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Wednesday 31 May 2017 04:30:55 AM
बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बर्लिन में एक प्रेस वक्तव्य में कहा है कि भारत की विशाल युवा जनसंख्या को रोज़गार से जोड़ने के लिए स्किल इंडिया के मिशन में जर्मनी की अहम भागीदारी है, भारत की स्किल्ड वर्कफोर्स केवल भारत के ट्रांसफॉर्मेशन का एक पिलर ही नहीं है, अपितु हम इसे पूरे विश्व के विकास का एक महत्वपूर्ण रिसोर्स मानते हैं। उन्होंने कहा कि मशीन टूल्स सेक्टर में स्किलिंग के काम पर सहयोग पर सहमति दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी, जर्मनी की हाई टेक्नोलॉजी कुशलता और भारत की फ्रूगल इंजीनियरिंग की जुगलबंदी विश्व को बहुत कुछ दे सकती है, ऑफ़ कोर्स स्किल की आवश्यकता सिर्फ़ इंडस्ट्री को ही नहीं है। उन्होंने कहा कि शायद कम ही लोगों को जानकारी होगी कि बंडेसलीगा भारत में भी काफी लोकप्रिय है, विशेष रूपसे युवा वर्ग में। उन्होंने कहा कि हम फुटबॉल में भी सहयोग को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि युएनएससी के रिफॉर्म्स की प्रक्रिया में दोनों देश मिलकर काम करते रहेंगे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के तेज़गति से हो रहे विकास में हम अपने मित्र देशों की सकारात्मक भूमिका का स्वागत करते हैं और जर्मनी इसमें अग्रिम देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि जर्मन बिज़नेस और इंडस्ट्री भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं की बढ़ती हुई उपलब्धियों में एक महत्वपूर्ण पार्टनर है, पिछली आइजीसी मीटिंग के समय हमने जर्मनी की कंपनियों के लिए एक फ़ास्ट ट्रैक सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया था, जोकि बहुत अच्छा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने मेक इन इंडिया के मिशन में जर्मनी की कंपनियों के निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव किया है, विशेष रूपसे मिटलश्टांड कंपनियों से। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशंस में चांसलर एंजेला मर्कल और उनकी पूरी टीम के साथ हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों का कम्प्रेहैंसिव रिव्यु किया है, किंतु भारत और जर्मनी की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप का महत्व केवल द्विपक्षीय संदर्भ में नहीं है, बल्कि हमारे संबंधों का एक अत्यंत प्रभावशाली क्षेत्रीय और वैश्विक परिपेक्ष भी है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि एशिया मे उभरती नई चुनौतियां एवं यूरोप तथा पूरे विश्व के समक्ष अवसर तथा चैलेंजेज पर हमने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि पिछले तीन वर्ष में हमारे उच्चस्तरीय संपर्कों में काफी बढ़ोतरी हुई है, आइजीसी की मीटिंग दो वर्ष में एक बार होती है, लेकिन हमारे संबंधों की एक प्रकार से सतत समीक्षा चलती रहती है और इससे अच्छी गति बनती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा हर देश का अहम कर्तव्य है, इसी कारण हमारे सहयोग का एक अहम क्षेत्र है-रिन्यूएबल एनर्जी। उन्होंने कहा कि भारत 2022 तक 175 गीगावाट रिन्यूएबल पॉवर जेनेरेट करना चाहता है, इस वर्ष मार्च तक हमने लगभग 57 गीगावाट तक का काम पूरा किया है, इस सेक्टर में जर्मनी की कंपनियों के लिए और हमारी डेवलपमेंट पार्टनरशिप के लिए अनेक अवसर बन रहे हैं, इसके अतिरिक्त रेलवेज, सिविल एविएशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, अर्बन मोबिलिटी और स्मार्ट सिटीज जैसे सेक्टर्स में भी हम दोनों देशों की मजबूत साझेदारी में भरपूर विकास हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमारा सहयोग दोनों समाजों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है, इस सहयोग को हम अत्यंत मूल्यवान मानते हैं, इस क्षेत्र में जर्मनी हमारा सेकंड लार्जेस्ट पार्टनर है, हम इसे और एक्सपैंड करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज यूरोप तथा पूरा विश्व कई चुनौतियों का मुकाबला कर रहा है, इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए आज विश्व को चांसलर एंजेला मर्केल जैसे सुदृढ़ तथा सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है। हमारे समाज की संपन्नता के मार्ग में आतंकवाद तथा अतिवाद बड़ी सुरक्षा चुनौतियां हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ मज़बूत और एकजुट एक्शन चाहते हैं, इस विषय पर द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओं के बारे में हमने विस्तार से चर्चा की है, साइबर सिक्योरिटी और एविएशन सिक्योरिटी में भी हम सहयोग मजबूत करेंगे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैश्विक मंच पर अनेक विषयों पर भारत और जर्मनी न सिर्फ़ क्लोस्ली कंसल्ट करते हैं, बल्कि दोनों के विचार भी मिलते-जुलते हैं, दोनों देश डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की नींव पर खड़े हैं और इसी प्रकार के ग्लोबल आर्डर की अपेक्षा रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-जर्मनी सम्बंध चौमुखी हैं, इनके विकास की गति तेज़, दिशा सकारात्मक तथा गंतव्य स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि हमारे संबंधों को सफलता की चरम सीमा पर ले जाने में जर्मनी भारत को सदैव एक सशक्त, तैयार तथा सकारत्मक पार्टनर के रूप में पाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी यह जर्मनी की दूसरी आधिकारिक यात्रा है, वर्ष 2015 में जब हन्नोवर फेयर में भारत सहयोगी देश था, तब भी उनका आना हुआ था, इसी प्रकार आइजीसी का भी उनका यह दूसरा अनुभव है। उन्होंने कहा कि उनकी भेंट और वार्ताओं का सिलसिला केवल आइजीसी की बैठक तक सीमित नहीं है, चांसलर एंजेला मर्केल और मैंने कई बार मल्टीलेटरल समिट्स पर भी बातचीत की है, एंजेला मर्केल से बात चाहे बायलैटरल संबंधों की हो या मानवतावादी समस्याओं की, क्षेत्रीय विषयों का मुद्दा हो अथवा वैश्विक प्रश्न हों, उनके साथ हर वार्ता हर प्रकार से अत्यंत ज्ञानकारी और लाभकारी रही है, उनसे हर बार कुछ न कुछ नया सीखने को मिला है।