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Sunday 21 May 2017 11:53:36 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता में प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्याय से ‘मेटाफिजिक्स, मोराल्स एंड पॉलिटिक्स’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की और कहा कि प्रोफेसर अमल मुखोपाध्याय उनके घनिष्ठ मित्र और उत्कृष्ट विद्वान हैं और भावी पीढ़ियां उनकी प्रखर बुद्धि का स्मरण करती रहेगी। राष्ट्रपति ने बताया कि 1961 में प्रोफेसर अमल मुखोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल के राजकीय विद्वान के रूप में लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में रिसर्च स्कॉलर के रूप में दाखिला लिया था और 19वीं सदी के आदर्शवादी अंग्रेज राजनीतिक चिंतक टीएच ग्रीन पर पीएचडी के लिए अनुसंधान प्रारंभ किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्याय से पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त करके अत्यंत खुशी हुई है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि नैतिकता विहीन राजनीति का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली सदी के उत्तरार्द्ध में इंटरनेट, मोबाइल फोन और संचार के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विषयक क्रांति के कारण व्यापक परिवर्तन हुए हैं, अनेक पुरानी धारणाओं में तेजी से बदलाव आया है। उन्होंने आधुनिक विश्व में हरित विचारों की प्रासंगिकता सिद्ध करने में योगदान के लिए प्रोफेसर अमल मुखोपाध्याय की प्रशंसा की। लंदन विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर अमल मुखोपाध्याय के थीसिस के आधार पर सन् 1965 में उन्हें पीएचडी की उपाधि प्रदान की थी। उनका शोधग्रंथ 'द इथिक्स ऑफ ओबिडिएंस' ग्रंथ के रूपमें प्रकाशित हुआ, बाद में उन्होंने अपने कुछ पूर्ववर्ती निष्कर्षों को संशोधित करने का निर्णय किया, अब उसी अनुसंधान को एक नए शीर्षक ‘मेटाफिजिक्स, मोराल्स एंड पॉलिटिक्स’ के अंतर्गत प्रकाशित किया है।