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Friday 19 May 2017 12:43:00 AM
नई दिल्ली/ होशंगाबाद। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों ने पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री अनिल माधव दवे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अनिल माधव दवे का बुधवार को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पैतृक जिले में नर्मदा नदी के किनारे उनका आज सवेरे अंतिम संस्कार कर दिया गया। अनिल माधव दवे उज्जैन के बरानगर में पैदा हुए थे, अविवाहित थे और अपने प्रारंभिक जीवनकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। अनिल माधव दवे का जीवन अत्यंत दार्शनिक था। उन्होंने हिंदी अंग्रेजी में कई पुस्तकें लिखीं, नर्मदा नदी के प्रति उनका बड़ा अनुराग था, उन्होंने नर्मदा नदी पर पुस्तक भी लिखी।
अनिल माधव दवे उनकी जीवनशैली उन्हें समझने के लिए काफी है कि जब अपनी पुस्तक में लिखा था कि मेरा अंतिम संस्कार बाद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाए और बाकी क्रिया में केवल वैदिक कर्म हों, मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक या प्रतिमा न बनाई जाए, बल्कि पेड़ और पौधे लगाए जाएं। अनिल माधव दवे राज्यसभा के सदस्य थे। वर्षमें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के वे प्रमुख रणनीतिकार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनिल माधव दवे के निधन से बहुत दुखी हैं, उनके निधन की खबर सुनते ही वे उनके निवास पहुंचे और उनके अंतिम दर्शन किए। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए अनेक मंत्री लेखक, पत्रकार, संघ के पदाधिकारी और भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता उनके निवास पहुंचे। उधर प्रधानमंत्री की सलाह के अनुरूप राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन को उनके मौजूदा कार्यभार के अलावा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है।
अनिल माधव दवे के निधन पर उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति एम हामिद अंसारी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि वे 2009 से राज्यसभा के सक्रिय तथा सम्मानित सदस्य थे, उनके साथ काम करने वाले सभी लोगों को उनकी कमी खलेगी। केंद्रीय जनजाति विकास मंत्री जुएल ओराम ने कहा है कि सरकार में मेरे साथी मंत्री अनिल माधव दवे की असामायिक मृत्यु के समाचार से मैं स्तब्ध हूं, मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं, देश ने एक होनहार नेता खोया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमारे सहयोगी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के निधन की खबर बेहद चौंकाने वाली है, उनके निधन की खबर सुनकर काफी दुख हुआ है। उन्होंने कहा कि अनिल माधव दवे पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति बेहद सक्रिय और संवेदनशील थे, इसके प्रति उनका समर्पण काफी प्रशंसनीय है।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अनिल माधव दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अनिल दवे एक लगनशील संरक्षणवादी थे, जिन्होंने शानदार रूप से नर्मदा का प्रलेखन किया। उन्होंने कहा कि अनिल दवे कमर्शियल पायलट बनने की जगह आरएसएस प्रचारक बने और राज्यसभा में उनके अनुभव और हास्य से काफी लाभ हुआ। केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान मंत्री पीयूष गोयल ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अनिल माधव दवे को समर्पित लोकसेवक के रूप में सदैव याद किया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमने एक समर्पित पर्यावरणवादी खो दिया है, विशेषकर जब वह पर्यावरण मंत्री बने। उन्होंने कहा कि अनिल माधव दवे सच्चे अर्थ में मां नर्मदा के पुत्र थे और उन्होंने महान नदी के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अनिल माधव दवे गैर पेशेवर पायलट, फोटोग्राफर और पढ़ने में रूचि रखने वाले व्यक्ति थे। वे अपने में स्वयं विद्वान थे। उन्होंने शिवाजी के सुशासन पर शिवाजी और सूरज नामक पुस्तक लिखी। इसका प्राक्कथन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा है।
अनिल माधव दवे सरल स्वभाव के व्यक्ति थे और उनके साथ संवाद से सबको खुशी होती थी। वे अगस्त 2009 से मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य थे। सदन में उनके निष्पक्ष और स्तरीय हस्तक्षेप से शांति कायम हो जाती थी। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और विकास में उनकी दृढ़ आस्था थी। उन्होंने मासिक पत्रिका चरैवेती तथा जन अभियान परिषद पत्रिका का संपादन किया। अनिल माधव दवे ने एक बार नर्मदा किनारे 18 घंटे तक सेसना 173 विमान उड़ाकर अपनी परिक्रमा पूरी की। उन्होंने 19 दिन में नर्मदा नदी में 1312 किलोमीटर नौका यात्रा की। उनका जन्म 6 जुलाई 1956 को हुआ था। इसी दिन जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भी जन्म हुआ था। दोनों ही संघ के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ता थे। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा संसदीयकार्य मंत्री अनंत कुमार ने भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। अनिल माधव दवे का ध्यान पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति काफी केंद्रित था और वह उनके प्रति बेहद गंभीर थे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में थे, जिनमें एक बौद्धिक गुरूत्वाकर्षण मौजूद था। उन्हें देखने, सुनने और सुनते रहने का मन होता था। पानी, पर्यावरण, नदी और राष्ट्र के भविष्य से जुड़े सवालों पर उनमें गहरी अंर्तदृष्टि मौजूद थी। उन्होंने नदी महोत्सवों, विश्व हिंदी सम्मेलन-भोपाल, अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ-उज्जैन सहित कई आयोजनों में उत्कृष्ट कार्य किया। किसी का उनकी विलक्षणता के आसपास होना कठिन था। आज जब राजनीति में बौने कद के लोगों की बन आई है, तब अनिल माधव दवे एक आदमकद राजनेता-सामाजिक कार्यकर्ता के नाते उन सवालों पर अलख जगा रहे थे, जो राजनीति के लिए वोट बैंक नहीं बनाते। वे ही ऐसे थे जो जिंदगी के, प्रकृति के सवालों को राजनीति की मुख्यधारा का हिस्सा बना सकते थे। वे सच्चे अर्थों में भारत की ऋषि परंपरा के उत्तराधिकारी थे और संघ की शाखा लगाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक हर काम में सिद्धहस्त थे।