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Thursday 22 June 2017 06:43:01 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में विभागीय कार्रवाईयों के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर लांच किया। इस अवसर पर उन्होंने इस दिशा में सामूहिक प्रयास के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, सीवीसी तथा अन्य विभागों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के सिद्धांत, दायित्व के साथ पारदर्शिता, नागरिक केंद्रित और भ्रष्टाचार सहन नहीं करने के सिद्धांत पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सॉफ्टवेयर का उद्देश्य यह देखना है कि भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है और अधिक विलम्ब के कारण ईमानदार अधिकारियों को किसी तरह का नुकसान न हो।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नौकरशाही शासन के यंत्र के रूप में काम करती है और सरकार का उद्देश्य अधिकारियों को कार्य सहज वातावरण उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर इस बात का ध्यान रखेगा कि ईमानदार अधिकारियों को धमकाया तो नहीं जा रहा, क्योंकि यह सरकार के पारदर्शी कामकाज को प्रोत्साहन देने के लिए है। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करेगा कि गलत आचरण करने वालों को छोड़ा न जाए और अच्छे व्यवहार करने वालों को परेशान न किया जाए। उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई दो वर्ष के भीतर पूरी करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अनुशासन की कार्रवाई पूरी करने की समय-सीमा घटाने से ईमानदार अधिकारियों को तेजी से कार्य करने में राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुलबे ने इस अवसर पर कहा कि विभागीय कार्रवाई को ऑनलाइन बनाया जाना डीओपीटी की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि विभागीय कार्रवाईयों में काफी समय लगता है और यह सॉफ्टवेयर इस समस्या का समाधान करेगा। उन्होंने अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े अधिकारियों के प्रशिक्षण पर बल दिया और कहा कि अनुशासन कार्रवाई देखने वाले अधिकारियों को नियमों और प्रक्रियाओं की पुस्तिका उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एसएस और ईओ राजीव कुमार ने कहा कि डीओपीटी ने प्रक्रिया को सहज और पारदर्शी बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, इस सॉफ्टवेयर से विभागीय कार्रवाई की प्रकिया में तेजी आएगी और प्रणाली और ज्यादा पारदर्शी होगी। सीवीसी सचिव नीलम साहनी ने कहा कि सॉफ्टवेयर का फोकस अनुशासन से संबंधित मामलों के लंबित होने में कमी लाने पर है।
विभागीय कार्रवाई के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर अखिल भारतीय सेवा, (डी एंड ए) नियम 1969 के प्रावधानों के अनुरूप है। सरकारी सेवकों के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई पूरी होने में काफी समय लगना चिंता का विषय रहा है। सीवीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आदर्शरूप में विभागीय कार्रवाई दो वर्ष के अंदर पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन इसके पूरे होने में 2 से 7 वर्ष का समय लग जाता है, विलंब के अनेक कारण हैं। इनमें आरोपी अधिकारी के उत्तर देने में विलंब, आरोप सिद्ध करने के लिए दस्तावेजों का समय पर नहीं मिलना, सूचना देने और पाने में विलंब के कारण सुनवाई कार्य का स्थगन और जांच पूरी करने के काम में दायित्व का अभाव शामिल है। विलंब को टालने और तेजी से जांच पूरी करने के लिए एआईएस (डीएंडई) नियम 1969 में संशोधन करके समय सीमा निश्चित की गई। इस संशोधन को 20 जनवरी 2017 को अधिसूचित किया गया था।
इस व्यवस्था में जांच पूरी होने के लिए 6 महीने की समय सीमा का प्रावधान है। जांच पूरी होने की अवधि आगे बढ़ाने के लिए सक्षम अनुशासन अधिकारी की स्वीकृति आवश्यक है। इसी तरह आरोप पत्र पर आरोपित अधिकारी के जवाब के लिए समय सीमा लागू की गई है। लोकसेवा आयोग की सलाह के लिए भी समय सीमा तय की गई है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में 2 जून 2017 की सूचना के माध्यम से सीएसएस (सीसीए) नियमों के समरूप प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है। नियमों में हुए संशोधनों को मजबूत बनाने और जांच प्रक्रिया को और तेज करने के लिए विभागीय कार्रवाई के लिए ऑनलाइन प्रणाली लागू की गई है। ऑनलाइन प्रणाली में क्लाउड आधारित टेक्नॉलाजी के उपयोग की व्यवस्था है। यह प्रणाली जांच शुरू करने वाले प्रशासनिक मंत्रालय, कैडर नियंत्रण प्राधिकार, आरोपित अधिकारी और जांच अधिकारी आदि को अलग-अलग मॉडयूल के माध्यम से समान मंच उपलब्ध कराती है।
जांच कार्य के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज़ ऑनलाइन एकत्रित किए जाएंगे और डिजिटल हस्ताक्षर या ई हस्ताक्षर के माध्यम से प्रमाणित किए जाएंगे। विभिन्न हितधारकों के बीच सूचना का आदान-प्रदान इसी प्रणाली से होगा और इसमें ईमेल तथा एसएमएस एलर्ट का प्रावधान होगा। यह सॉफ्टवेयर रियल टाईम आधार पर सभी लंबित मामलों की न्यूनतम स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराता है और साथ में नियम में शामिल समय सीमा का पालन करने के लिए अलर्ट भी कराता है। ऑनलाइन प्रणाली से समय सीमा के अंदर जांच पूरी करने के लिए विभागीय मामलों की निगरानी हो सकेगी और विभिन्न स्तरों पर दायित्व निर्धारण हो सकेगा। ऑनलाइन पोर्टल शुरू में केंद्र सरकार में पदस्थापित आईएएस अधिकारियों के लिए होगा और बाद में केंद्र सरकार में एआईएस अधिकारियों और केंद्रीय ग्रुप ए अधिकारियों के लिए होगा। राज्यों में पदस्थापित एआईएस अधिकारियों पर विचार के लिए राज्यों को शामिल किया जाएगा। इस अवसर पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।