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सभी पाठ्यपुस्तकों में शामिल होंगे भगवान बुद्ध

भारत है दुनिया में बौद्धधर्म का संरक्षक और प्रचार-प्रसारक

बुद्ध पूर्णिमा पर देशभर में हुए अनेक आशीर्वाद समारोह

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Thursday 11 May 2017 04:40:18 AM

celebration in the country on buddha purnima

नई दिल्ली। भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण के आशीर्वाद दिवस एवं शुभ वैशाख महीने के पूर्णिमा दिवस पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बुद्ध जयंती समारोह का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा और गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू मुख्य रूपसे शामिल हुए। बुद्ध जयंती समारोह पर संस्कृति मंत्रालय ने बौद्धधर्म के प्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर एसआर भट्ट को बौद्धधर्म के संरक्षण और संवर्धन में महान योगदान के लिए सम्मानित किया। समारोह में थिवड़ा परंपरा में मंगलाचरण और महायान परंपरा के भिक्षुओं ने जप किया, प्रोफेसर गेशे गुवांग सामतेन ने बुद्ध के उपदेश दिए और प्रख्यात नर्तक शोभना नारायण ने 'शुनायता' थीम पर नृत्य प्रस्तुत किया। गहन आध्यात्मिक और अकादमिक नींव के साथ बौद्धधर्म ने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर अतीत में काफी प्रभाव डाला है, जैसाकि भारत ने अपने राष्ट्रीय ध्वज पर बौद्धधर्म के नाट्य चक्र को समाहित किया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं दुनियाभर में लोकप्रिय हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने के लिए काम कर रहा है, क्योंकि उनकी शिक्षाएं बहुत प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा देने का उद्देश्य न केवल ज्ञान पाने और रोज़गार हेतु कुशल बनाने तक ही सीमित होना चाहिए, बल्कि एक आदर्श व्यक्ति को भी तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए, बुद्ध की शिक्षाएं एक आदर्श व्यक्ति के निर्माण में बहुउपयोगी हैं। उन्होंने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम ढांचे को सुधारने पर भी जोर दिया। संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने कहा कि बौद्धधर्म ने भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है और भगवान बुद्ध से संबंधित चीजें भारत में ही संपन्न हुई हैं। उन्होंने कहा कि त्रिपिताका के रूप में जाने जानेवाली उनकी तीन टोकरी में नैतिक अनुशासन, मन के प्रशिक्षण की विधि, ज्ञान के फैलाव तथा प्रसार के लिए जमीन तैयार करने के तरीके शामिल हैं।
भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण को एक ही दिन मनाने वाले बौद्धों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। मई 1950 में श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित 'बौद्ध धर्म विश्व फैलोशिप' की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया था कि वैसाख पूर्णिमा को ही बुद्ध के तीनों-जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण को एक साथ मनाया जाएगा। भारत बौद्धधर्म सहित कई विश्व धर्मों की उत्पत्ति का राष्ट्र रहा है। भगवान बुद्ध से संबंधित सारी घटनाएं भारत में ही हुई हैं। ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में बुद्ध शाक्यमुनि के आगमन ने भारत में दर्शन और आध्यात्मिकता की संस्कृति में एक क्रांतिकारी सुधार लाया, करुणा, क्षमा और मैत्री तथा दयालुता को उनकी शिक्षा में समान अवसर दिया गया। बौद्धधर्म ने अहिंसा के सिद्धांतों के साथ शांति की संस्कृति में अत्यधिक योगदान दिया। बौद्धधर्म भारत की प्राचीन गौरवशाली विरासत का एक महत्वपूर्ण अंग है, भारत सरकार ने बौद्धधर्म के प्रसार के लिए कई पहल की हैं। भारत सरकार ने बुद्ध के महापरिनिर्वाण की 2500वीं वर्षगांठ का आयोजन अंतरराष्ट्रीय मेगा आयोजन के रूप में किया था।
नालंदा में सीखने की प्राचीन पद्धति को पुर्नजीवित करने के लिए नालंदा, बिहार में 1951 में नवा नालंदा महावीर स्थापित किया गया था। सन् 1959 में लेह, लद्दाख में केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान स्थापित किया गया था। बौद्ध और तिब्बती अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए 1968 में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान की स्थापना की गई थी। वर्ष 2003 में अरूणाचल प्रदेश के दाहुंग में केंद्रीय हिमालयन संस्कृति अध्ययन संस्थान स्थापित किया गया था। वर्ष 2010 में फिर से नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना राजगीर में की गई, जो प्राचीन ज्ञान का केंद्र रहा था। इन संस्थानों के माध्यम से त्रिपिताका के प्रकाशनों को आगे लाने और प्राचीन नालंदा के खोए हुए कार्यों को शिक्षा केंद्रों के माध्यम से विकसित किया गया है। भारत सरकार भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण के दिन यानि बुद्ध पूर्णिमा को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव सम्मेलन का आयोजन करती है। इक्कीसवीं सदी के संकट में बौद्ध अनुक्रिया के तहत मार्च में राजगीर में हुए सम्मेलन में करीब 35 देशों के विद्वानों ने विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था। सम्मेलन का उद्घाटन परमपावन बौद्ध धर्मगुरू दलाईलामा ने किया था तथा समापन राष्ट्रपति ने किया था।
संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने कहा कि दुनिया में भगवान बुद्ध से जुड़े आठ धार्मिक स्थानों में से सात भारत में हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत में बौद्धधर्म के स्मारकों, पवित्र मंदिरों और स्थानों के संरक्षण और उनके प्रचार के लिए समर्पित है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पूरा विश्व भारत की ओर टकटकी लगाए बैठा है कि भारत बौद्धधर्म के लिए क्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत भगवान बुद्ध के मार्गों को अपनाने एवं उनपर चलने का पालन करना जारी रखता है तो भारत फिर से सुपरपावर बन सकता है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने विदेशी पर्यटकों के लिए ई-वीजा के नियमों को आसान बनाने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय चंद्र कैलेंडर के अनुसार बुद्ध जयंती वैसाख पूर्णिमा को पड़ती है, यानि वैसाख महीने के पूर्ण चंद्र दिवस के दिन। भारत शांतिपूर्ण समाज को विकसित करने और मानवता को उजागर करने के लिए भगवान बुद्ध के करुणा और दया के संदेश को प्रसारित करने हेतु समर्पित है। बौद्धधर्म को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति और पर्यटन मंत्री डॉ महेश शर्मा के नेतृत्व में संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में यह एक मुख्य कार्यक्रम है।

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