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पर्वतीय राज्‍यों में रेलवे की खास परियोजनाएं

लेह में बिछाई जा रही बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन

रेल मंत्रालय ने लेह में रेल संपर्क का दायरा बढ़ाया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 28 June 2017 03:48:03 AM

suresh prabhu lays foundation of survey work on bilaspur-manali-leh railway line in leh

लेह। भारतीय रेलवे जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य में रेल लाइन बिछाने के काम में महत्‍वपूर्ण प्रगति के बाद परिवहन के सामाजिक और आर्थिक लाभों का विस्‍तार कर उन्‍हें पर्वतीय राज्‍यों हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कश्‍मीर के दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक पहुंचाने के अभियान पर है। देश में विभिन्‍न सामाजिक रूपसे वांछित परियोजनाओं के बीच बिलास-मंडी-लेह रेल लाइन का बहुत महत्‍व है, यह परियोजना रणनीतिक तथा आर्थिक विकास और पर्यटन के महत्‍व की है, इसकी विशेषता यह है कि यह रेल लाइन विश्‍व में सबसे ऊंचे मार्ग पर है। रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने लेह में बिलासपुर-मनाली-लेह नई बड़ी रेल लाइन के अंतिम स्‍थान सर्वे के लिए आधारशिला रखी। इस अवसर पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आरके कुलश्रेष्‍ठ, रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारी और महत्‍वपूर्ण अतिथि उपस्थित थे।
जम्‍मू-कश्‍मीर के लद्दाख शहर में लेह महत्‍वपूर्ण शहर है, इसकी आबादी लगभग 1.5 लाख है, यहां हर वर्ष बड़ी संख्‍या में भारतीय एवं विदेशी पर्यटक आते हैं। व्‍यापक रक्षा प्रतिष्‍ठानों के साथ लेह जिला देश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और 14 कोर का यह मुख्‍यालय भी है। इस क्षेत्र में शीतकाल में तापमान शून्‍य से भी नीचे चला जाता है। भारी बर्फबारी के कारण देश के दूसरे हिस्‍सों के साथ इस क्षेत्र का सड़क संपर्क टूट जाता है, ऐसे में सामरिक तथा सामाजिक और आर्थिक आवश्‍यकताओं के लिए सभी मौसम के अनुकूल रेल संपर्क आवश्‍यक है। देश के दूसरे हिस्‍सों के साथ लेह को एक बड़ी रेल लाइन से जोड़ने के लिए भारतीय रेल ने अंतिम स्‍थल सर्वेक्षण का काम लिया है। यह मनाली होते हुए बिलासपुर से लेह तक वास्‍तविक निर्माण शुरू होने से पहले की प्रक्रिया है। इससे मंडी, कुल्‍लू, मनाली, कीलांग, हिमाचल प्रदेश और जम्‍मू-कश्‍मीर के महत्‍वपूर्ण शहरों से संपर्क कायम होगा। बिलासपुर से रेल लाइन को आनंदपुर साहेब और नांगल बांध के बीच भानूपाली से जोड़ा जाएगा।
बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन शिवालिक, ग्रेट हिमालय तथा जानसकर क्षेत्र होते हुए जाएगी। इन क्षेत्रों में ऊंचाई को लेकर अंतर है-एमएसएल से ऊपर 600 एम से 5300 एम और यह भूकंपीय क्षेत्र IV और V में आता है, इसलिए बड़ी संख्‍या में सुरंग, छोटे और बड़े पुल की जरूरत होगी। अंतिम स्‍थल सर्वेक्षण का काम रेल मंत्रालय ने राइट्स लिमिटेड को दिया है। यह रेल लाइन 157 करोड़ रुपए की लागत से 2019 तक पूरी कर ली जाएगी। सर्वेक्षण में शामिल गतिविधियों में निर्माण योग्‍य, आर्थिक रूपसे लाभकारी, सुरक्षित तथा सभी मौसम के अनुकूल रेल लाइन में अत्‍याधुनिक टेक्‍नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। उन्‍नत डिजिटल मॉडल का उपयोग करते हुए गलियारों का विकास तथा भूगर्भीय मानचित्र, हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन, जल विज्ञान और भूकंपीय डेटा के लिए नवीनतम सॉफ्टवेयर का उपयोग इष्टतम कॉरिडोर के चयन के साथ किया जाएगा। सर्वेक्षण में चयनित गलियारे का विश्लेषण और सबसे उपयुक्त संरेखण विकास, भूगर्भीय और भूभौतिकीय जांच, पुलों और सुरंगों की डिजाइन, साइट पर संरेखण की केंद्रीय रेखा चिन्हित करना, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करना और प्रस्तुत करना शामिल है। ऐसे कठिन और दुर्गम इलाके में रेल लाइन का निर्माण भारतीय रेलवे के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन विश्‍व का यह बेजोड़ रेलमार्ग होगा।

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