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Monday 5 June 2017 01:30:02 AM
नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने नई दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के हैकिंग चुनौती के आयोजन में मशीन के विभिन्न सुरक्षा मानकों का विस्तृत प्रदर्शन करते हुए ईवीएम की हैकिंग चुनौती को समाप्त कर दिया और साफ कर दिया कि चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से ही कराए जाएंगे। इस चुनौती में सिर्फ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ही हिस्सा लिया था, ईवीएम की वफादारी पर हल्ला बोलने वाली बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने चुनौती में हिस्सा ही नहीं लिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम ज़ैदी ने देशवासियों को आश्वासन दिया है कि किसी भी परिस्थिति में चुनाव प्रक्रिया की ईमानदारी और शुद्धता को बाधित नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम ज़ैदी ने इस अवसर पर कहा कि एनसीपी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी मशीन के प्रदर्शन पर संतुष्ट थे। उन्होंने कहा कि दोनों ही पार्टियों ने पूरी तरह से अपनी शंकाएं दूर कीं और अकादमिक बहस में हिस्सा भी लिया। नसीम ज़ैदी ने एक बार फिर दोहराया कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की जा सकती, यह सुरक्षात्मक मतदान प्रणाली है और निर्वाचन आयोग भी पूर्ण पारदर्शिता के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने देश के मतदाताओं और सभी राजनीतिक पार्टियों का आभार व्यक्त किया, जिनका चुनाव आयोग की चुनाव प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में सभी चुनावों में वीवीपीए टीज़ का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि मतदाता को तुरंत इस बात का पता चल सके कि उसका वोट वांछित उम्मीदवार को गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने से बौखलाई बहुजन समाज पार्टी और उसके बाद समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि ईवीएम मशीन में इस प्रकार गड़बड़ी की गई है कि चाहे जो बटन दबाएं, वोट भाजपा को जाए। बहुजन समाज पार्टी ने तो ईवीएम के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था और बसपा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया था कि ईवीएम पर रोक लगाने के लिए जिलों पर प्रत्येक माह धरना दिया जाएगा। बाकी गैर भाजपाई दल बसपा के साथ खड़े हो गए थे, तब चुनाव आयोग ने चुनौती दी थी कि कोई भी दल ईवीएम में गड़बड़ी सिद्ध करके दिखाए। इसके लिए चुनाव आयोग ने अपने मुख्यालय पर सभी राजनीतिक दलों के लिए तीन जून मुकर्रर की थी, जिसमें आरोप लगाने वाले मुख्य राजनीतिक दलों में से कोई नहीं आया और माकपा एवं एनसीपी आई, जो आखिर ईवीएम के प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट हुई। इस प्रकार ईवीएम को चुनौती समाप्त हो गई है।