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Monday 8 May 2017 07:16:41 AM
नई दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित देश के दस राज्यों में वामपंथी उग्रवाद के विभिन्न पहलुओं को एक साथ बैठकर समझने, वामपंथी उग्रवाद का पूरी सक्षमता से मुकाबला करने, इसे नेस्तनाबूद करने हेतु तथा सर्वाधिक प्रभावित 35 जिलों में एकीकृत रणनीति से सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए रणनीतिपूर्वक एकजुट होकर काम करने की जरूरत है, इसी उद्देश्य से यह बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बुरकापाल में 24 अप्रैल 2017 की घटना में सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत से पूरा देश उद्वेलित है, ऐसे वातावरण में हमारे सामने अपनी एकाग्रता बनाए रखकर लक्ष्य की ओर नियोजित मार्ग में तेजी से आगे बढ़ने की चुनौती है। गृहमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के सीआरपीएफ के कैम्प के पास हमले से मैं चिंतित तो हूं, लेकिन विचलित नहीं हूं। उन्होंने कहा कि हमें अपने जवानों पर पूरा भरोसा है और हमसब मिलकर नई रणनीति से और पूरी क्षमता से वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करेंगे एवं सफलता हासिल करेंगे।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इसलिए यह बैठक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमें समग्र रूपसे चिंतन करना है कि अब हमारी सोच, हमारी रणनीति, हमारी तैयारी, हमारे संसाधनों का उपयोग किस प्रकार हो। उन्होंने कहा कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, मगर वामपंथी उग्रवाद लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करना चाहता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र विरोधी होने के साथ-साथ वामपंथी उग्रवाद का विकास विरोधी चेहरा हम सबके सामने है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस नए भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं, उसका आधार ही देश में विकास और लोकतंत्र की मजबूती है। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य हिंसा और हत्या को बढ़ावा देने वाले वामपंथी उग्रवादियों के प्रभाव से मुक्त हो इसके लिए हम सबको इस दिशा में सोचने और कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मेरा यह विश्वास है कि बंदूक के बल पर विकास और लोकतंत्र को झुकाने और दबाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभाकक्ष में 10 राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के मुखिया उपस्थित हैं, जो न केवल नीति निर्धारक हैं, बल्कि उसका क्रियांवयन करने और कराने वाले भी हैं। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला सुरक्षा और विकास के मोर्चें पर एक संयुक्त लड़ाई है, जिसे निर्णायक रूपसे लड़ना और जीतना है, इसके लिए जवानों से उपयुक्त और सक्षम और कौन हो सकता है? जवानों की मौजूदगी वामपंथी उग्रवादियों के बीच दहशत तथा स्थानीय जनता एवं आदिवासियों के बीच आश्वस्ति का भाव पैदा करने वाला होना चाहिए।
वामपंथ उग्रवाद राज्यों की समीक्षा बैठक में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडीशा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। बैठक में स्थिति की समग्र समीक्षा की गई, जिसमें सुरक्षा और विकास के मुद्दे, विशेषकर बुनियादी सुविधाओं की स्थिति की समीक्षा शामिल थी। बैठक दो सत्रों में हुई, जिनमें प्रचालनगत मुद्दे जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रचालन में राज्यों की भूमिका, इंडिया रिज़र्व और स्पेशल इंडिया रिज़र्व बटालियनों आदि का सृजन और तैनाती, क्षमता निर्माण और गुप्तचर विभाग से संबंधित मुद्दे, राज्य पुलिस बलों में नियुक्तियां, राज्य खुफिया यूनिटों की क्षमता बढ़ाना आदि पर विचार-विमर्श हुआ। विगत 20 वर्ष में देश के 12 हजार लोगों की जानें माओवादी उग्रवादियों की हिंसक गतिविधियों में गई हैं, इन 12 हजार लोगों में 27 सौ सुरक्षाबलों के जवान हैं तो शेष 9 हजार 300 निर्दोष, निरीह और मासूम जनता है। विकास विरोधी वामपंथी उग्रवादियों का निशाना सुरक्षा बलों के जवानों के अलावा सार्वजनिक संपत्ति जैसे सड़क, पुल-पुलिया, रेलमार्ग, बिजली तथा टेलीफोन के टॉवर, अस्पताल, स्कूल, आंगनवाड़ी तथा पंचायत के भवन आदि स्थान बने हैं, जिन्हें शासन आम जनता की सुविधा के लिए ही बनाता है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के विध्वंस से यह जाहिर है कि वे दूरस्थ तथा दुर्गम अंचलों में विकास के साधन तथा सुविधाएं नहीं पहुंचने देना चाहते, क्योंकि ये सुविधाएं स्थानीय जनता की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का रास्ता प्रशस्त करती हैं और स्थानीय जनता को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ती हैं, जबकि वामपंथी उग्रवाद नासूर, गरीबी या पिछड़ेपन के नाम पर पनपता है, उग्रवादियों की तो यही रणनीति है कि जनता हमेशा बिना बिजली, बिना सड़क, बिना शिक्षा के गरीबी और अज्ञान में रहे, ताकि इनकी और इनके ठेकेदारों की दुकानें चलती रहें। उन्होंने कहा कि देश में वामपंथी उग्रवाद की समस्या का निदान किसी चांदी की गोली से संभव नहीं है, इसका कोई शॉर्टकट भी नहीं है, इसलिए अलग-अलग स्तरों पर लघु अवधि, मध्यम अवधि और लंबी अवधि नीतियां बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वामपंथ उग्रवाद का समाधान तो निकालना ही होगा और इसी समाधान शब्द में ही रणनीति समाहित है। उन्होंने समाधान शब्द को परिभाषित किया यानी एस-स्मार्ट लीडरशिप, ए-आक्रामक रणनीति, एम-प्रेरणा और प्रशिक्षण और ए-क्रिया योग्य इंटेलिजेंस। राजनाथ सिंह ने कहा कि नेतृत्व या लीडरशिप ही किसी नतीजे को तय करती है, लीडर वह होता है, जो असंभव को संभव, असफलता को सफलता और हार को जीत में तब्दील कर दे।
गृहमंत्री ने कहा कि स्मार्ट लीडरशिप के प्रमुख गुण हैं-आत्मबल से भरपूर लीडरशिप के पास ठोस विजन होना चाहिए कि कैसे वह भविष्य की चुनौतियों को देखेगा, उसके लिए अपनी टीम को तैयार करेगा और अपनी टीम को अपना लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिशन मोड पर ऊर्जावान बनाएगा, टीम को सुरक्षित, अनुशासित और विजयी बनाना ही उसके लिए सर्वोपरि होना चाहिए। गृहमंत्री ने कहा कि भारत में भी कई यशस्वी पुलिस अधिकारियों के किस्से आमजन के मानस पटल पर अंकित हैं कि वे किस तरह अपनी टीम को ऊर्जा से लबरेज रखते थे और रखते हैं। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के मोर्चे पर हमें ऐसी लीडरशिप चाहिए, जो विपरीत परिस्थतियों के बावजूद जवानों को उत्साह से भरपूर रखे और उन्हें सिर्फ जीतना सिखाए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बल हों या जिला पुलिस सभी को संयुक्त रणनीति और योजना के तहत काम करना होगा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑफिसर्स को सामने से लीड करना होगा, इस मोर्चे पर कामयाबी केवल दिल्ली, रांची या रायपुर में बैठकर ही हासिल नहीं की जा सकती। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार के पास वामपंथी उग्रवादियों से बेहतर संसाधन हैं, प्रशिक्षण है, प्रौद्योगिकी है, लेकिन वामपंथी उग्रवादियों की रणनीति को बेधने के लिए और भी ज्यादा बेहतर समंवित प्रयासों की आवश्यकता है।
गृहमंत्री ने कहा कि इस मोर्चे पर कामयाबी सिर्फ भावनाओं से ही नहीं मिल सकती, सफलता के लिए आवश्यक है सही नज़रिया, सही रणनीति, संसाधनों का कुशल उपयोग, दुश्मन की शक्ति और कमजोरियों का ज्ञान, अपने सुरक्षाबलों का प्रशिक्षण, उनकी सुविधाओं और साधनों की व्यवस्था। सुरक्षा बल जिन शिविरों में रहते हैं, उन्हें सुविधाजनक बनाना होगा, जहां बिजली, पानी, कनेक्टिविटी के साथ ही ऐसी सभी सुविधाएं हों, जहां वे तनाव रहित रह सकें और आवश्यकतानुसार घर-परिवार से सम्पर्क साध सकें। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को पदस्थापना के स्थान की जानकारी के साथ-साथ वहां की भाषा, बोली व परंपराओं और संस्कृति की जानकारी भी होनी चाहिए, ताकि वे स्थानीय परिस्थितियों में ढल सकें और स्थानीय लोगों का विश्वास अर्जित कर सकें और सुरक्षा बलों में एसओपी के पालन की आदत डलवानी चाहिए, ताकि सुरक्षा को लेकर वे स्वयं जागरूक रहें। राजनाथ सिंह ने कहा कि विभिन्न राज्यों में वामपंथी उग्रवाद की परिस्थिति अलग-अलग है, उनसे निपटने के लिए एक साथ अनेक मोर्चों पर लड़ने की जरूरत है और हर मोर्चें के लिए विशिष्ट एक्शन प्लान बनाना होगा, ताकि व्यवस्थित तरीके से हर मोर्चे पर सफलता प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि किसी भी लड़ाई या काम के लिए आर्थिक संसाधन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, क्योंकि जब धनराशि होगी, तभी तो रहने, खाने-पीने, गोला-बारूद, हथियार खरीदने का इंतजाम संभव हो पाएगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अमेरिका ने 9/11 की घटना को चुनौती के रूप में लिया, ताकि वहां वैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके, इसके लिए जो 9/11 कमीशन बनाया गया था, उसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि 9/11 की घटना सिर्फ खुफिया की विफलता नहीं, बल्कि कल्पना की विफलता थी। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद को पूर्ण रूपसे परास्त करने की दिशा में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं, दुर्गम इलाकों में हमारे जवान प्राणों की बाजी लगाकर, क्षेत्र के विकास और सुरक्षा के लिए निरंतर कार्यरत हैं, देश की सुरक्षा के इस यज्ञ में कई जवानों ने अपनी शहादत दी है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब यह नासमझ हिंसा पूर्णत: समाप्त होगी और पुन: शांति और सतत विकास का वातावरण बनेगा तथा लोग तेजी से विकास की मुख्यधारा के साथ आगे बढ़ेंगे। समीक्षा बैठक में राजमार्ग मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय के प्रभारी मंत्री, केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय सशस्त्र बलों के महानिदेशक, जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक भी शामिल हुए।