Saturday 29 April 2017 06:02:01 AM
प्रो पुष्पिता अवस्थी
एम्सटर्डम (नीदरलैंड)। नीदरलैंड के महाराजा विलियम अलेक्ज़ेंडर का पचासवां जन्मदिन जनतांत्रिक हौसले की जीवंत वर्षगांठ के साथ नीदरलैंड के नागरिकों के हृदय के हर्षानंद का स्वर्णिम दिवस रहा। कोनिंग यानी महाराजा विलियम अलेक्ज़ेंडर को सिर्फ देश की व्यवस्था ही नहीं, बल्कि प्रजा भी उन्हें अपना महाराजा मानती है। यह जितनी महाराजा विलियम के लिए गौरव की बात है, उतनी ही इस देश के नागरिकों के लिए भी है कि उन्हें आज के हिंसक, पूंजीवादी और सामंतशाही समय में गुणसंपन्न, सुशील और विनम्र महाराजा मिला हुआ है। महाराजा विलियम अलेक्ज़ेंडर ने अपने पचासवें जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन के एनओएस चैनल पर अपने नितांत व्यक्तिगत सवालों के साक्षात्कार में खुलकर संपूर्ण पारदर्शिता से बातचीत की और अर्जेंटीना देश में जन्मीं अपनी पत्नी महारानी मैक्सीमा के लिए कहा कि वे सर्वश्रेष्ठ हैं और मेरे लिए सर्वस्व हैं, क्योंकि घर, परिवार, बेटियों सहित सबको खुश रखती हैं और बतौर महारानी देश के विकास में वे मुझसे गंभीर विचार-विमर्श भी करती हैं। यह इंटरव्यू सत्रह मिलियन वाले नागरिकों के देश नीदरलैंड में चार प्वॉइंट तीन मिलियन जनता ने देखा।
राष्ट्र दिवस राष्ट्र की जनता के उत्साह से ही उत्सव में तब्दील होता है। नीरदलैंड में महाराजा दिवस भी इस दृष्टि से बिल्कुल अनोखा होता है। हर व्यक्ति के अपने जन्मदिवस की तरह का उल्लास हर एक के चेहरे पर खिलखिलाता रहा। राष्ट्र के प्रतीक तिरंगे ध्वज के साथ में सिंदूरी झलकाती झंडी को घर के माथे पर लहराकर स्वयं विलियम के जन्मदिवस महोत्सव की ओर सोत्साह निकल पड़े थे। युवा पीढ़ी अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर तीन बेटियों के पिता महाराजा कोकिंग विलियम के दर्शनार्थ और उनसे अपने बच्चों का हाथ मिलवाने के लिए निकले हुए थे। वृद्ध स्त्री-पुरुष अपनी वय का अधेड़पन विस्मृत कर, सजधज कर सिंदूरी कैप, सिंदूरी पंखों की माला पहने हुए उत्सव स्थल पर ऐसे पहुंचे हुए थे, कि जैसे उनके अपने पुत्र का ही जन्मदिन हो। नीदरलैंड के हर शहर, हर गांव की सरकारी समिति ने दो माह पहले से ही घर-घर में अपने क्षेत्र के विशिष्ट आयोजनों और कार्यक्रमों की रूपरेखा, सज्जित अवस्था में भिजवा दी थी।
जन्मोत्सव की तैयारी सरकारी स्तर पर कई माह पहले ही प्रारंभ हो गई थी, उतनी ही व्यक्तिगत स्तर पर भी। पेंटर्स अपनी पेंटिंग बनाने का नमूना पेश करते हुए पेंटिंग की दुकान लगाए हुए थे, कुछ फोटोग्राफी और पुराने वाद्ययंत्रों की दुकानें भी सजी थीं। गज़ब की गहमागहमी का माहौल पूरे देश में था। मेले सरीखे खुशनुमा वातावरण का साम्राज्य नज़र आ रहा था। कहने का मतलब है कि जीवनभर खरीददार रहने वाले आम लोग उसदिन दुकानदार होने का अनुभव जीते जानते हैं, चप्पे-चप्पे में मुक्त बाजार की रौनक रही। मुक्त बाजार यह है कि एक बैंक की सूचना के अनुसार पिछले वर्ष दो सौ नब्बे मिलियन के आसपास की राशि जमा हुई थी, जिन शहरों में राजपरिवार नहीं पहुंचे हुए होते हैं, वहां भी जन्मोत्सव का खुमार अपने उन्माद पर रहता है। एक मिलियन विदेशी पर्यटक अम्स्टर्डम में ही उपस्थित थे। महाराजा जन्मदिवस पर दुनियाभर के यायावरों का भी जमावड़ा जन्मोत्सव की रौनक बढ़ा रहा था। इस देश के साथ-साथ पूर्व में डच शासित देश रहे अरुबा, करुसावा, सूरीनाम, सेंटमार्टिन जैसे कैरीबियाई देश द्वीपों में भी राजा के सम्मान में यह दिवस इसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
महाराजा के रूप में विलियम अलेक्ज़ेडर का यह तीसरा जन्मदिवस था, जिसको जनता के साथ मनाने के लिए दक्षिण नीदरलैंड का लिबर्ग शहर चुना गया था, जहां पचास वर्षीय विलियम अपने राजपरिवार के साथ यहां की सामान्य नीले-पीले रंग की लोकल ट्रेन ई186 से तिलबर्ग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। तिलबर्ग सिटी सेंटर से लेकर मुख्य सड़कों पर स्पोर्ट और संगीत के कई आधुनिक आयोजन हुए। सड़क के दोनों ओर अपार भीड़ थी। हैट, कैप लगे हुए चेहरे और उमंगते हुए हाथ और हाथों में सधे हुए कैमरे के लेंसों की भीड़ थी, जो हर चेहरे की तीसरी आंख थे। इस महीने स्कूलों में पंद्रह दिन का स्प्रिंग यानी बसंत अवकाश रहता है और 15 से 30 अप्रैल तक देश का हर परिवार अवकाश के आनंद में होता है, ऐसे में महाराजा दिवस का आयोजन और उसकी स्वतंत्रता हर परिवार के लिए अविस्मरणीय सौगात होती है। तिलबर्ग के शहर में विलियम डे नाम से फुटबॉल क्लब और इसी नाम से सिगार कंपनी तथा वस्त्रों का भी व्यवसाय है। विलियम अलेक्ज़ेंडर इस परंपरा के चौथे विलियम हैं, लेकिन इन्होंने इसे अपने नाम के साथ धारण कर नहीं चलाया। तिलबर्ग आयोजन स्थल पर पचास पियानों बजाकर जिमनास्टिक प्रस्तुति के साथ महाराजा को संगीतमय अनुरागभरी सलामी अदा की गई। समापन स्थल पर व्रांमन के प्रसिद्ध गायक खुसमेबस ने उनके सम्मान में मुग्धकारी गायन गाया गया। तिलबर्ग के मेयर व्रखमिस्टर ने जनता की ओर से राजशाही परिवार का हार्दिक स्वागत किया। महाराजा ने पूरी गर्मजोशी और आत्मीयता से उनका धन्यवाद दिया।
एक सौ पैंसठ देशों की विभिन्नता वाले बहुसंस्कृतिशाली देश नीदरलैंड के महाराजा के साथ घुलमिलकर उनका पचासवां जन्मदिवस मनाया गया। महाराजा और प्रजा के बीच प्रेम, आत्मीयता तथा सौहार्द की ऐसी मिसाल जल्दी देखने को नहीं मिलती है। जनता के उत्सवों में भाग लेने वाले राजा के जन्मदिवस को जनता ने भी उनके साथ खड़े होकर मनाया। एक से पांच डिग्री के धूपछांही मौसम में भी लोग अपने एक दो वर्ष के छोटे बच्चों, बूढ़ों तथा पालतू कुत्तों तक को लेकर पहुंचे हुए थे। सत्ताईस अप्रैल की संध्या को एक घंटे के लिए अम्स्टर्डम के म्यूज़िक थियेटर में आकर्षक संगीतमय प्रस्तुति हुई। अम्स्टर्डम के पूर्व के महारानी राजभवन में पचास वर्षीय एक सौ पचास नागरिकों के साथ महाराजा विलियम ने महारानी मैक्सीमा के साथ डिनर लिया। इस तरह अपने सम्वयस्क लोगों को हमेशा के लिए अपना मुरीद बनाकर उन्हें अपना जीवनभर के लिए मित्र बना लिया। नीदरलैंड के महाराजा का जन्म महोत्सव पूरी तरह से जनतांत्रिक और जनता के लिए आश्चर्यजनक सुखद अनुभूति से परिपूर्ण करता है।