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भारत में आज से लाल नीली बत्ती दंडनीय!

प्रत्येक भारतीय खास और प्रत्येक नागरिक वीआईपी

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी पालन हुआ

Monday 1 May 2017 02:46:10 AM

निवेदिता खांडेकर

निवेदिता खांडेकर

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नई दिल्ली। देशभर में सरकारी गाड़ियों पर लाल नीली बत्ती लगाने की परंपरा का आज से अंत हो गया है और यह वीआईपी संस्कृति के लिए बड़ा और सही झटका माना जा रहा है। ग्रीस के प्रसिद्ध दार्शनिक ने कहा था कि ‘अच्छी शुरुआत आधी सफलता होती है’। सभी ने माना है कि सरकारी गाड़ियों पर लाल नीली बत्ती लगाने की वीआईपी संस्कृति को खत्म करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय एक कदम है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी पालन किया है। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल 2017 को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री सहित विभिन्न वीआईपी गणमान्य व्यक्तियों के वाहनों पर लाल एवं नीले रंगों की बत्तियां लगाने की परंपरा को खत्म करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल की बैठक में इस निर्णय को लिए जाने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रत्येक भारतीय नागरिक ख़ास है, प्रत्येक भारतीय नागरिक वीआईपी है। आज से देश में वीआईपी संस्कृति खत्म हो गई है और इस तरह आज से एंबुलेंस सरीखे कुछ ही मामलों को छोड़कर लाल नीली बत्ती का उपयोग दंडनीय अपराध माना जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में देशभर में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत वाहनों के ऊपर लगी लाल नीली बत्ती हटाने का जबसे निर्णय लिया गया है, देशभर में इसकी चर्चा हो रही है। भारत सरकार का भी मानना है कि वाहनों पर लगी लाल नीली बत्ती से वीआईपी संस्कृति का प्रदर्शन होता है और एक लोकतांत्रिक देश में इस तरह की किसी भी संस्कृति के लिए स्थान नहीं है। वाहनों पर लगी इन लाल नीली बत्तियों की कोई प्रासंगिकता नहीं है। हालांकि एंबुलेंस, दमकल आदि आपातकालीन और राहत कार्यों, सेवा कार्यों में वाहनों पर इस तरह की बत्तियों को इस्तेमाल की इजाज़त दी गई है। इस निर्णय के मद्देनज़र, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नियमों में आवश्यक संशोधन किए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अगले ही दिन यानी 20 अप्रैल 2017 को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है, तब से यह ख़बर टेलीविज़न समाचार चैनलों और समाचार पोर्टल्स पर बड़ी प्रमुखता से चल रही है। सोशल मीडिया पर तो इसे लेकर खुशनुमा संदेशों की झड़ी लगी हुई है।
वीआईपी संस्कृति से आच्छादित वाहनों से लाल, नीली, नारंगी बत्तियों को हटाने की ख़बर चलते ही कई वीआईपी ने तुरंत प्रभाव से अपने वाहनों से बत्ती उतारते हुए फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया आदि पर अपलोड कर दीं और लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि वे इस फैसले का तुरंत पालन करते हैं और वे कोई विशेष व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज का ही एक हिस्सा हैं और समाज के अन्य लोगों की तरह ही आम नागरिक हैं। वाहनों से बत्तियों को हटाकर वीआईपी संस्कृति को खत्म करने के मंत्रिमंडल के निर्णय को देश में बदलाव लाने वाले एक संदेश के रूप में देखा जा सकता है और इस संदेश को देशभर में भेदभाव खत्म करने के रूप में भी देखा जा सकता है। भारत सरकार ने इस तरह दिसंबर 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को भी लागू किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारत सरकार इसके लिए कानून में संशोधन करे। वीआईपी संस्कृति पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि यदि सत्ता कुछ व्यक्तियों तक केंद्रित रहती है तो सत्ता को हासिल करने का लालच लोकतंत्र के मूल्यों को खत्म कर देगा, हमने पिछले चार दशकों में जो किया है, वह निश्चित रूपसे हमारी स्थापित राजनीतिक प्रणाली को झटका पहुंचाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय की इस संबंध में गठित एमिकस क्यूरी ने अदालत में कहा था कि लाल नीली बत्ती लोगों के लिए एक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई है, जो लोग इस तरह की बत्ती का उपयोग करते हैं, वे खुद को सामान्य लोगों से अलग एवं बेहतर श्रेणी में समझते हैं। न्यायालय में कहा गया था कि सरकारी वाहनों पर लाल नीली बत्ती का व्यापक उपयोग उन लोगों की मानसिकता को प्रतिबिम्बित करता है, जिन्होंने भारत में ब्रिटिश सरकार की सेवा की थी और देश के आम लोगों को गुलाम बनाकर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास करते थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने वाहनों से लाल बत्ती हटा दी। ऐसा करने वालों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्‍थान, छत्तीसगढ़, गोवा, पद्दुचेरी, असम, झारखंड और गुजरात राज्य शामिल हैं। पंजाब जैसे अन्य राज्यों ने भी बाद में उनका अनुसरण किया। दिल्ली और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पहले से ही अपने वाहनों पर लाल बत्ती का उपयोग नहीं कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने भी अपने वाहनों से लाल बत्ती हटाने संबंधी आदेश पारित कर दिए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के इस निर्णय का सब तरफ स्वागत हो रहा है।

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