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Wednesday 24 May 2017 07:23:07 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘बच्चों का कुशल पालन पोषण और सुरक्षित बचपन’ पर एक पुस्तक जारी की है, जिसमें माता-पिता, शिक्षकों और समाज के लिए बच्चों में आपराधिक व्यवहार को रोकने के लिए इसकी शीघ्र पहचान, परामर्श और सकारात्मक योगदान संबंधी दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं। पुस्तक में किशोर अपराधी न्याय यानी बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 में निर्धारित मूलभूत नियमों पर आधारित दिशा-निर्देशों का प्रयोग किया गया है, जोकानून के साथ टकराव में घिरे बच्चों के साथ आपराधिक न्याय प्रक्रिया से व्यवहार करने का शक्तिशाली आधारभूत ढांचा प्रदान करते हैं।
बच्चे अपनी दुनिया को माता-पिता, अध्यापक, साथ के बच्चों और अन्य ध्यान रखने वाले लोगों के साथ संबंधों से महसूस करते हैं, इसलिए बच्चों के लिए एक गर्मजोशी, प्यार और पोषण करने वाले वातावरण का सजृन करने की आवश्यकता है, जिससे उनकी शारीरिक,भावात्मक और मानसिक आवश्यकताओं की पहचान की जा सके, जिन्हें उनका परिवार, विद्यालय और समुदाय पूरा कर सके, ताकि वे अपने पूर्ण सामर्थ्य को प्राप्त कर सकें। इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और दुनियाभर से बच्चों को सुरक्षित और अपराधी व्यवहार से बचाए रखने में सफल प्रयोगों को इस पुस्तक में शामिल किया गया है।
हर बच्चा दूसरे बच्चे से भिन्न होता है और उसकी आवश्यकताओं और कारणों को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रोत्साहन की उम्मीद करता है। इस पुस्तक में बच्चों में सकारात्मक गुणों का विकास करने और हिंसा से उन्हें बचाने संबंधी बिंदुओं का सुझाव दिया गया है, ताकि वे अपने सर्वोच्च सामर्थ्य को प्राप्त कर सकें। पुस्तक को तीन भागों में बांटा गया हैं, जिसमें पहला भाग माता-पिता के लिए है और हिंसा एवं अपराध से बच्चों को बचाए रखने संबंधी सुझाव रखे गए हैं, जबकि दूसरा और तीसरा भाग क्रमश: अध्यापकों और समाज के अन्य सदस्यों के लिए है। हर भाग में संक्षिप्त रूपसे बच्चों को कानून के विरूद्ध जाने संबंधी प्रमुख समस्याएं, प्रारंभिक संकेत और खतरे को कम करने संबंधी बिंदु बताए गए हैं।