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Monday 26 June 2017 07:16:16 AM
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आलोचनाओं के बावजूद इस्लाम पर अपनी नीति पर दृढ़ रहते हुए मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान में व्हाइट हाउस में इफ्तार की परंपरा को बंद कर दिया, रमजान में इफ्तार की दावत नहीं दी, अलबत्ता राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप ने एक बयान जारी करके ईद-उल-फितर की मुसलमानों को शुभकामनाएं अवश्य दी हैं। इसके बावजूद अमेरिकी मीडिया का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विरोधी तबका इफ्तार की दावत न देने पर उनकी आलोचना कर रहा है। गौरतलब है कि व्हाइट हाउस में इफ्तार देने की परंपरा बिल क्लिंटन ने शुरू की थी, उनके बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा ने भी उसे कायम रखा था। अमेरिकी जनता में मीडिया में आलोचनाओं का कोई असर नहीं दिखा है, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप की मुस्लिम नीति और ज्यादा लोकप्रिय हुई है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप ने आज ईद-उल-फितर मना रहे सभी लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि पूरी दुनिया के मुसलमानों के साथ ही अमेरिकी मुसलमान रमजान के पवित्र महीने में दान और पुण्य करते हैं, अब वो अपने परिवार और दोस्तों के साथ ईद मना रहे हैं और पास-पड़ोस लोगों के साथ दावत की परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपतियों के इफ्तार में प्रमुख अमेरिकी मुस्लिम हस्तियों के अलावा दूसरे मुस्लिम देशों की भी कई महत्वपूर्ण मुस्लिम हस्तियां आमंत्रित की जाती रही हैं। व्हाइट हाउस में इफ्तार में शामिल होना इन मुस्लिम हस्तियों के लिए भी बड़ी बात रही है। चूंकि डोनाल्ड ट्रंप अपने राष्ट्रपति पद के चुनाव में ही स्पष्ट कर चुके थे कि अमेरिका में मुसलमानों के लिए एक लक्ष्मण रेखा है, लिहाजा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद सबकुछ स्पष्ट हो चुका है। रोजा इफ्तार पार्टी न देने से स्थिति और भी ज्यादा स्पष्ट हो चुकी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने आलोचनाओं की कोई भी परवाह किए बिना व्हाइट हाउस में रोजा इफ्तार परंपरा समाप्त कर दी है।
अमेरिकी गृह मंत्रालय ने ईद के मौके पर दावत देने की दो दशक पुरानी इस परंपरा को विराम देते हुए इस बार इफ्तार दावत की इजाजत देने से विधिवत इनकार किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर भी तीन महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था, यह अलग बात है कि अमेरिका के कुछ राज्यों की स्थानीय अदालतों ने ट्रंप प्रशासन के वीजा प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मस्जिदों को आतंकवाद के प्रसार का स्रोत बताकर भी अपने विचार की दृढ़ता स्पष्ट कर चुके हैं। दुनिया के मुसलमानों के लिए अमेरिका अब कोई सैरगाह नहीं रहा है। अमेरिकी जनता ट्रंप प्रशासन की मुस्लिम नीति के साथ खड़ी दिखाई दे रही है, जिसका प्रमाण है कि उसने डोनाल्ड ट्रंप को भारी मतों से जिताया है। डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस में रोजा इफ्तार बंद करने के फैसले का प्रभाव पड़ना लाज़मी है, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप अपनी जनता में और ज्यादा मजबूत होते नज़र आएंगे। वैसे भी वे अमेरिकी मीडिया के भारी विरोध के बावजूद राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुए हैं।