स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 20 February 2013 08:00:19 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि यह काफी हैरानी की बात है कि बड़े प्रयासों के बावजूद अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रति अत्याचारों के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2011 में पुलिस ने पीओए अधिनियम के तहत 39,401 मामले दर्ज किए थे, यह पूरे देश के लिए काफी चिंता का विषय है कि स्वतंत्रता के बाद शैक्षिक और आर्थिक सूचियों में समग्र विकास के बावजूद ऐसे अपराध अब भी जारी हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) अधिनियम 1989 में प्रस्तावित संशोधनों के सिलसिले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विकास विभागों के प्रभारी मंत्रियों की बुधवार को बैठक में कुमारी सैलजा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम यहां इस अधिनियम को और ज्यादा सुदृढ़ करने के संबंध में विचार-विमर्श के लिए एकत्रित हुए हैं।
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचारों को रोकने के लिए पीओए अधिनियम तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया था। पीओए अधिनियम संबंधित राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश लागू करता है। इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए केंद्र सरकार उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है। केंद्रीय सहायता में इन जातियों के संरक्षण प्रकोष्ठों, विशेष थानों, विशेष अदालतों को सुचारू रूप से चलाना और मज़बूत करना, अत्याचार के शिकार पीड़ितों को राहत और पुनर्वास, अंतरजातीय शादियों को प्रोत्साहन देना तथा जागरूकता लाना शामिल है। कुमारी सैलजा ने कहा कि अनुसूचित जातियों के खिलाफ अस्पृश्यता के अपराध तथा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रति अत्याचारों के मुद्दे पर विशेष रूप से चर्चा के लिए 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री ने अंतर-राज्य परिषद की बैठक की अध्यक्षता की थी, इसके बाद उन्होंने 2007 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इसमें ठोस कदम उठाने का आग्रह किया था।
कुमारी सैलजा ने कहा कि उनका मंत्रालय भी समय-समय पर राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को पीओए अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए कह रहा है। उनका मंत्रालय इन मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए विशेष अदालतें, लोगों को जागरूक करने के कार्यक्रम, पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर खास ध्यान दे रहा है। गृह मंत्रालय ने भी 17 अप्रैल 2012 को पीओए अधिनियम को प्रभावी तरीके से कार्यांवित करने के मुद्दे पर बातचीत के लिए उनके मंत्रालय के साथ बैठक बुलाई थी। इसके बावजूद अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रति अत्याचारों के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पूनिया, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की अध्यक्ष कमलाबेन गुर्जर, राज्य सरकारों के मंत्री तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में सचिव अनिल गोस्वामी मौजूद थे।