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Thursday 22 June 2017 12:13:24 AM
मॉस्को/ नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अभिनव कार्यकलापों तथा प्रौद्योगिकी स्थानांतरण के जरिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा और फाउंडेशन फॉर असिस्टेंस टू स्मॉल इन्नोवेटिव इंटरप्राइजेज के महानिदेशक डॉ सर्गेई पॉलीकोव के मध्य भारत-रूसी एकीकृत प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और त्वरित व्यावसायिकीकरण कार्यक्रम के विषय में एक समझौता-पत्र पर सहमति हुई। समझौते के अनुसार उद्यमों को सहयोग उपलब्ध कराना, डीएसटी और एमएएसआईई भारत और रूस के संगठनों और संस्थाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना है, इसमें उद्यम एवं शोध संस्थान भी संयुक्त रूपसे प्रौद्योगिकी सहयोग और संयुक्त उद्यम विकसित कर सकेंगे। इससे द्विपक्षीय संबंधों में नए अवसरों का सृजन हुआ है।
भारत और रूस आपसी राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली और रशियन फाउंडेशन फॉर बेसिक रिसर्च मॉस्को की आपसी सहयोग की यह 10वीं वर्षगांठ है। दोनों पक्षों ने स्टार्ट-अप उद्यमों के लिए कार्य करने और अभिनव प्रयोग के लिए भारत रूस सेतु बनाने पर सहमति जताई है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने मॉस्को में रूसी विज्ञान फाउंडेशन के महानिदेशक डॉ एलेक्जेंडर वितालिविच खुलनोव से भी मुलाकात की। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को पारस्परिक हित के क्षेत्रों में सहयोग और प्रोत्साहन के लिए कई सरल तरीकों पर चर्चा की। डीएसटी और आरएसएफ के मध्य बैठक का समापन अनुसंधान में आपसी सहयोग में समन्वय बढ़ाने के साथ हुआ। दोनों पक्ष के प्रतिभा संपन्न युवा परस्पर अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग करेंगे, नए प्रस्ताव 2018 में आमंत्रित किए जाएंगे। डीएसटी और आरएसएफ अभी तक संयुक्त रूपसे 17 संयुक्त उद्यमों को सहयोग प्रदान करते आ रहे हैं। भारत और रूस के बीच विज्ञान व प्रौद्योगिकी में सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक मजबूत स्तंभ है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जीवंत सहयोग दोनों पक्षों के लिए विजयी होने के समान है, इससे दोनों पक्षों में आपसी विश्वास भी बढ़ता है, आपसी संबंधों की प्रगाढ़ता से सभी क्षेत्रों और संस्थाओं के शैक्षणिक और शोध प्रयोगशाला के बीच अनुसंधान तथा शोधार्थियों का संगम संभव हो सका है।
डीएसटी के सचिव तथा अन्य रूसी संस्थाओं ने आपसी सहयोग के लिए कुछ खास विषयों पर आपसी सहमति व्यक्त की है, जिसके अंतर्गत डीएसटी और एफएएसआईई के बीच समझौता ज्ञापन यानी लघु व मध्यम क्षेत्र और स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए अनुसंधान और विकास सहयोग को बढ़ावा, डीएसटी और आरएफबीआर में मूलभूत विज्ञान के सहयोग को जारी रखना, प्रस्तावों के अगले आमंत्रण के लिए रूसी विज्ञान फाउंडेशन के साथ परिशिष्ट को अंतिम रूप देना, प्रस्तावों के अंतिम आमंत्रण के लिए शिक्षा एवं विज्ञान मंत्रालय, रूस द्वारा डीएसटी दस्तावेजों की निगरानी तथा परियोजनाओं का संयुक्त चयन शामिल है। समझौता पत्र को लागू किए जाने के लिए पिछले वर्ष गोवा शिखर सम्मेलन में जो निष्कर्ष निकाला गया था, उसके अनुसार अभिनव अनुसंधान तथा इसके लिए भारत-रूसी सेतु निर्माण के संदर्भ में समझौते पत्र पर आर्थिक विकास मंत्रालय रूस के साथ चर्चा और बातचीत, साइबर भौतिक प्रणाली यानी बिग डेटा, साइबर सुरक्षा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सुपरकॉंपिंग में सहयोग पर सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के साथ चर्चा और द्विपक्षीय सहयोग में भागीदारी के लिए सेंट पीटर्सबर्ग के आईओएफएफई संस्थान के साथ चर्चा हुई।
एकीकृत दीर्घावधि कार्यक्रम के अवसान के पश्चात 2007 में मूलभूत विज्ञान कार्यक्रमों के उद्देश्य से भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और रशियन फेडेरेशन ऑफ बेसिक रिसर्च का उदय हुआ है। डीएसटी और आरएफबीआर के मध्य सहयोग प्रारंभिक वर्षों में केवल आईएलटीपी के कार्यों तक सीमित था। धीरे-धीरे परस्पर सहयोग बढ़ता गया और आज डीएसटी और आरएफबीआर कार्यक्रम मूलभूत विज्ञान पर सहयोग के सबसे मजबूत प्लेटफॉर्मों में से एक है। इस सहयोग से भारतीय वैज्ञानिकों को रूस के शिक्षण तथा विज्ञान संस्थानों में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ है। पहली बार वर्ष 2008 में डीएसटी और आरएफबीआर कार्यक्रम पर सहमति जताई गई। इन 10 वर्ष में डीएसटी और आरएफबीआर ने संयुक्तरूप से 254 अनुसंधान परियोजनाओं को सहयोग प्रदान किया है, जबकि कुल 870 परियोजनाओं का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था। कार्यक्रमों की कठिनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कार्यक्रमों की सफलता की दर मात्र 25 प्रतिशत है।
भारत-रूस ने वैज्ञानिक क्षेत्रों के संदर्भ में लगभग सभी क्षेत्रों की परियोजनाओं को समर्थन दिया है, जैसे भौतिकी और खगोलशास्त्र की 69 परियोजनाएं, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की 55 परियोजनाएं, जीवविज्ञान और चिकित्सा विज्ञान की 34 परियोजनाएं, पृथ्वी विज्ञान की 32 परियोजनाएं, गणित की 27 परियोजनाएं, इंजीनियरिंग विज्ञान की 23 परियोजनाएं और कंप्यूटर विज्ञान एवं दूरसंचार की 14 परियोजनाएं आदि। इन परियोजनाओं के लगभग 800 शोध प्रकाशित हुए हैं। पिछले वर्ष इस कार्यक्रम में अंतर विभागीय अनुसंधान को भी जोड़ा गया है। पहले आमंत्रण में ही 52 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिसमें 17 प्रस्तावों को संयुक्तरूप से लागू करने के लिए स्वीकृति दी गई।