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Wednesday 10 May 2017 02:55:29 AM
नई दिल्ली। भारत, नेपाल, भूटान और विश्व के अनेक देशों में शांति और ज्ञान के प्रतीक भगवान बुद्ध की बुद्ध पूर्णिमा पर वृहद आयोजन हो रहे हैं। जैसाकि आप जानते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है, जो दुनियाभर में बुद्ध जयंती के रूप में वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण समारोह भी मनाया जाता है। भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी में महाराजा शुद्धोधन के यहां सिद्धार्थ के रूप में हुआ था। लुंबिनी कभी भारत का हिस्सा थी, जो आज का नेपाल में है। पूर्णिमा के दिन ही अस्सी वर्ष की आयु में उन्होंने भारत में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के विश्वविख्यात स्थान कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था। बुद्ध पूर्णिमा पर्व भारत, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, म्यांमार, वियतनाम, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, चीन, थाइलैंड तथा विश्व के कई देशों में मनाया जाता है। कहा जाता है कि अल्पायु में ही स्वतः गृहत्याग करने के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्ष तक वनों में भ्रमण करते रहे। उन्होंने कठोर तप किए और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बिहार में बोधगया में एक विशाल वृक्ष के नीचे उन्हें पूर्णिमा को बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई, तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में और वह वृक्ष बोधिवृक्ष के रूप में विश्वविख्यात है। हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों का आज यह पवित्र तीर्थ स्थान है।
बुद्ध पूर्णिमा पर बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में भी महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है। इस तीर्थ के आस-पास के क्षेत्र में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा है और वे यहां के बौद्ध विहारों में बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने आते हैं। कुशीनगर का महत्व भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के कारण है। इस मंदिर का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है। यहां भगवान बुद्ध की लेटी हुई भू-स्पर्श मुद्रा में 6.1 मीटर लंबी मूर्ति है, जो लाल बलुई मिट्टी से बनी है। यह विहार उसी स्थान पर है, जहां से यह मूर्ति निकली थी। बौद्ध विहार के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है, जहां पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था। भगवान बुद्ध की मूर्ति अजंता में बनी उनकी महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है। श्रीलंका और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में यह दिन 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाया जाता है, भारत में यह 'वैशाख' के नाम से जाना जाता है, जो मई माह में पड़ता है। इस दिन बौद्ध अनुयायी अपने घरों में दीपक जलाते हैं और फूलों से घर को सजाते हैं। विश्वभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया जाते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है।
बौद्ध धर्मावलंबी बोधिवृक्ष की भी पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की शाखाओं को हार और रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। बोधिवृक्ष के आसपास दीपक जलाकर इसकी जड़ों में दूध और सुगंधित पानी डाला जाता है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। बौद्ध धर्मावलंबी इस दिन खासतौर से पिंजरों से पक्षियों को मुक्त करते हैं और ग़रीबों को भोजन और वस्त्रदान करते हैं। बुद्ध संग्रहालय दिल्ली में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को प्रदर्शित किया जाता है, बौद्ध धर्मावलंबी वहां उनके समक्ष शांति, सुख और समृद्धिपूर्ण ज्ञान के लिए प्रार्थना करते हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के उल्लासपूर्ण अवसर पर देश और विदेश के नागरिकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भगवान बुद्ध उदार, आदर्शवाद और मानवता की चिंता करने वाले देदीप्यमान प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के करूणा, अहिंसा और समानता के संदेश आध्यात्मिक मुक्ति की दिशा में मानवता के मार्ग के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में काम कर रहे हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भगवान बुद्ध की समानता, प्रेम, दया और सहिष्णुता की गहन शिक्षाओं की वर्तमान समय में भी प्रासंगिकता बढ़ रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध का संदेश हमें सच्चाई और करूणा के मार्ग पर चलने और देश की प्रगति शांति और समृद्धि के लिए एकजुट होकर काम करने की प्रेरणा देता है। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने भी बुद्ध पूर्णिमा पर जनता को बधाई दी है। उन्होंने बधाई संदेश में कहा कि शांति, सहिष्णुता और सौहार्द का शाश्वत संदेश भगवान बुद्ध ने दिया है, जो मानव पीड़ा तथा विपदा को दूर करने के लिए हमारा मार्ग निर्देशन कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं भगवान बुद्ध के अवतरण के संदर्भ में ‘बुद्ध पूर्णिमा’ पर नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि शांति, सहिष्णुता और सौहार्द का शाश्वत संदेश भगवान बुद्ध ने दिया है, जो मानव पीड़ा तथा विपदा को दूर करने के लिए हमारा मार्ग निर्देशन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस हर्ष के अवसर पर हम भगवान बुद्ध के सौहार्द और सहिष्णुता के मार्ग पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हों। बुद्ध पूर्णिमा पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।