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Monday 12 June 2017 03:14:58 AM
लखनऊ। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अति विशिष्ट व्यक्ति के भावी आगमन को देखते हुए जो सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर उनमें सुरक्षा खामियां सर चढ़कर बोलती हैं। कहीं सुरक्षाबलों का नागरिकों या जन सामान्य से बर्बर व्यवहार सामने आता है या फिर कहीं भारी सुरक्षा व्यवस्था से गुज़रने के बाद भी मुलाकाती से ऐसा व्यवहार दिखता है, जो इस फोटो में देखा जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने आए हों या पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास पर मिलने पहुंचे मुलाकाती हों, उन्हें वीआईपी की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर इसी प्रकार अपमानजनक स्थिति से गुज़रना होता है। मुलाकाती की मुख्यमंत्री से यह मुलाकात कितनी सफल रही यह तो नहीं पता, लेकिन यह देखने को मिला कि मुलाकाती को मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सुरक्षा के नाम पर कितनी यातनाओं से गुज़रना होता है। मुख्यमंत्री से मिलकर बाहर आने वाले व्यक्ति का यह अनुभव प्रकट होता है कि उसे अब दोबारा यहां नहीं आना, चाहे उसकी समस्या का समाधान हो या ना हो।
अति विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा एक अत्यंत गंभीर, आवश्यक और संवेदनशील मामला है, लेकिन यह भी उतना ही आवश्यक है कि मुलाकाती अपने विशिष्ट नेता के सामने उतना ही सहज महसूस करे। पूरी सुरक्षा जांच के बावजूद भी मुलाकाती पर निगरानी रखी जानी चाहिए, लेकिन यदि यही निगरानी का तरीका है तो सुरक्षाकर्मी के सुरक्षा प्रशिक्षण के तरीकों पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है। उच्च सुरक्षायुक्त आवास या कार्यालय पर किसी मुलाकाती द्वारा कोई असहज स्थिति पैदा करना स्वाभाविक हो सकता है, किंतु यह अपवाद ही सामने आया है, इसलिए इसका मतलब यह नहीं लगाया जा सकता जो इस फोटोग्राफ में दिखाई पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब मुलाकाती से मिल रहे हों तो उसको सहज रहने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, मगर ऐसी अवस्था में मुलाकाती अपनी कैसे और कितनी बात कह पाता होगा, यह समझने के लिए यह दृश्य काफी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री आवास पर समस्याओं को लेकर उनसे मिलने पहुंचे लोगों की समस्याओं से अवगत होते हैं तो उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी मुलाकाती को किस प्रकार मुख्यमंत्री से मिलवाते हैं तो सुरक्षा के नाम पर यह नज़ारा देखने काबिल होता है। सुरक्षाकर्मी इस फोटो में मुलाकाती को कुर्सी पर कब्जाए खड़ा है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सामने हैं। मुख्यमंत्री से मिलने आने वाले हर व्यक्ति को इसी दौर से गुजरना होता है, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री आवास के जनता दर्शन हॉल में प्रवेश से पूर्व हर बाहरी व्यक्ति की पहले ही गहन तलाशी होजाती है और उसको केवल अनुरोध पत्र के साथ ही अंदर आने दिया जाता है, उस समय उसके साथ परिजन भी हो तो उसे बाहर ही रोक दिया जाता है। गहन तलाशी के बावजूद मुलाकाती को किस तरह जकड़कर बैठाया गया है, यह सुरक्षा प्रणाली की रणनीतियों पर एक गहरा प्रश्नचिन्ह है।
दूसरी तरफ एक कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय जाते समय मुख्यमंत्री की फ्लीट के साथ जो सुरक्षा चूक हुई, वह हर किसी ने देखी। टीवी समाचार चैनलों और सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों तक ने उसका संज्ञान लिया। यह भी पुलिस की ही सुरक्षा प्रणाली की एक घोर विफलता थी, जिसमें लखनऊ पुलिस का वीआईपी यात्रा प्रबंध की धज्जियां उड़ गईं। इस घटना से खुफियातंत्र अनभिज्ञ था या पुलिस लापरवाह थी, यह जांच का विषय है। विश्वविद्यालय के कुछ छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय के पास मुख्यमंत्री के आवागमन में व्यवधान डालने के लिए सक्रिय हो सकते हैं, यह एक सामान्य सा अनुमान है, जिसकी उपेक्षा सामने आई। यह दोनों स्थितियां मुख्यमंत्री अथवा विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा खामियों को उजागर करती हैं, जिनमें एक तरफ एक मुलाकाती को कब्जाकर पकड़ा रखा गया है, जहां उससे कोई खतरा संभावित नहीं लगता और दूसरी तरफ लखनऊ विश्वविद्यालय में कुछ छात्र मुख्यमंत्री के मार्ग में व्यवधान डालने में सफल हो जाते हैं। इससे लगता है कि मुख्यमंत्री सुरक्षा में खामियों की कोई सीमा नहीं दिखती है। जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखनी थी, वहां यह व्यवस्था फेल नज़र आई और जहां मुलाकातियों के बीच सहज व्यवस्था बनाने की जरूरत थी, वहां मुलाकाती को जकड़कर रखा गया है।
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव या समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा के नाम पर भी अनेकबार सुरक्षाकर्मियों का नंगा नाच देखा गया है, जो इन दोनों नेताओं ने भी स्वयं देखा, लेकिन इन नेताओं को सुरक्षा के बीच रहने का बहुत क्रेज़ देखा गया है। इन राजनेताओं को कभी नहीं लगा कि सुरक्षा के मानक और व्यवहार में किस प्रकार की सावधानी बरती जाए, ताकि मुलाकाती को लगे कि वह बिना किसी व्यवधान के अपने नेता या अधिकारी से मिला और इसी प्रकार उनके आवागमन में भी आम जनता को कोई परेशानी नहीं हुई। बहरहाल कल प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों से आए लोगों ने अपनी विभिन्न समस्याओं से संबंधित आवेदन पत्र मुख्यमंत्री को दिए। मुख्यमंत्री ने जनता को उनकी शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया तथा अधिकारियों को जनसमस्याओं के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए। लोगों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर जैसेतैसे उन्हें अपनी समस्याएं बताईं और मुख्यमंत्री ने सभी मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।