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Thursday 4 May 2017 05:35:11 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानभवन के तिलक हॉल में 17वीं विधानसभा के लिए प्रथम बार निर्वाचित विधायकों के दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हुए। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा है कि उत्तर प्रदेश दुनिया के सबसे बड़े जनतांत्रिक देश भारत का प्रमुख राज्य है, विधायकों को अपने क्षेत्र की इस तरह सेवा करनी चाहिए, जिससे जनता उन्हें दोबारा विधानसभा में भेजने के लिए बाध्य हो जाए। उन्होंने कहा कि करीब 59 फीसदी विधायक पहली बार चुनकर आए हैं। उन्होंने विधायकों को सक्रिय रहकर विनम्रतापूर्वक जनता की सेवा करने की नसीहत दी। इसी प्रकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार निर्वाचित विधायकों को धैर्यपूर्वक, संसदीय नियमों का पालन करते हुए तार्किक ढंग से सदन में अपनी बात रखने की सलाह देते हुए कहा कि इस तरह उन्हें कम समय में अधिक सुपरिणाम प्राप्त होंगे, इससे जहां उन्हें अपने क्षेत्र की जनता की बेहतर सेवा करने का अवसर मिलेगा, वहीं सदन में बनाए गए कानून ज्यादा व्यावहारिक और समाज के लिए लाभदायक होंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विधानसभा एक ऐसा मंच है, जहां विधायकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है, उनके व्यक्त किए गए विचार विधानसभा के पुस्तकालय में लिपिबद्ध कर सुरक्षित रखे जाते हैं, जिनका लाभ भावी पीढ़ी को भी मिलता है। मुख्यमंत्री ने सदन को लोकतंत्र की आधारशिला बताते हुए कहा कि यह वह स्थान है, जहां विधायकों के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विधायिका ही लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदार संस्था है, क्योंकि यदि चुना हुआ जनप्रतिनिधि क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है तो जनता उसे दोबारा कतई मौका नहीं देती है। उन्होंने कहा कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद आज भी विभिन्न सेवाओं से अवकाश प्राप्त लोग विधायिका का सदस्य बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से विधायिका के लोगों के प्रति जनता की धारणा में नकारात्मक परिवर्तन भी हुआ है, इसके लिए तमाम कारण जिम्मेदार हैं, इस अवधारणा को बदलने के लिए विधायिका के लोगों को जागरूक होना होगा।
योगी आदित्यनाथ ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सदन में सामान्य शिष्टाचार और संसदीय नियमों का अनुपालन हमेशा अच्छा परिणाम देने वाला होता है। अपने निर्वाचन क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के कार्यों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायक अपने क्षेत्र में घटित तमाम घटनाओं एवं लोगों के सुख-दुःख में शामिल होने का काम करता है, आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंद को आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराता है, इसके बावजूद विश्वसनीयता का संकट बरकरार है, जिसका एक मुख्य कारण सदन में अनुपस्थिति, नियमों का पालन न करना एवं भ्रष्टाचार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सही है कि भ्रष्टाचार एक या दो लोग करते हैं, लेकिन इससे पूरी विधायिका की बदनामी होती है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस प्रशिक्षण से नए विधायकों को विभिन्न नियमों के तहत प्रश्न पूछने के तौर-तरीके एवं सदन में सामान्य व्यवहार के नियमों की जानकारी प्राप्त होगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के कार्यदिवसों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विधानसभा को 90 दिन चलाने के लिए पूरा सहयोग देगी, जिससे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता की समस्याएं सरकार तक पहुंच सकें। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार विधायकों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उस पर उचित कदम उठाने का काम करेगी। मुख्यमंत्री ने नवनिर्वाचित विधायकों से अपने आचरण में संसदीय मर्यादाओं को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि उनके इस प्रयास से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा देश की सबसे बड़ी विधानसभा है। करीब 22 करोड़ की जनसंख्या वाले इस प्रदेश की आबादी लगभग यूरोप की कुल आबादी के बराबर है, इस विशाल जनसंख्या के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना एवं उनके जीवन को सुखमय एवं बेहतर बनाने में विधानसभा का महत्वपूर्ण योगदान है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राकृतिक सम्पदाओं से भरपूर उत्तर प्रदेश को जितना विकसित होना चाहिए था, वैसा नहीं हो पाया, अब प्रदेश के सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का यह दायित्व है कि राज्य को विकसित एवं समृद्ध बनाने के लिए पूरा सहयोग प्रदान करे।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने प्रबोधन कार्यक्रम में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विधि निर्मात्री संस्था के सदस्य होने के नाते नवनिर्वाचित विधायक अपने दायित्वों को समझें एवं उसके अनुरूप ही आचरण करें। उन्होंने कहा कि पहली बार चुने गए विधायकों को नियमों की जानकारी पूरी गंभीरता एवं संवेदनशीलता के साथ प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि दो दिन के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम से पहली बार निर्वाचित हुए विधायकों को काफी लाभ होगा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने पहली बार चुने गए विधायकों को संसदीय कार्यों का अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि विधायक अपनी मेहनत एवं लगन की बदौलत अपने चरित्र का निर्माण खुद कर सकते हैं। कार्यक्रम में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष रमनलाल ईश्वरलाल वोरा, मंत्रीगण, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी और विधायक उपस्थित थे।