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Saturday 6 May 2017 06:48:38 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय वस्त्रमंत्री स्मृति ज़ुबिन इरानी ने कहा है कि भौगोलिक संकेतक टैग से न केवल बुनकरों एवं कारीगरों को, बल्कि उपभोक्ताओं को भी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग सीधे बुनकर, कारीगर से उचित मूल्य पर उचित उत्पाद की प्राप्ति का आश्वासन है। उन्होंने इस बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने के महत्व पर प्रकाश डाला। स्मृति ज़ुबिन इरानी जीआई एवं इसके उपरांत पहल के लिए अनूठे वस्त्रों एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देने पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला का आयोजन वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में किया गया था।
स्मृति ज़ुबिन इरानी ने जीआई पंजीकरण की प्राप्ति के बाद इससे जुड़ी अनेक चुनौतियों के सामने आने का उल्लेख करते हुए इस बात पर विशेष जोर दिया कि समस्त हितधारकों के बीच जीआई की अहमियत की व्यापक सराहना किए जाने की जरूरत है, ताकि वैधानिक प्रावधानों पर बेहतर ढंग से अमल हो सके। स्मृति ज़ुबिन इरानी ने घोषणा की है कि बुनकरों और कारीगरों के लिए सरकार के संचालित प्रत्येक सेवा केंद्र में जल्द ही एक जीआई हेल्पडेस्क स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे केंद्र एवं क्षेत्रीय कार्यालयों के बीच सूचनाओं का समुचित आदान-प्रदान हो पाएगा और इससे बुनकरों एवं कारीगरों को भौगोलिक संकेतकों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अधिकतम शासन सुनिश्चित करने के तहत ऐसा किया जा रहा है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सरकारी विकास दर्शन के अनुरूप है।
वस्त्रमंत्री ने हस्तशिल्प कारीगरों के लिए एक हेल्पलाइन भी लांच की, जिसका हेल्पलाइन नंबर 1800-2084-800 है। उन्होंने कहा कि हथकरघा बुनकरों के लिए शुरू की गई बुनकर मित्र हेल्पलाइन के जरिए अब तक 6707 बुनकरों की समस्याओं का समाधान हो चुका है। उन्होंने कहा कि हथकरघा गणना शुरू हो चुकी है और बुनकरों को अगले राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर पहचान पत्र दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 75 फीसदी शुल्क सब्सिडी बीपीएल परिवारों के बुनकरों एवं कारीगरों के बच्चों को देने का निर्णय लिया है, जिससे कि वे एनआईओएस के तहत स्कूली शिक्षा और इग्नू से विश्वविद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें।
स्मृति ज़ुबिन इरानी ने वस्त्र मंत्रालय की ओर से भौगोलिक संकेतकों के तहत कवर किए गए भारतीय हस्तशिल्प एवं हथकरघों का एक संग्रह भी जारी किया, जो एनसीडीपीडी द्वारा संकलित किया गया है। इस संग्रह में अप्रैल 2017 तक जीआई के तहत कवर किए गए समस्त 149 भारतीय हस्तशिल्प एवं हथकरघों की सूची एवं विवरण शामिल हैं। संग्रह में जीआई टैग वाले हस्तशिल्प एवं हथकरघा उत्पादों के पुरस्कार विजेताओं की सूची भी शामिल है, यह अनूठा एवं अपनी तरह का पहला संग्रह है।स्मृति इरानी ने वस्त्र समिति की वे दो रिपोर्ट भी जारी कीं, जो आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना औरकर्नाटक के हाथ से बुने हुए परंपरागत उत्पादों पर केंद्रित हैं।
स्मृति इरानी ने उन तीन पंजीकृत मालिकों को जीआई प्रमाण-पत्र सौंपे, जो जामनगरी बांधणी, जामनगर, गुजरात, कुथम्पुल्ली धोतियों एवं सेट मुंडू, केरल, करवथ कटी साड़ियों और फैब्रिक, महाराष्ट्र के उत्पादक हैं। वस्त्र राज्यमंत्री अजय टम्टा ने कहा कि भौगोलिक संकेतकों को और बड़े पैमाने पर अपनाना हस्तशिल्प एवं हथकरघा क्षेत्रों के लिए काफी लाभप्रद साबित होगा, इससे विशेषकर इनसे जुड़ी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में मदद मिलेगी। वस्त्र सचिव रश्मि वर्मा, क्राफ्ट रिवाइवल ट्रस्ट की अध्यक्ष रितु सेठी, गणमान्य व्यक्ति और विभिन्न राज्यों एवं देश के विभिन्न क्षेत्रों के हस्तशिल्प कारीगर भी कार्यशाला में उपस्थित थे।