स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 5 June 2017 05:24:14 AM
नई दिल्ली। नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने उत्तर प्रदेश, बिहार और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में मल प्रवाह पद्धति प्रबंधन का बुनियादी ढांचा तैयार करने हेतु 1900 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं से हरिद्वार, ऋषिकेश, वृंदावन, वाराणसी, इलाहाबाद और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शत-प्रतिशत सीवेज प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। पिछले महीने दिल्ली में हुई एनएमसीजी की कार्यकारी समिति की तीसरी बैठक में इन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। स्वच्छ गंगा और नदियों की इन सीवेज परियोजनाओं को गुणवत्तायुक्त चलते देखने को उमा भारती कई शहरों के लिए निकल पड़ी हैं। ज्ञातव्य है कि परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर धन की स्वीकृतियां हुई हैं और भारत सरकार चाहती है कि परियोजनाएं गुणवत्ता के साथ सही समय पर पूर्ण हों।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत लगभग 767.59 करोड़ रुपए की लागत से इलाहाबाद के नैनी, फाफामऊ और झूंसी सीवेज क्षेत्र में सीवेज रोकने, दिशा मोड़ने और प्रबंधन की व्यापक परियोजना के लिए मंजूरी दी गई है। नैनी में 42 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के अतिरिक्त इस परियोजना के अन्य कार्यों में आठ सीवेज पम्पिंग स्टेशन स्थापित करना भी शामिल हैं। तीन क्षेत्रों में से किसी में भी अभी सीवरेज योजना या कोई एसटीपी आवंटित नहीं है। मौजूदा सीवेज परियोजनाओं के साथ ही अनुमोदित परियोजनाओं से गंगा और यमुना नदियों से घिरे इलाहाबाद शहर में सीवेज का प्रबंधन किया जाएगा, जिसके तहत नदियों में 18 गंदे नालों का अपशिष्ट पानी डालने से रोका जाएगा, ताकि अर्धकुंभ मेला 2019 में संगम पर स्नान के लिए प्रदूषण मुक्त जल उपलब्ध हो। इन परियोजनाओं की मंजूरी से इलाहाबाद में शत-प्रतिशत सीवेज प्रबंधन क्षमता हासिल की जा सकेगी।
पटना शहर में पहाड़ी सीवेज क्षेत्र में सीवेज प्रबंधन बुनियादी ढांचे के लिए तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें लगभग 744 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज लाइन में पड़ने वाले क्षेत्र में 60 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण शामिल हैं, इससे अब पटना की सीवेज प्रबंधन क्षमता 200 एमएलडी हो जाएगी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देश पर दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ‘मैली से निर्मल यमुना’ के अंतर्गत लगभग 344.81 करोड़ रुपए की लागत से नज़फगढ़ क्षेत्र में कुल 94 एमएलडी क्षमता के सात वरियता प्राप्त एसटीपी के निर्माण की मंजूरी दी गई है। नज़फगढ़ नाले से शहर के कुल गंदे पानी का लगभग 70 प्रतिशत पानी यमुना में जाता है, जो काफी मात्रा में गैरप्रबंधित सीवेज होता है। परियोजना के अनुसार ताजपुर खुर्द (36 एमएलडी), जाफरापुर कलां (12 एमएलडी), खेरा डाबर (5 एमएलडी), हसनपुर (12 एमएलडी), ककरौला (12 एमएलडी), कैर (5 एमएलडी) और टिकरी कलां (12 एमएलडी) स्थानों पर एसटीपी स्थापित करने की मंजूरी दी गई है।
दिल्ली में सभी नियोजित परियोजनाओं को भी स्वीकृति दे दी गई है। वनीकरण के मोर्चे पर गंगा से गुजरने वाले पांच प्रमुख राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में लगभग 61.5 करोड़ रुपए के सभी कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाने की मंजूरी दी गई है, जिनमें नर्सरी में पौधे तैयार करने, मृदा कार्य, वृक्षारोपण और उनकी देखभाल शामिल है। एनएमसीजी ने पिछले तीन महीने के दौरान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 4100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी है। गौरतलब है कि केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार मंत्री उमा भारती नमामि गंगे की प्रगति की निजीतौर पर निगरानी के लिए गंगा सागर से गंगोत्री तक तीन सप्ताह के गंगा निरीक्षण अभियान पर हैं। उमा भारती उत्तर प्रदेश में नरोरा पहुंच गई हैं और भृगु आश्रम तथा नजीबाबाद होते हुए हरिद्वार जाएंगी।