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Thursday 29 June 2017 02:56:13 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने राजभवन में एक कार्यक्रम में 15 खंडों के ‘पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय’ की प्रथम प्रति राज्यपाल राम नाईक को भेंट की। वांग्मय के 13वें खंड की भूमिका राज्यपाल राम नाईक ने लिखी है। राज्यपाल ने कहा कि प्रभात प्रकाशन ने वांग्मय का प्रकाशन करके वास्तव में अमृत कुंभ तैयार किया है। इस अवसर पर मौजूद लखनऊ के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी वांग्मय की प्रतियां दी गईं। वांग्मय का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। डॉ नीलकंठ तिवारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सूचना विभाग ‘पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय’ की 7,000 प्रतियां क्रय की करेगा, जो प्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं के पुस्तकालय के लिए भेजी जाएंगी।
राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय वितरित किए जाने के राज्य सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि मैंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देखा भी है, सुना भी है और समझा भी है, इसके लिए मैं स्वयं को भाग्यशाली समझता हूं। उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में कहा था कि मुझे दो और दीनदयाल दे दो तो मैं पूरे देश का परिवर्तन कर दूंगा। राम नाईक ने कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने देश और समाज की सेवा करते हुए अपना सारा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया, वे एक सक्रिय कार्यकर्ता, कुशल संगठक, मौलिक विचारक होने के साथ-साथ अद्वितीय समाजशास्त्री, राजनीति विज्ञानी और दार्शनिक थे। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने देश की आर्थिक समस्याओं पर गहन चिंतन एवं विचार किया, उनमें निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी, उनमें व्यवहार और दृढ़ विचार से आगे बढ़ने की विशेषता थी।
राम नाईक ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने बड़ी सहजता से अर्थशास्त्र, राजनीति, कृषि आदि पर अपने विचार रखे। उन्होंने एकात्म मानववाद पर विचार करते हुए अंत्योदय की वैचारिक भूमिका का निर्माण किया, अपने विचारों के प्रचार के साथ-साथ व्यवहार से उन्होंने लोगों को जोड़ा। राज्यपाल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं डॉ राम मनोहर लोहिया ने मिलकर राजनीति कैसी हो, इस पर विचार किया, उनका मानना था कि मतभेद हो सकते हैं, पर राष्ट्र के लिए एक होकर सोचना चाहिए। राज्यपाल ने जमींदारी उन्मूलन को लेकर राजस्थान विधानसभा के विधायकों को समझाने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, उनका मानना था कि यदि समाज की दृष्टि से कोई काम उचित है तो उसे करना चाहिए।
सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक या पौराणिक रचना के लिए निर्धारित की जाने वाली नीति युगानुकूल और देशानुकूल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था और अधिनायकवादी परम्परा आजादी के बाद भी कहीं न कहीं पाई जाती थी, पश्चिमी संस्कृति में निर्धनतम व्यक्ति के विकास की कल्पना नहीं थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्रनीति को देश के भाव के अनुसार निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नीलकंठ तिवारी ने कहा कि भारत में व्यक्ति, समाज, प्रदेश, देश एवं विश्व के विकास की विचारधारा रही है, सुख की अवधारणा भारतीय संस्कृति में निहित है कि देश तभी सुखी होगा, जब अंतिम व्यक्ति सुखी होगा। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज को जो दर्शन दिया है, वह देश के विकास के लिए आवश्यक है, उनका चिंतन सबके सुख की परिकल्पना पर आधारित है।
प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने इस अवसर पर बताया कि पंडित दीनदयाल जन्मशती कार्यक्रम प्रदेश में वृहद स्तर पर आयोजित किए जा रहे हैं, सभी जिलों में विशेष आयोजन होंगे और पंडित दीनदयाल सम्पूर्ण वांग्मय की सात हजार प्रतियां सभी शैक्षणिक संस्थाओं के पुस्तकालयों में भेजी जाएंगी। उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए हमें एक सोच उत्पन्न करने की जरूरत है, यह विचार समाज में रहने वाले हर डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षाविद् को करना होगा कि उसके माध्यम से समाज को कैसे लाभ मिल सकता है, जिससे देश को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरसी सोबती, प्रमुख सचिव राज्यपाल जूथिका पाटणकर, डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय विकलांग पुर्नवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ निशीथ राय, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गुरदीप सिंह, किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी, फारसी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर एसके शुक्ला, बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार मित्तल, भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर श्रुति सडोलिकर काटकर और एमिटी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति जनरल केके ओहरी उपस्थित थे। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सूचना निदेशक अनुज कुमार झा ने किया।