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Tuesday 13 June 2017 12:59:33 AM
ऐजल (मिजोरम)। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ऐजल में भारत-म्यांमार सीमावर्ती राज्यों की समीक्षा बैठक की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जल्द ही पूर्वोत्तर के कई शहर ‘स्मार्ट नगर योजना’ के तहत विकसित किए जाएंगे। गृहमंत्री ने कहा कि अंतर्राज्यीय सड़क निर्माण, पूर्वोत्तर के शहरों को सड़क एवं हवाई मार्गों से जोड़ना, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और विभिन्न क्षेत्रों में शोध तथा उच्चस्तरीय संस्थानों की स्थापना के साथ आधारभूत संरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीएडीपी के अंतर्गत 17 सीमावर्ती राज्य आते हैं, जिनके विकास की गति को तेज़ करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। राजनाथ सिंह ने कहा कि बेहतर सम्पर्क सुविधा और म्यांमार के साथ अच्छे संबंधों से पूर्वोत्तर क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन हो रहा है। उन्होंने सलाह दी कि भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र निकट भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, इसलिए राज्यों को बेहतर तैयारी करनी चाहिए।
राजनाथ सिंह ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत आवंटित की जाने वाली राशि, जो 2016-17 में 990 करोड़ रुपए थी, उसे बढ़ाकर 2017-18 में 11 करोड़ रुपए कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के लिए 567.39 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई है और 41 आदर्श गावों के समेकित विकास के लिए 92.36 करोड़ रुपए की राशि पिछले वित्तवर्ष में जारी की गई थी, जिसमें मणिपुर के तीन गांव और नागालैंड का एक गांव शामिल था। उन्होंने बताया कि भारत-म्यांमार सीमा पर आधारभूतसंरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए असम राइफल्स ने अपने क्रियाकलापों के लिए सड़कों के निर्माण तथा हवाईअड्डों की सुविधा का एक प्रस्ताव दिया है।
गृहमंत्री ने समीक्षा बैठक में कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए उनकी मूलभूत आवश्यकताएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह दी कि वे मूलभूत सुविधाओं, अवसंरचना यथा सड़क, ऊर्जा, संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा आदि पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने सीमा प्रबंधन सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का आदेश दिया, जो इन क्षेत्रों की सुविधाओं की कमी की पहचान करेगी और इन्हें छोटी अवधि (3 वर्ष) मध्यम अवधि (3-6 वर्ष) तथा लंबी अवधि (6-10 वर्ष) के आधार पर वर्गीकरण करेगी। समिति की यह भी जिम्मेदारी होगी कि वह पूर्वोत्तर परिषद, केंद्रीय स्रोत और बीएडीपी एवं राज्य सरकारों की संबंधित योजनाओं को उपरोक्त लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एकीकृत करे। समिति 31 दिसंबर 2017 से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के आंतरिक भागों तथा पड़ोसियों के साथ बेहतर सम्पर्क सुविधा से वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की अबाध आवाजाही संभव हो सकेगी।
आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यद्यपि म्यांमार सीमा पर शांति है, लेकिन मामला संवेदनशील है, म्यांमार के साथ भारत के चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम 1643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और ये कई जगहों पर काफी जटिल हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों की सीमाओं से 16 किलोमीटर के अंदर लोगों को वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा दी गई है, दोनों तरफ अधिकृत संस्थाओं की अनुमति से वैधानिक परमिट के साथ लोग 72 घंटे तक रुक सकते हैं, इस तरह की व्यवस्था सीमा के दोनों तरफ सामाजिक रीति-रिवाजों और संबंधों को देखते हुए की गई है। गृहमंत्री ने कहा कि सीमा के दोनों तरफ लोग एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं, लेकिन ये देखा गया है कि आतंकवादी और अपराधी इसकी आड़ में हथियारों, ड्रग्स, प्रतिबंधित सामानों और जाली भारतीय करेंसी नोटों की तस्करी करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार और सुरक्षाबलों की सक्रियता से बहुत सारे आतंकवादी सीमा के दोनों तरफ इधर-उधर छिपे हुए हैं, सामान्य नागरिकों के लिए दी गई सुविधाओं का वो बेजा इस्तेमाल करते हैं और भारतीय इलाकों में अपराध कर सुरक्षित ठिकानों पर चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि म्यांमार सीमा से लगे हुए चारों भारतीय राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों और तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने वीजा मुक्त रिजिम की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया है, जिसके अध्यक्ष गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) होंगे। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में वीजामुक्त आवाजाही की समीक्षा के लिए कमेटी को तीन महीने का समय दिया गया है, ये कमेटी चारों राज्यों में जमीनी हालात की समीक्षा करने के बाद गृह मंत्रालय को रिपोर्ट पेश करेगी। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि असम राइफल्स के जवान अदम्य साहस, बहादुरी, चतुराई और दृढ़ निष्ठा के साथ देश की सीमाओं की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि असम राइफल्स के जवानों पर वो खासा तवज्जों दें, ताकि उनका मनोबल हमेशा बढ़ा रहे।
राजनाथ सिंह ने म्यांमार से जुड़े भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सलाह दी है कि वो सीमांकन में एक बेहतरीन समझ के साथ काम करें, ताकि किसी तरह की विवाद की गुंजाइश ही न रहे। गृहमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि म्यांमार-भारत सीमा पर जो भी निर्माण कार्य हों, उसमें नो कंस्ट्रक्शन जोन पर ध्यान दिया जाए, इसके अलावा सीमा पर पत्थरों के लगाए जाने के संबंध में वहां के स्थानीय लोगों के साथ-साथ मुख्यमंत्रियों से सहयोग की आशा होनी चाहिए। भारतीय म्यांमार सीमा के करीब 10 किलोमीटर के अंदर 240 से ज्यादा गांवों में ढाई लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे उन इलाकों में बेहतर पुलिस की गश्त के साथ-साथ पुलिस स्थानों और चौकियां बनाने पर बल दें और इसके साथ ही लोगों से अपील करें कि वे भी सीमा पर गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने में सरकार की मदद करें।