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Saturday 6 May 2017 01:35:38 AM
श्रीहरिकोटा/ नई दिल्ली। भारत के भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी जीएसएलवी-एफ9 ने 2230 किलोग्राम भार वाले दक्षिण एशियाई उपग्रह जीसेट-9 का नियोजित भू-समकालिक हस्तांतरण कक्षा में सफल प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियों में एक और कड़ी जोड़ दी है। इस उपग्रह को सार्क का नाम दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान के इसमें शामिल होने से इनकार करने पर यह बाकी सार्क देशों का हिस्सा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई दी है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के प्रमुख एएस किरण कुमार को भेजे बधाई संदेश में राष्ट्रपति ने कहा है कि मैं दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो की पूरी टीम को तहेदिल से बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि इस कदम से भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच मित्रता, सहयोग एवं संबंधों का और भी विस्तार होगा एवं संबंध मजबूत होंगे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस अभियान से जुड़ी वैज्ञानिकों की टीम, इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और उपग्रह मिशन में शामिल अन्य सभी लोगों की उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दीं और कामना की कि इसरो को इसी तरह से सफलताएं मिलती रहें। दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 के सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो को बधाई देते हुए कहा कि यह दिन दक्षिण एशिया के लिए ऐतिहासिक और बेमिसाल दिन है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि दो साल पहले भारत ने दक्षिण एशिया की जनता की प्रगति और समृद्धि के लिए उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की पहुंच उन्हें सुलभ कराने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि आशा है कि यह प्रक्षेपण इस वादे को पूरा करने की दिशा में अहम कदम है। सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पड़ोसी राष्ट्रों ने भी भारत का आभार जताया है। दक्षिण एशिया के देशों को भारत की ओर से सैटेलाइट का तोहफा देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास का ऐलान कर यह जाहिर किया है कि वे पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों को अंतरिक्ष जैसी ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े दक्षिण एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर अपने देश की जनता की भलाई के लिए सबका साथ सबका विकास की नीति को अपनाना चाहते हैं। सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को धन्यवाद देते हुए शीर्ष नेताओं ने कहा कि यह सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच की वजह से साकार हो पाया है। सैटेलाइट के सपने को जमीन पर उतारने में मदद के लिए सभी देशों को धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, दक्षिण एशिया के नागरिकों की आर्थिक संपन्नता के लिए एक मजबूत साझीदार और सहयोगी की तरह काम करता रहेगा। दक्षिण एशिया सेटलाइट मिशन में पाकिस्तान शामिल नहीं है, जबकि सार्क के बाकी छह देशों को इसका फायदा होगा। इसको बनाने में भारत को कुल तीन साल लगे और कुल 235 करोड़ रुपए खर्च हुए। भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका जीसैट-9 का लाभ ले सकेंगे।
यह जीएसएलवी का 11वां प्रक्षेपण था। यह प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर के दूसरे लॉच पैड से किया गया। यह स्वदेशी रूपसे विकसित किए गए क्रायोजेनिक अपर स्टेज को वह्न करने की दिशा में जीएसएलवी द्वारा प्राप्त की गई लगातार चौथी सफलता है। इस अंडाकार जीटीओ, दक्षिण एशियाई उपग्रह ने अब पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। यह एक संचार उपग्रह है, जो नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान को दूरसंचार की सुविधाएं मुहैया कराएगा। इसे सार्क सैटेलाइट का नाम दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान ने भारत के इस तोहफे का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था। सार्क देशों में पाकिस्तान को छोड़कर बाकी सभी देशों को इस उपग्रह का फायदा मिलेगा। पाकिस्तान को इस उपग्रह में भी ऐसा नज़र आता है, मानों भारत को इससे कोई और लाभ होगा। पाकिस्तान की यह नीति रही है कि वह हर जगह भारत के विरोध में ही खड़ा हो। इस उपग्रह का हिस्सा न बनना पाकिस्तान की जनता के लिए दुर्भाग्य ही कहा जाएगा।