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सरकार तुष्टिकरण से नहीं चलेगी-राज्यपाल

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में राज्यपाल का अभिभाषण

विधानसभा में सपा सदस्यों ने सारी मर्यादाएं तोड़ीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 May 2017 07:50:00 AM

governor's address in the legislative assembly of uttar pradesh

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में नई विधानसभा के पहले सत्र के शुरू होते ही विपक्ष के नाम पर कुछ विधायकों ने अपनी मेजों पर खड़े होकर हंगामा काटने और अभिभाषण पढ़ते हुए राज्यपाल राम नाईक को लक्ष्य बनाते हुए उनपर कश्मीर में पत्‍थरबाजों की तरह कागज़ के गोले फेंकने, सीटी बजाकर, शोरगुल करने, योगी सरकार के विरुद्ध नारे लिखे पोस्टर लहराने का काम किया। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के विधायकों ने नारे लिखी टोपियां लगाई थीं और उनके हाथ में नारे लिखे पोस्टर थे। जैसे ही जन गण मन समाप्त हुआ और राज्यपाल ने अभिभाषण पढ़ना शुरू किया तो सपा के विधानसभा एवं विधानपरिषद सदस्यों ने सर पर रखी लाल टोपियां उतारकर जेबों में रख लीं और जेबों में रखी नारे लगी कागज़ की टोपियां सर पर रख लीं, फिर जेब से बैनर निकालकर सीटी बजाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं था, बस उनके पास हंगामा और नारे लगे कुछ पोस्टर ही थे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधानपरिषद सदस्य अखिलेश यादव विधानसभा का संयुक्त अधिवेशन होने के क‌ारण विधानसभा में मौजूद थे, जिनके सामने सपा के विधायक और विधानपरिषद सदस्य अराजकता के अंदाज़ में गोलाबाज़ी और नारेबाज़ी कर रहे थे। राज्यपाल राम नाईक ने इस हंगामे की कोई भी परवाह नहीं की और अपना अभिभाषण पूरा पढ़ा। जब तक अभिभाषण चला हंगामा होता रहा और राज्यपाल पर विधानसभा की कार्रवाई की पेपर सामग्री और फाइलों को फाड़-फाड़कर उनके गोले बनाकर राज्यपाल की ओर फेंके जाते रहे। अखिलेश यादव और नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी खड़े होकर यह नज़ारा देख रहे थे, उनके पीछे की सीट पर शिवपाल ‌सिंह यादव भी शांत मुद्रा में यह सब देख रहे थे। कागज़ के गोले फेंकने वाले ज्यादातर सदस्य एक समुदाय विशेष के थे, जिनमें से कुछ के पास बूचड़खाने और तलाक के समर्थन में पोस्टर थे, इनमें सभी सपा के विधायक और एमएलसी थे। बसपा के विधायक अपनी सीटों पर थे, किंतु कुछ मुस्लिम विधायक अपनी सीट छोड़कर सपा के हंगामेबाजों के आगे-पीछे भी दिखाई दिए।
सपा के विधायक इरफान सोलंकी कागज़ के गोले बनाकर राज्यपाल पर फेंककर अराजकता फैलाने में किसी से पीछे नहीं थे, बल्कि कुछ दूसरे विधायक उन्हें अपनी फाइलें भी दे रहे थे। कागज़ के गोलों से मार्शल और उनके सदस्यों ने राज्यपाल का बखूबी बचाव किया। राज्यपाल का अभिभाषण पूरा होने के बाद कुछ देर के लिए सदन स्‍थगित हुआ और उसके थोड़ी देर बाद सदन की पुनः बैठक शुरू हुई, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने राज्यपाल का अभिभाषण पढ़कर उसको विधानसभा की कार्रवाई का हिस्सा बनाया। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल का अभिभाषण पढ़े जाने के समय विधानसभा की कार्रवाई का हिस्सा नहीं होता है, चूंकि राज्यपाल विधानसभा के किसी भी सदन क‌े सदस्य नहीं होते हैं, इसलिए उनका विधानसभा में पढ़ा हुआ अभिभाषण तभी विधानसभा की कार्रवाई का हिस्सा बनता है, जब विधानसभा अध्यक्ष उसे फिरसे पढ़कर पटल पर रखते हैं। विधानसभा में इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीएसटी बिल प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। विधानसभा की कार्रवाई कल सवेरे ग्यारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन में जब राज्यपाल राम नाईक पहुंचे तो विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नेता विरोधीदल रामगोविंद चौधरी और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने उनकी नई परंपरा के अनुसार अगवानी की। उन्हें सुरक्षाबलों ने सलामी दी। इसके बाद राज्यपाल विधानसभा के मंडप में पहुंचे और उन्होंने अपना ‌अभिभाषण विपक्ष के हंगामे के बीच शुरू किया। विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं था। जबतक सत्र शुरू नहीं हुआ था, तबतक सपा के एमएलसी और कुछ विधायक सदन की मर्यादा को तोड़ते हुए मोबाइल से भीतर की सेल्फी ले रहे थे और मोबाइल से बातें कर रहे थे। ध्यान रहे कि किसी के लिए भी विधानसभा मंडप में मोबाइल फोन ले जाना सख्त मना है और सेल्फी लेना या मोबाइल से बात करने की तो इजाजत ही नहीं है। राज्यपाल के अभिभाषण के समय सपा के सदस्य अनुशासनहीनता की सारी सीमाएं लांघ रहे थे। इस अवसर की सबसे अच्छी बात यह रही ‌कि इस हंगामें से सत्ता पक्ष का कोई भी सदस्य विचलित नहीं हुआ और सब सपा, बसपा, कांग्रेस के सदस्यों का अमर्यादित व्यवहार देखते रहे।
राज्यपाल राम नाईक ने जब उत्तर प्रदेश विधानमंडल के वर्ष 2017 के दोनों सदनों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही राज्य सरकार की प्राथमिकताओं का उल्लेख किया। उन्होंने सदस्यों से सरकार को प्रदेश को विकास और खुशहाली के रास्ते पर तेजी से आगे ले जाने में सहयोग देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कभी उत्तर प्रदेश, देश का सबसे अग्रणी राज्य हुआ करता था, किंतु विगत कई वर्ष से यह विकास की दौड़ में अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी पीछे छूट गया है, उत्तर प्रदेश को पुनः अग्रिम पंक्ति में लाना व सबका साथ-सबका विकास ही राज्य सरकार का संकल्प है। राज्यपाल ने सरकार की कार्यप्रणाली की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी सरकार स्थायी, संवेदनशील और विकासोन्मुखी व्यवस्था देने के लिए प्रतिबद्ध है, भोजन, पेयजल, आवास, स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्थाओं के साथ-साथ जनता में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए राज्य सरकार दृढ़ प्रतिज्ञ है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार तुष्टिकरण की नीति से अलग हटकर सभी वर्ग के लोगों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी कार्यालयों में कार्य संस्कृति में व्यापक सुधार के लिए उठाए गए कदम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सभी कार्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। जनता की समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वह प्रातः 9 बजे से 11 बजे तक अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर जनता की समस्याएं सुनें और उनका निराकरण करें। राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में विधानमंडल के सभी सदस्यों से राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे प्रदेश की जन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सदन की गरिमा व पवित्रता को बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि उनकी सरकार जन कल्याण के लिए समर्पित है और सुविचारित नीतियों से प्रदेश में एक ऐसा माहौल तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां से समृद्धि और विकास के अनेक पथ निकलते हैं।

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