासों जैसी परियोजनाएं हैं, जो जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा विकास प्रोत्साहन प्रदान करेंगी।
भारत सरकार ने हिमायत योजना के तहत पूर्व स्नातकों एवं स्कूल की पढ़ाई छोड़ने वालों के लिए एक लाख रोज़गार प्रदान करने, सभी 22 जिलों में खेल अवसंरचना के लिए एक विस्तृत लेआउट, पशमीना ऊन के विकास, कृषि उपज के लिए शीत भंडारण एवं बागवानी विकास को भी मंजूरी दी है। पैकेज में अमृत योजना के तहत शहरी विकास, स्वच्छ भारत मिशन एवं स्मार्ट सिटीज को भी प्रोत्साहन दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के लिए बिजली से संबंधित पांच बड़ी योजनाएं भी लागू की गई हैं, जिनमें श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन लाइन, स्मार्ट ग्रिड एवं स्मार्ट मीटर तथा बिजली वितरण प्रणालियों का संवर्द्धन शामिल है। इसके अतिरिक्त जम्मू एवं श्रीनगर के लिए सेमी रिंग रोड, पनबिजली तथा सौर बिजली परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है। ये परियोजनाएं कार्यांवयन के विभिन्न चरणों में हैं।
समीक्षा बैठक में गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, सभी संबंधित 15 मंत्रालयों के सचिवों एवं वरिष्ठ अधिकारियों, जम्मू-कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों समेत जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव ने हिस्सा लिया। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में उसे कभी इतना बड़ा विकास पैकेज नहीं मिला है, यह तब है, जब जम्मू-कश्मीर के पूर्ववर्ती शासनकर्ताओं ने कश्मीर को मिले किसी भी पैसे का कभी कोई हिसाब नहीं दिया। फारुक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आज़ाद और उमर अब्दुल्ला की सरकारों ने जम्मू-कश्मीर के लिए मिले पैकेज को उड़ा दिया और आज कश्मीर में भाजपा-पीडीपी की सरकार बनी है तो वे अलगाववादी पत्थरबाजों के साथ गुलछर्रे उड़ा रहे हैं।