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Monday 22 May 2017 12:27:27 AM
नई दिल्ली। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थॉवरचंद गहलोत ने दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के कार्यान्वयन पर राज्यों के आयुक्तों की 15वीं राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में राज्यों को सलाह दी है कि वे दिव्यांग व्यक्तियों से जुड़े मामलों के लिए अलग से विभाग बनाएं, इसके लिए दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के प्रावधानों के अनुरूप पूर्णकालिक स्वतंत्र राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि अधिनियम के साथ ही समाज में दिव्यांग जन के लिए कल्याण कार्यक्रम और शिक्षण योजनाओं, प्रशिक्षण, कौशल विकास और पुनर्वास योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा सके। समीक्षा बैठक में 11 राज्यों के आयुक्त, 15 राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और समाज कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रालयों और राष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने कहा कि अधिनियम में बताए गए दिव्यांगजनों के अधिकारों और उनके विशेषाधिकारों की सुरक्षा कर देश के दिव्यांगजनों को सशक्त और सुदृढ़ करना अति आवश्यक है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय समाज में दिव्यांग जनों के सम्मानीय जीवन के लिए बेहतर शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और पुनर्वास के वास्ते किए गए प्रयासों के कारण केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों में सबसे महत्वूपर्ण और प्रमुख बन गया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्यांगजनों के लिए सहायता उपकरण वितरित करने, सभी प्रकार के विकास के लिए अभिनव कार्यक्रमों और योजनाओं का शुभारंभ करने तथा समाज में उनके सामाजिक आर्थिक पुनर्वास करने में विश्व रिकॉर्ड बनाया है। मंत्रालय के कार्यक्रमों और योजनाओं को विश्व स्तर पर मान्यता और सराहना मिली है तथा यह भारत सरकार का आदर्श मंत्रालय बन गया है।
दिव्यांगजन अधिनियम 2016 के नए अधिकारों के प्रावधानों को रेखांकित करते हुए दिव्यांगता की मौजूदा सात श्रेणियों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया है और अब दिव्यांग जन के विशेषाधिकारों और अधिकारों को विकसित देशों के समान कर दिया गया है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव एनएस केंग ने कहा कि राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में दिव्यांगों से जुड़े मामलों के लिए अलग विभाग गठित करने पर विचार करना चाहिए और राज्य आयुक्त राज्य में दिव्यांगजन अधिनियम और उनके कल्याण के कार्यक्रमों तथा नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करें, उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में दिव्यांगजन को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए, उन्हें विशेष अभियान के जरिये दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित रिक्त पदों पर भर्ती के उपाय करने चाहिएं तथा अपने राज्यों मेंनए अधिनियम का व्यापक प्रचार करना चाहिए।
दिव्यांगजन के मुख्य आयुक्त कमलेश कुमार पांडे ने कहा कि राज्य आयुक्तों को राज्य तथा जिला स्तर पर अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा करनी चाहिए, उन्हें मोबाइल न्यायालय आयोजित करना चाहिए तथा जिला स्तर पर समीक्षा करनी चाहिए, राज्य के सभी दिव्यांगजनों के लिए उनके घर पर दिव्यांग प्रमाण पत्र देने के लिए विशेष शिविर आयोजित करने चाहिएं और लोगों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, समय-समय पर राज्य समन्वय, कार्यकारी और सलाहकार समिति की बैठकें भी आयोजित करनी चाहिएं तथा बेहतर और बड़े स्थलों पर दिव्यांगजनों को रोज़गार और पुनर्वास के लिए बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में दिव्यांगजनों के पुनर्वास के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय समीक्षा समिति ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ ही राज्यों में दिव्यांगजन के कल्याण के लिए कार्यक्रमों और योजनाओं के वास्ते 26 सिफारिशें की हैं।