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Thursday 29 June 2017 03:20:37 AM
काठमांडू। नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने पड़ोसी दार्जिंलिंग पर्वतक्षेत्र में तेजी पकड़ रहे गोरखालैंड आंदोलन को भारत का अंदरूनी मसला बताया है और कहा है कि गोरखालैंड को नेपाल का समर्थन नहीं है। उन्होंने नेपाल को इससे दूर रखते हुए कहा कि इस मसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हल कर सकते हैं। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की टिप्पणी उस संदर्भ में थी कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरूंग ने पृथक राज्य के लिए नस्ली आधार पर समर्थन जुटाने का प्रयास किया है और पड़ोसी प्रदेश सिक्किम में पच्चीस वर्ष से पदासीन मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने अपने दल सिक्किम जनवादी मोर्चा का पूर्ण समर्थन अलग गोरखा प्रदेश की मांग को दिया है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने काठमांडू में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स यानी आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष के विक्रम राव के नेतृत्व में नेपाल की अध्ययन यात्रा पर आए एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में ये बातें कहीं।
गौरतलब है कि भारतीय श्रमजीवी पत्रकारों को नेपाल की मीडिया में गोरखालैंड हेतु समर्थन दिखाई दिया है, इसी संदर्भ में के विक्रम राव ने नेपाल के प्रधानमंत्री से प्रश्न किया था, क्योंकि गोरखा जन भी नेपाल मूल के हैं, अत: नेपाल का क्या रुख है? प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने इससे अपनी वैचारिक दूरी स्पष्ट करते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारतीय पत्रकारों में झारखंड और तेलंगाना आदि के प्रतिनिधि भी शामिल थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका रोकने पर पूछे गए एक प्रश्न पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रेरक पहल करें तो नेपाल तत्पर है, कई नदियां जिनका उद्गम स्थल नेपाल में है, उफान के कारण ही पूर्वांचल में रौद्ररूप ले लेती हैं। भारतीय पत्रकारों की नेपाल यात्रा के शीर्षक 'विश्वनाथ से पशुपतिनाथ बरास्ते गोरखनाथ' की प्रशंसा करते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के तीर्थस्थल तिरूपति तथा पशुपति काठमांडू के यात्रियों हेतु संयुक्त रूपसे सामीप्य बढ़ाने तथा बेहतर सुविधा दिलाने का आग्रह किया।
नेपाल की समकालीन परिस्थिति पर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा कि शांतिमय रूपसे सत्ता परिवर्तन होना यह दर्शाता है कि नेपाल में लोकतंत्र की जड़ें काफी मजबूत हैं। तत्कालीन माओवादी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने त्यागपत्र देकर शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री हेतु समर्थन दिया था। माओवादियों तथा नेपाली कांग्रेस में समझौते के तहत प्रधानमंत्री पद को दोनों को एक अवधि के अनुसार देना था। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भारतीय पत्रकारों से अनुरोध किया कि वे दोनों पड़ोसी राष्ट्रों के रिश्तों पर संवेदनशीलता से लिखें। नेपाल में महिलाओं की दशा पर प्रधानमंत्री ने बताया कि आजकल हो रहे पंचायत निर्वाचन में एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, महापौर और उपमहापौर में एक पद महिलाओं को मिलता है। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी हैं। इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के इस दल ने फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्टों से भी परस्पर हितों की चर्चा की। वे सब लुम्बिनी, पोखरा, मनोकामना आदि जगह भी गए।