स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 1 July 2017 05:31:44 AM
नई दिल्ली। भारतीय संसद ने आज आधीरात से देश में ऐतिहासिक जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवाकर व्यवस्था लागू कर दी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में बटन दबाकर देश में जीएसटी को लागू किया। आजादी के बाद भारत का यह सबसे बड़ा आर्थिक एवं कर सुधार फैसला है, जिसे भारत सहित उस पूरी दुनिया ने देखा, जिसकी भारत के राजनीतिक, आर्थिक और कारपोरेट क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी है। भारत में नोटबंदी के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा फैसला है, जिसपर पूरी दुनिया की नज़र है। दुनिया के शक्तिशाली विकसित देश और भारत में भी ऐतिहासिक और कड़े फैसले लेने से डरने वाले राजनीतिज्ञ नोटबंदी की सफलता और उसपर मिले प्रचंड जनादेश से हतप्रभ हैं, अब जीएसटी भी लागू हो गया है, जिसकी सफलता से यह सिद्ध हो जाएगा कि भारत को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। भारत का पड़ोसी देश चीन पहले से ही भारत की प्रगति की ईर्ष्या में झुलस रहा है, जिसे यह ऐहसास कभी नहीं था कि भारत सरकार इतने बड़े फैसले ले सकती है। जी हां! भारत के ऐसे ऐतिहासिक फैसलों से पाकिस्तान और चीन घुट-घुटकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।
भारत के राजनीतिक दलों और दूर देशों ने कभी भी भारत की इस इच्छाशक्ति और उसकी ताकत को नहीं समझा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा भी कि यह दिन देश का भविष्य निर्धारित करने के लिहाज से एक निर्णायक मोड़ है। उन्होंने कहा कि संसद का यह केंद्रीय कक्ष पहले भी कई ऐतिहासिक अवसरों का साक्षी रहा है, जिसमें संविधान सभा का पहला सत्र, भारत की आजादी और संविधान को अंगीकार करना शामिल है। उन्होंने जीएसटी को सहकारी संघवाद का एक उदाहरण बताया। उन्होंने चाणक्य का उल्लेख करते हुए कहा कि कड़ी मेहनत सभी बाधाओं को दूर कर सकती है और यह हमें सबसे कठिन उद्देश्यों को पूरा करने में भी मदद करती है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश का राजनीतिक एकीकरण सुनिश्चित किया था, उसी तरह जीएसटी आर्थिक एकीकरण सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आयकर दुनिया में समझने के लिए सबसे मुश्किल चीज है। उन्होंने कहा कि जीएसटी एक राष्ट्र-एक कर सुनिश्चित करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीएसटी से समय और लागत में काफी बचत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की सीमाओं को पार करते समय होने वाली देरी से जलने वाले ईंधन की अब बचत होगी और इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी एक आधुनिक कर प्रशासन को बढ़ावा देगा, जो अपेक्षाकृत आसान एवं अधिक पारदर्शी होगा और इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। उन्होंने जीएसटी को 'गुड एंड सिम्पल टैक्स' यानी अच्छा एवं आसान कर कहा, जिससे अंतत: लोगों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री ने समाज के पारस्परिक एवं साझा लाभ के लिए साझा लक्ष्य और समान दृढ़संकल्प की भावना का वर्णन करने के लिए ऋग्वेद के श्लोक का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी वस्तु और सेवाकर के शुभारंभ पर कहा कि देश में एक एकीकृत कर प्रणाली का यह ऐतिहासिक क्षण, दिसंबर 2002 में प्रारंभ हुई चौदह वर्ष पुरानी यात्रा का परिणाम है, जब अप्रत्यक्ष करों के बारे में गठित केलकर कार्यबल ने मूल्यवर्धित कर सिद्धांत पर आधारित विस्तृत वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी लागू करने का सुझाव दिया था।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी का प्रस्ताव सबसे पहले वित्तवर्ष 2006-07 के बजट भाषण में आया था, जिसमें न केवल केंद्र के लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष कर में सुधार, बल्कि राज्यों के लगाए जाने वाले करों में सुधार भी शामिल था। इसकी डिजाइन और इसे लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को दी गई, जिसे पहलेमूल्यवर्धित कर (वैट) लागू करने का दायित्व दिया गया था। उन्होंने बताया कि अधिकार प्राप्त समिति ने नवंबर 2009 में वस्तु एवं सेवा कर पर पहला विर्मश पत्र जारी किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि जीएसटी की शुरुआत राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, यह मेरे लिए भी संतोषजनक लम्हा है, क्योंकि बतौर वित्तमंत्री मैंने ही 22 मार्च 2011 को संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था, मैं इसकी रूपरेखा और कार्यांवयन में बहुत गहराई से जुड़ा रहा और मुझे राज्य वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के साथ औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही तरह की करीब 16 बार मुलाकात करने का अवसर भी मिला था।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मैंने गुजरात, बिहार, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों से कई बार मुलाकात की, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्तमंत्रियों और अधिकारियों के साथ अनेक बार विचार-विमर्श के दौरान मैंने पाया कि जीएसटी पर उनमें से अधिकांश का दृष्टिकोण रचनात्मक था और उनमें जीएसटी लाने के प्रति प्रतिबद्धता अंतर्निहित थी, इसलिए मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो गया था कि अब कुछ समय की ही बात है और जीएसटी आखिरकार लागू होकर रहेगा। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मेरा विश्वास उस समय सही साबित हुआ, जब 8 सितंबर 2016 को संसद के दोनों सदनों तथा पचास प्रतिशत से अधिक राज्य विधानसभाओं में इस विधेयक को पारित कर दिया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान में संशोधन के बाद, संविधान के अनुच्छेद 279 क के प्रावधानों के अनुसार जीएसटी परिषद का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्यों का संयुक्त मंच है, जहां केंद्र और राज्य दोनों ही एक दूसरे के समर्थन के बिना कोई निर्णय नहीं ले सकते, वैसे तो संविधान में परिषद के निर्णय लेने की प्रकिया में विस्तृत मतदान की व्यवस्था है, लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि परिषद की अब तक की 19 बैठकों में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस बात को लेकर आशंका थी कि राज्यों के बीच व्यापक विविधताओं को देखते हुए हजारों वस्तुओं की दरें निर्धारित करने का कार्य क्या जीएसटी परिषद पूरा करेगी या नहीं, परिषद ने इस कार्य को समय पर पूरा करके सभी को सुखद आश्चर्य की अनुभूति कराई है। राष्ट्रपति ने कहा कि कर व्यवस्था के एक नए युग का सूत्रपात चंद ही मिनटों हो गया है, जो केंद्र और राज्यों के बीच बनी व्यापक सहमति का परिणाम है, इस सहमति को बनने में केवल समय ही नहीं लगा, बल्कि इसके लिए अथक प्रयास भी करने पड़े, ये प्रयास राजनीतिक दलों की ओर से किए गए, जिन्होंने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण सोच को दरकिनार कर राष्ट्रहित को तरजीह दी, यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और विवेक का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि कराधान और वित्त संबंधी मामलों से काफी हद तक जुड़े रहे मेरे जैसे व्यक्ति के लिए भी यह बदलाव वास्तव में चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क का एक लंबा इतिहास रहा है, वित्तमंत्री के रूप में मेरे विभिन्न कार्यकालों के दौरान केंद्रीय कोष में यह सबसे अधिक योगदान करने वालों में से एक रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सेवा शुल्क एक नया क्षेत्र है, लेकिन राजस्व के संदर्भ में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है, वस्तु और सेवाकर के दायरे से बाहर कुछ वस्तुओं को छोड़कर अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और विभिन्न उपकरों और अधिभारों के साथ अब ये दोनों समाप्त हो जाएंगे। वस्तु और सेवा के दायरे में आने वाली वस्तुओं के लिए अंतरराज्यीय बिक्री पर लगने वाला केंद्रीय बिक्री कर खत्म हो जाएगा। राज्य स्तर पर बदलाव की संभावना कम नहीं है। सम्मिलित किए जा रहे मुख्य करों में मूल्यवर्धित कर या बिक्री कर, प्रवेश शुल्क, राज्य स्तरीय मनोरंजन कर और विभिन्न उप करों और अधिभारों के साथ विज्ञापनों पर कर और विलासिता कर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी भारत में निर्यात को और अधिक स्पर्धी बनाएगा तथा आयात से स्पर्धा में घरेलू उद्योग को एक समान अवसर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि अभी निर्यात में कुछ अंतर-निहित कर जुड़े हुए हैं, इसलिए निर्यात कम स्पर्धी है, घरेलू उद्योग पर कुल कर भार पारदर्शी नहीं है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत कर भार पारदर्शी होगा और इससे निर्यात पर कर बोझ पूरी तरह खत्म करने और आयात पर घरेलू कर भार समाप्त करने में सहायता मिलेगी।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी एक आधुनिक विश्वस्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के जरिए लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी कठिन बदलाव है, यह वैट लागू होने से मिलता-जुलता है, शुरूआत में उसका भी विरोध हुआ था, जब इतने बड़े पैमाने पर बदलाव लाया जाने वाला हो, चाहे वह कितना ही सकारात्मक क्यों न हो, शुरुआती अवस्था में थोड़ी-बहुत कठिनाईयां और परेशानियां तो होती ही हैं, हमें समझदारी के साथ और तेजी से इन सबको सुलझाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े बदलावों की सफलता हमेशा उनके प्रभावी कार्यांवयन पर निर्भर करती है और वास्तविक कार्यांवयन के अनुभवों के आधार पर जीएसटी परिषद तथा केंद्र और राज्य सरकारें अबतक प्रदर्शित की जा रही रचनात्मक भावना के साथ लगातार इसकी रूपरेखा की समीक्षा करती रहें और इसमें सुधार लाती रहें। उन्होंने कहा कि मैं प्रत्येक भारतवासी का इस नई कर व्यवस्था के सफल कार्यांवयन में सहयोग देने के आह्वान करता हूं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस अवसर पर कहा कि जीएसटी भले ही गंतव्य कर हो, लेकिन भारत के लिए एक नई यात्रा की शुरूआत है, एक ऐसी यात्रा, जहां भारत अपने आर्थिक क्षितिज और गौरवशाली राजनीतिक विज़न को विस्तार देने की असीम संभावनाओं के लिए जगेगा। उन्होंने कहा कि पुराना भारत आर्थिक दृष्टि से खंडित था, नया भारत एक देश के लिए एक कर, एक बाजार बनाएगा और नई नियति लिखेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जीएसटी काउंसिल के सहमति आधारित कार्य में संविधान संशोधन के लिए सर्वसम्मत समर्थन यह दिखाता है कि भारत संकुचित राजनीति से ऊपर उठ सकता है और व्यापक राष्ट्रीयहित के लिए एक स्वर में बोल सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सामूहिक रूपसे सोच सकता है और व्यापक उद्देश्य के लिए परिपक्वता के साथ कार्य कर सकता है। अरुण जेटली ने कहा कि संविधान कहता है कि भारत राज्यों का संघ है, मगर संघ तभी शक्तिशाली होगा, जब राज्य और केंद्र दोनों मजबूत हों, सहयोगी संघवाद का यही वास्तविक अर्थ है। उन्होंने कहा कि जीएसटी बनाते हुए न तो केंद्र ने और न ही राज्यों ने अपनी संप्रभुता छोड़ी, बल्कि उन्होंने अपनी संप्रभुता को प्रत्यक्ष कराधान पर संयुक्त निर्णय करने के लिए आगे बढ़ाया है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र, विधानसभाओं सहित 29 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों तथा व्यापक वैविध्यपूर्ण हितों वाले बहुदलीय लोकतंत्र की विशाल और जटिल प्रणाली में हमने भारतीय राजनीति के उत्कर्ष को प्रदर्शित करते हुए विशाल कर सुधार को अंजाम दिया है। उन्होंने इस कार्य में योगदान देने वाले सभी सांसदों, राज्य सरकारों, समस्त राजनीतिक दलों, राज्यों के वित्तमंत्रियों तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों की समर्पित टीम की व्यापक सराहना की। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, देश के पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेता एचडी देवीगौड़ा, मंत्री परिषद के सभी सदस्य, राज्य सरकारों के मंत्रिगण, अधिकारी, सांसद इस ऐतिहासिक अवसर पर मौजूद थे।