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Tuesday 6 June 2017 05:06:40 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सरकार के सचिवों और मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अनौपचारिक बैठक की और पिछली शताब्दियों की प्रशासनिक प्रणालियों से ऊपर उठने पर जोर देते हुए कहा कि उनके पास दुनिया की आबादी के छठवें हिस्से के जीवनस्तर में सुधार लाने का एक अवसर है, इसलिए वे आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी वर्ष 2022 के लिए अपने ठोस लक्ष्य निर्धारित करें। प्रधानमंत्री ने सरकार के सचिवों का आह्वान किया कि वे देश के विकास के लिए अपने से संबंधित मंत्रालयों की सीमा रेखा से बाहर भी काम करें। वित्तीय समावेशन जनधन योजना और व्यापक रोगप्रतिरक्षण मिशन इंद्रधनुष जैसे उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन तीन वर्ष में सरकारी तंत्र की एक टीम के रूप में एकजुट होकर काम करने से कुछ सर्वश्रेष्ठ परिणाम निकले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार की संस्थाएं निश्चित रूपसे परिणामोन्मुखी होनी चाहिएं। उन्होंने स्वच्छता अभियान के बारे में कहा कि जनता इसका जोरदार समर्थन देने के लिए आगे आई है और इसके बल पर प्रशासनिक स्तर पर एक क्रांति हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली जुलाई से जीएसटी का लागू होना देश के इतिहास में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने सचिवों से कहा कि वे इस बदलाव की सकारात्मक तौर पर तैयारी करें, ताकि सहज रूपसे सुधार सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व आज भारत को विशिष्ट रूप में देख रहा है और यह एक ऐसा बेजोड़ अवसर है, जिसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। उन्होंने सचिवों से कहा कि हमें वैश्विक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रणाली तैयार करने के लिए जुटना चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने भारत के 100 सबसे अधिक पिछड़े जिलों के लिए एक मिशन मोड पहल के लिए भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन जिलों के लिए एक छोटी समय-सीमा में विभिन्न मानदंडों पर आधारित विशेष लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए। बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त और रक्षामंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी सचिवों को संबोधित किया। इस अवसर पर सचिवों ने भी शासन के विभिन्न क्षेत्रों पर आधारित कुछ सुझाव दिए।