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Wednesday 20 February 2013 07:18:50 AM
लखनऊ। भाजपा विधान मंडल के नेता हुकुम सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बजट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। बजट पर अपनी ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनके वर्तमान साल के बजट की सच्चाई सामने आ चुकी है, जिसमें मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट अनुमानों की स्थिति घोर निराशाजनक रही है।
हुकुम सिंह ने एक बयान में कहा है कि वर्ष 2012-13 का बजट प्रस्तुत करते समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार, लूटखसोट, धांधली व निर्दोष लोगों का उत्पीड़न करने का कीर्तिमान स्थापित करने के आरोप लगाते हुए अपनी सरकार की जनकल्याण की योजनाओं का उल्लेख किया था, उन्होंने कहा था कि विरासत में उनको जर्जर अर्थव्यवस्था, टुकड़ों में बंटा समाज, सभी कीर्तिमान तोड़ता भ्रष्टाचार, बिगड़ी कानून-व्यवस्था, हताश-निराश प्रशासनिक तंत्र मिला है। दो लाख 110 करोड़ 61 लाख रूपये का बजट प्रस्तुत करते हुए अखिलेश यादव ने गर्व के साथ कहा था कि पूर्ववर्ती बजट के सापेक्ष उन्होंने 18 प्रतिशत की वृद्धि की है, खर्च के अनुरूप राजस्व में पूर्व वर्ष की अपेक्षा 22 प्रतिशत वृद्धि करके संसाधनों की भी व्यवस्था का उल्लेख था और 280 नई योजनाएं सम्मिलित की गई थीं।
हुकुम सिंह ने अखिलेश यादव सरकार के पहले बजट के पश्चात् की उपलब्धियों के सच का यहां उल्लेख किया है। उन्होंने सप्रमाण कहा है कि डॉ राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत 1600 ग्रामों का चयन तथा उनके विकास के लिए 720 करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया था, इस प्रकार प्रति चयनित गांव 45 लाख रूपये की लागत से विकास होना था, अभी तक अपवाद को छोड़कर प्रदेश के एक भी गांव में इस योजना के अंतर्गत विकास कार्य प्रारंभ नहीं हुआ और न ही जनपदों में धन पहुंचा है, जिससे उनकी घोषणा पूर्णतः कागजी और निरर्थक है।
हुकुम सिंह ने कहा कि लोहिया ग्राम आवास योजना के अंतर्गत 395 करोड़ रूपये के प्रवधान में आज तक न तो किसी गांव का चयन हुआ और न ही कहीं आवास बनना आरंभ हुआ। अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए 2074 करोड़ का प्रस्ताव, जिसमें कब्रिस्तान व अंत्येष्टी स्थल की चहारदीवारी-कोई काम नहीं हुआ। शहरी ग़रीब व्यक्तियों के लिए आसरा नाम से योजना में प्रस्ताव 100 करोड़ रूपए के और उपलब्धि शून्य। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के प्रथम वर्ष 2012-2013 में प्रदेश की योजना का आकार 51000 करोड़ रूपए रखा गया, मगर योजना के अंतर्गत उपलब्धि 10 प्रतिशत भी नहीं। पुलिस बल के आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के लिए प्रस्ताव 10378 करोड़, व्यय एवं उपलब्धि 10 प्रतिशत भी नहीं और न ही कार्यक्रम हेतु धन उपलब्ध कराया गया। कृषि और संबद्ध सेवाओं के लिए प्रस्ताव 5,437 करोड़, जनपदों में बजट उपलब्धता शून्य। पंचायती राज के लिए प्रस्ताव 5,311 करोड़, जनपद में बजट की उपलब्धता शून्य। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के लिए प्रस्ताव 100 करोड़ मगर जनपदों में प्राप्ति शून्य। सड़क और यातायात के लिए प्रस्ताव 8,900 करोड़, जनपदों में उपलब्धता 100 करोड़ भी नहीं। नगर विकास योजनाओं हेतु प्रस्ताव 5031 करोड़, जनपदों में 15 प्रतिशत भी नहीं। बेसिक शिक्षा के लिए प्रस्ताव 25109 करोड़, जनपदों में उपलब्धता शून्य। सर्वशिक्षा अभियान हेतु प्रस्ताव 1700 करोड़, जनपदों में उपलब्धता शून्य।माध्यमिक शिक्षा हेतु 9,612 करोड़, जनपदों में उपलब्धता शून्य। उच्च शिक्षा हेतु 2,501 करोड़, जनपदों में उपलब्धता शून्य। समाज कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं के लिए 13,704 करोड़, जनपदों में उपलब्धता 25 प्रतिशत से कम।
हुकुम सिंह ने कहा है कि जिस प्रकार 2012-13 के बजट अनुमान मुख्यमंत्री के बजट भाषण के रूप में सदन में प्रस्तुत किए गए, वह केवल उनके भाषण तक सीमित रह गए। वित्तीय वर्ष 2012-2013 समाप्ति की ओर है, कथित रूप से प्राविधानित बजट की धनराशि का क्या हुआ? यह एक असमंजस का विषय बना हुआ है। वर्ष 2013-2014 के बजट भाषण में शामिल अनुमान और प्रस्ताव पर कैसे विश्वास किया जा सकता है जब वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट अनुमानों की स्थिति घोर निराशाजनक रही है?