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Saturday 19 August 2017 05:41:36 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने अंतर्देशीय कंटेनर डिपो यानी आईसीडी, कंटेनर फ्रेट स्टेशन यानी सीएफएस और या एयर फ्रेट स्टेशन स्थापित करने हेतु प्रक्रिया को सरल बना दिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य कंपनियों के लिए तेजी से और अधिक पारदर्शी रूपसे अनुमोदन प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। इसके लिए कंपनियां अब ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं और किसी सरकारी कार्यालय में जाए बिना ही अपने आवेदन की प्रगति और अद्यतन स्थिति का ऑनलाइन ही पता कर सकती हैं। यह सरकार का बाह्य मंत्रालयी आईटी पहल की अपेक्षा एक प्रमुख अंतर-मंत्रीस्तरीय आईटी आवेदन के रूप में एक अग्रणी प्रयास है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने आवेदनों के ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण और प्रसंस्करण के लिए एक पोर्टल की भी स्थापना की है।
कंपनियों को आईसीडी, सीएफएस, एएफएस स्थापित करने के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में अनेक विभाग शामिल हैं। एक अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति यह सुविधा प्रदान करती है। इस समिति में वाणिज्य, वित्त राजस्व विभाग, रेलवे और नौवहन के अधिकारी शामिल हैं। यदि आवश्यक हो तो संबंधित राज्य सरकार का विचार भी मांगा जाता है। यह आईएमसी वाणिज्य विभाग में स्थित है जो अनुमोदन प्रक्रिया के लिए एकल खिड़की के रूप में कार्य करती है। वर्तमान प्रक्रिया में आवेदनकर्ता अपेक्षित दस्तावेजों के साथ आवेदन पत्र की दस वस्तुगत प्रतियां वाणिज्य विभाग नई दिल्ली के बुनियादी ढांचा प्रभाग में जमा करता है। इसके अलावा उसे एक प्रति क्षेत्राधिकार आयुक्त सीमा शुल्क के पास भी जमा करनी होती है।
आवेदन की जांच की प्रक्रिया बहुत लंबी है और आवेदन पत्र बहुत भारी होता है, क्योंकि उसके साथ लगभग 500 से 1000 पृष्ठों की प्राथमिक सामग्री संलग्न होती है। अनुमोदन प्राप्त होने पर आवेदक को अनुमोदन की तिथि से एक वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचा स्थापित करना आवश्यक है। समिति इस कार्य में की गई देरी के औचित्य की समीक्षा करने के लिए कंपनी को छह महीने का और समय दे सकती है। आवेदक ने आवश्यक बुनियादी ढांचे को स्थापित किया है तो उसे क्षेत्राधिकारी आयुक्त सीमा शुल्क के सुरक्षा मानकों की पुष्टि करनी होती है और सीमा शुल्क विभाग को बैंक गारंटी के साथ एक बांड देना होता है। सीमा शुल्क विभाग अंतिम मंजूरी और सीमा शुल्क अधिसूचना जारी करता है, उसके बाद सुविधा परिचालन की घोषणा की जाती है।
हितधारक अक्सर ये शिकायतें करते हैं कि मैन्युअल प्रक्रिया बहुत जटिल है और इससे न केवल दस्तावेजों को नुकसान होता है, बल्कि विभिन्न एजेंसियों या विभागों में विभिन्न मंजूरियों की स्थिति के बारे में पारदर्शिता का अभाव रहता है, इसलिए विभिन्न हितधारकों की लगातार मांग है कि इन प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए। इस कारण वाणिज्य विभाग ने इस परियोजना की शुरूआत की और आवेदकों की सुविधा के लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है। इसी दृष्टिकोण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के आदर्श वाक्य की कल्पना की थी।