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Saturday 16 February 2013 07:29:02 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने को लेकर राष्ट्रीय निषाद संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर सिंह निषाद नेसमाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की राजनैतिक ड्रामेबाजी बताते हुए उनकी नीयत पर सवाल उठाया है। कुंवर सिंह निषाद का कहना है कि निषाद, कश्यप, जातियों को पहले से ही मझवार, तुरिहा, मल्लाह, गौड़ के नाम से अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है, मगर 1993 में सपा, बसपा की संयुक्त सरकार ने इनको अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगवा दी, तब से इस 20 वर्ष के इस कालखंड में सपा और बसपा चुनावी मौसम आते ही इन बिरादरियों को गुमराह करने लगती हैं और यह समय विरोधी पार्टी पर हमला करने का अच्छा अवसर रहता है, इसके लिए इन बिरादरियों के बिकाऊ नेताओं का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है अतः समाज के लोगों को दिग्भ्रमित नहीं होना चाहिए।
कुंवर सिंह निषाद ने केंद्र सरकार को भेजे सपा सरकार के पत्र संख्या 708/26-34-3(37)/98 दिनांक 10/3/2004 का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने सामाजिक संगठनों के विराध के बावजूद भी जानबूझकर गलत इथनोग्राफिकल सर्वे रिपोर्ट केंद्र सरकार को प्रस्तुत की, जिससे इन जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा न मिल सके और 2007 के विधान सभा चुनाव तक यह विषय गरमाया रहे। इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने एक ही माह के अंदर में 8 अप्रैल 2004 को ग़लत ठहराते हुए इन जातियों को अनुसूचित जाति के लिए पात्र नहीं माना। इसके बाद राष्ट्रीय निषाद संघ और अन्य सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार को धरना प्रदर्शन और रैलियों के माध्यम से दबाव बनाकर संसद में प्रस्ताव पास कराने के लिए तैयार कर लिया, जिसकी घोषणा केंद्र सरकार के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने 9 अक्टूबर 2005 को कर दी। इन बिरादरियों को अनुसूचित जाति का दर्जा मिलता देख, मुलायम सिंह यादव ने संविधान के अनुच्छेद 141(1) (2) के खिलाफ अगले ही दिन 10 अक्टूबर को संविधान के विपरीत जाकर इन्हें अनुसूचित जाति में लेने की घोषणा कर दी, जिसके खिलाफ बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपनी पार्टी के लोगों से हाईकोर्ट में केस दायर करा दिया और स्टे हो गया।
कुंवर सिंह निषाद ने कहा है कि यदि मुलायम सिंह यादव को इन 17 अति पिछड़ी जातियों की इतनी ही चिंता है, तो संविधान के अनुच्छेद संख्या 366(24) (25) के तहत पूर्व से मिल रहे आरक्षण को लागू किया जाए। मझवार, मल्लाह, गौड़, तुरिहा को पूर्व की तरह अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी किए जाएं और जाटव (चमार) के आधार पर मझवार को परिभाषित कर निषाद, केवट, मल्लाह, बिंद, बाथम, धींमर मांझी, मछुवा को उसका लाभ दिया जाए, जिसके लिए किसी रैली, प्रदर्शन ज्ञापन की आवश्यकता नहीं है, प्रदेश सरकार अपने स्तर से ही कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास कर यह कार्य संपंन कर सकती है। कुंवर सिंह निषाद ने उपरोक्त मांगें न माने जाने पर 1 अप्रैल से प्रदेश भर में समाजवादी पार्टी के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है।