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Thursday 18 May 2017 07:00:16 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप लापता बच्चों का पता लगाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया विकसित की है। उच्चतम न्यायालय ने 13 जनवरी 2015 को 2012 के बचपन बचाओ आंदोलन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य की समादेश याचिका (दीवानी अदालत) संख्या 75 के मामले में मानक बनाने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने पाया था कि लापता बच्चों का पता लगाने के लिए राज्यों ने कई मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की हैं, इसलिए मंत्रालय को एक आदर्श एसओपी तैयार करने के लिए टीआईएसएस की मदद लेने का निर्देश दिया था, जिसका उपयोग देशभर में एकसमान प्रक्रिया का पालन कर लापता बच्चों के मामलों से निपटने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जा सकता है।
बच्चों की देखभाल और संरक्षण करने वाले किशोर न्याय आदर्श नियम 2016 के अनुरूप लापता बच्चों का पता लगाने के लिए इस एसओपी को अंतिम रूप दिया गया है। एसओपी के जरिए मुख्य रूपसे लापता बच्चों का पता लगाने और उन्हें बरामद करने के बाद उनके पुर्नवास का कार्य किया जाता है, जिसमें पुलिस, बाल कल्याण समितियों और किशोर न्याय बोर्डों जैसे विभिन्न हितधारकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां परिभाषित की गई हैं। किशोर न्याय आदर्श नियम 2016 के नियम 92(1) में लापता बच्चे को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-किसी भी परिस्थिति या कारण से लापता ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता, कानूनी अभिभावक या कोई अन्य व्यक्ति अथवा उस बच्चे को कानूनी तौरपर जिस संस्थान को सौंपा गया है, उन्हें उसके बारे में कोई जानकारी न हो और जब तक उसका पता नहीं लगा लिया जाता कि उसकी देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता या उसकी सुरक्षा तथा कल्याण सुनिश्चित नहीं होता, उसे लापता माना जाएगा।
लापता बच्चा मानक संचालन प्रक्रिया का उद्देश्य हितधारकों के साथ समन्वय करके कार्य करना, लापता बच्चों के मामले में तुरंत कार्रवाई करना, लापता बच्चों के संबंध में जागरूकता और मूलभूत समझ बढ़ाना, बच्चों की सुरक्षा और बाल संरक्षण, बच्चों को ढूंढने में शामिल महत्वपूर्ण हितधारकों के लिए व्यापक संचालन प्रक्रिया प्रदान करना, परिजनों को ढूंढना, उनको उनके परिवार से मिलवाना, सामाजिक पुर्नमिलन पुनर्वास और संरक्षण कार्य, लापता या पाए गए, खोजे गए बच्चों और खतरे में फंसे कमजोर बच्चों के अन्य समूह की सभी श्रेणियों के साथ मिलकर प्रभावी कार्य करना, अभियोजन सहित प्रभावी कानूनों का तेजी से अनुपालन सुनिश्चित करना, लापता बच्चों को आगे और पीड़ित होने से बचाने के लिए तंत्र और प्रणालियां तैयार करना तथा पीड़ित, गवाहों को उचित और समय पर सुरक्षा, देखभाल, ध्यान देना सुनिश्चित करना है।
लापता बच्चों का पता लगाना पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी है। एसओपी में जांच अधिकारी की भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा चुका है। जांच अधिकारी के लिए एक जांच सूची भी होती है, जिसमें कार्रवाई का ढांचा, विचार और कार्रवाई प्रदान की जाती है, जिससे लापता बच्चों के मामलों की सक्षम, उत्पादक और पूरी जांच करने में मदद मिलती है। एसओपी को सभी पुलिस महानिदेशकों तथा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधानसचिवों के साथ साझा किया गया है, ताकि इससे अधिक जानकारी मिल सके और यह उपयोगी साबित हो। लापता बच्चों के मामले में मानक संचालन प्रक्रिया पर नियमावली के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं-http://wcd.nic.in/sites/default/files/SOP%20for%20Tracing%20Missing%20Children-24.4.17.pdf