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Monday 29 May 2017 06:47:42 AM
नई दिल्ली। नीदरलैंड में हिंदी के प्रचार-प्रसार में अनुकरणीय योगदान के लिए अप्रवासी भारतीय प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी को कल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा का पद्मभूषण डॉ मोटूरि सत्यनारायण सम्मान प्रदान करेंगे। इस सम्मान में पांच लाख रुपए की राशि, शॉल, प्रशस्ति पत्र शामिल है। यह सम्मान एक और विद्वान डॉ पद्मेश गुप्त लंदन को भी प्रदान किया जा रहा है। डॉ पुष्पिता अवस्थी हिंदी लेखन और कई यादगार पुस्तकों के लिए देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं। डॉ पुष्पिता अवस्थी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर कानपुर की रहने वाली हैं और वर्ष 2001 से स्थायी रूप से नीदरलैंड में प्रवास करती हैं। डॉ पुष्पिता अवस्थी न केवल हिंदी की मशहूर लेखिका हैं और उन्होंने सूरीनाम के हिंदुस्तानी लोगों के बीच जाकर लेखन किया है, अपितु वे फुटबॉल खेलप्रेमी हैं और एक विश्वविख्यात क्लब की भी सदस्य हैं।
डॉ पुष्पिता अवस्थी के लेखन में शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ, कथ्यरूप प्रकाशन इलाहाबाद 1997, अक्षत, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2002, ईश्वराषीश, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2005, हृदय की हथेली, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2007, रस गगन गुफा में अझर झरे, ग्रंथ अकादमी दिल्ली 2007, अंतर्ध्वनि, मेधा बुक्स दिल्ली 2009, देववृक्ष, रेमाधव आर्ट प्राइवेट लिमिटेड गाज़ियाबाद 2009, शैल प्रतिमाओं से (हिंदी, अंग्रेजी एवं डच भाषाओं में) अमृत कंसल्टेंसी नीदरलैंड 2013, तुम हो मुझमें, राजकमल प्रकाशन दिल्ली 2013, शब्दों में रहती है वह, किताबघर दिल्ली 2014, भोजपत्र, अंतिका प्रकाशन गाज़ियाबाद 2015, गर्भ की उतरन, अंतिका प्रकाशन गाज़ियाबाद 2016 को काफी प्रसिद्धि मिली है। उनके अंतर्राष्ट्रीय लेखन में The Poetic Bond-V-U.K. 2015, The Poetic Bond-VI-U.K. 2016, Echoes in the Earth, Willowdown Books, U.K., 2016 शामिल है। डॉ पुष्पिता अवस्थी के आलोचना पर आधुनिक हिंदी काव्यालोचना के सौ वर्ष, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2006, कहानी पर गोखरू, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2002, जन्म, मेधा बुक्स दिल्ली 2011 पुस्तकें हैं। छिन्नमूल, अंतिका प्रकाशन, गाज़ियाबाद 2015 पर उपन्यास, सांस्कृतिक आलोक से संवाद, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली 2006 पर साक्षात्कार, सूरीनाम, राधाकृष्ण प्रकाशन दिल्ली 2003 और सूरीनाम, नेशनल बुक ट्रस्ट दिल्ली 2009 पर विनिबंध महत्वपूर्ण लेखन है। उन्होंने कविता सूरीनाम, राजकमल प्रकाशन दिल्ली 2003, कथा सूरीनाम, राजकमल प्रकाशन दिल्ली 2003, दोस्ती की चाह, जीत नाराइन की कविताएँ, राजकमल प्रकाशन दिल्ली 2003 का संपादन और द नागरी स्क्रिप्ट फॉर बिगिनर्स सूरीनाम 2003 का सह-संपादन किया है।
डॉ पुष्पिता अवस्थी की अनूदित कविताएं In Woordenbestaat Ze, Amsterdam, India Institute, The Netherlands, 2008, Devvriksh (Poems in Hindi and English), Remadhv Art Pvt Ltd, Ghaziabad, 2009, Hetbeeld in de rots (Poems translated in Dutch), Amrit Consultancy, The Netherlands, 2011, The Statue in the Rock (Poems translated in English), Amrit Consultancy, The Netherlands, 2011 हैं और उन्होंने मन क्या है? जे कृष्णमूर्ति की पुस्तक 'The Magnitude of Mind' का हिंदी रूपांतरण किया है, जिसका प्रकाशन राजपाल एंड संस दिल्ली, 2015 ने किया है। उनके विविध लेखन में कैरिबियाई देशों में हिंदी शिक्षण, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली 2004, सूरीनाम का सृजनात्मक साहित्य, साहित्य अकादमी 2012, भारतवंशी: भाषा एवं संस्कृति, किताबघर 2015 शामिल है। डॉ पुष्पिता अवस्थी को अंतर्राष्ट्रीय अज्ञेय साहित्य सम्मान 2002 रूपाम्बरा भारत, कैरेबियाई राष्ट्रीय हिंदी सेवा पुरस्कार 2004 हिंदी प्रचार संस्था गुयाना, लक्ष्मीमल्ल सिंघवी अंतर्राष्ट्रीय कविता पुरस्कार 2004 यूके हिंदी समिति लंदन, राष्ट्रीय हिंदी सेवा पुरस्कार 2005 आर्य प्रांतिक सभा सूरीनाम, सूरीनाम हिंदी सेवा सम्मान 2005 सूरीनाम हिंदी परिषद, राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार 2007 रूपाम्बरा भारत, शमशेर सम्मान 2008 अनवरत संस्था खंडवा मध्य प्रदेश भारत, किरण वूमेन अचीवमेंट अवार्ड 2009, प्रवासी शिखर सम्मान 2014 और पोएटिक बौंड 2015 सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
डॉ पुष्पिता अवस्थी के लेखन और उनकी प्रतिभा को किसी एक सीमा में रख पाना कठिन है-यायावर, कवि, लेखक, अध्यापक और डिप्लोमेट के रूप में भी डॉ पुष्पिता ने अपने कठिन संघर्ष से विश्व में स्मरणीय प्रतिष्ठा प्राप्त की है। वाराणसी के जे कृष्णमूर्ति फाउंडेशन और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षित प्रोफेसर पुष्पिता ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध वसंत महिला महाविद्यालय राजघाट वाराणसी के हिंदी विभाग में बतौर अध्यक्ष अध्यापन कार्य किया है। भारत में रहते हुए उन्होंने कृष्णमूर्ति फाउंडेशन की पत्रिका परिसंवाद का दस वर्ष तक प्रोफेसर कृष्णनाथ के साथ सह संपादन किया तथा जे कृष्णमूर्ति के कतिपय व्याख्यानों का हिंदी में अनुवाद किया है। उन्होंने हिंदी में जे कृष्णमूर्ति की कई पुस्तकों का संपादन भी किया है। भारत की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी की कहानियां, कविताएं और निबंध प्रकाशित होते रहते हैं। उनकी कविताएं अनेक भाषाओं डच, अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, स्पानी, पुर्तगाली, एवं रूसी में अनूदित की गई हैं। उनके कविता संग्रह हृदय की हथेली का बांग्ला भाषा में हृदयेर कोरतोल नाम से हुआ है। डॉ पुष्पिता अवस्थी 2001 से 2005 तक भारतीय दूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक केंद्र पारामारिबो, सूरीनाम में प्रथम सचिव एवं हिंदी प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रही हैं।
विदेश में पुष्पिता अवस्थी के नाम हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य एवं अन्य साहित्यिक उपलब्धियां हैं। उन्होंने सूरीनाम में रहते हुए सूरीनाम साहित्य मित्र (2001) एवं सूरीनाम विद्यानिवास साहित्य संस्था (2002) का गठन किया। सूरीनाम हिंदी परिषद के तत्वावधान में कैरेबियाई हिंदी संस्थान का 2003 में गठन किया और विश्व हिंदी सम्मेलन 2003 का आयोजन किया। सूरीनाम दूतावास से सम्बद्ध रहते हुए प्रोफेसर पुष्पिता के संयोजन में ही 2003 में सूरीनाम में सातवां विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ। वे हिंदी साहित्य कोश, भारतीय भाषा परिषद्, भारतवंशी देश और हिंदी, विश्व में हिंदी विकास का स्वरूप के संपादक मंडल में रही हैं।