स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 24 August 2017 05:07:51 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अन्य पिछड़े वर्गों के उपश्रेणीकरण के मुद्दे पर संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत एक आयोग के गठन के प्रस्ताव की मंजूरी हुई है। यह आयोग, अध्यक्ष की नियुक्ति की तिथि से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा। आयोग को अन्य पिछड़े वर्गों के उपश्रेणी की जांच आयोग के रूपमें जाना जाएगा। केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी के संदर्भ में ओबीसी की विस्तृत श्रेणी में शामिल जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की प्रमात्रा की जांच करना, ऐसे पिछड़े वर्गों के भीतर उपश्रेणीकरण हेतु क्रिया विधि, मानदंड मानकों एवं पैरामीटरों का वैज्ञानिक तरीके से आंकलन करना और अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों, समुदायों, उप-जातियों और पर्यायों की पहचान करने तथा उन्हें उनकी संबंधित उपश्रेणी में श्रेणीकृत करने की कवायद आरंभ करना प्रस्तावित आयोग के कार्य होंगे।
उच्चतम न्यायालय ने डब्ल्यूपी (सी) संख्या 930/1990 (इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ) के मामले में अपने 16 नवंबर 1992 के निर्णय में यह कहा है कि पिछड़े एवं अति पिछड़े एवं अति पिछड़ों के रूपमें विभाजित करने पर कोई संवैधानिक या विधि की कोई रोक नहीं है, अगर सरकार चाहे तो इस पर कोई विधिक अड़चन नहीं है। इसमें नौ राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुद्दुचेरी, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों के उप वर्गीकरण की व्यवस्था है। भारत सरकार के निर्णय के अनुसार पिछड़े वर्ग में भी पिछड़ेपन की सीमा तय करते हुए आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। यह एक प्रकार से निर्धारित आरक्षण के भीतर ही आरक्षण होगा। केंद्र सरकार ने क्रीमीलेयर की आय सीमा भी आठ लाख रुपए करने का फैसला किया है, जो अभी तक छह लाख रुपए थी।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इसमें यह देखना है कि ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल जातियों को क्या उनकी संख्या के अनुसार सही अनुपात में आरक्षण का लाभ मिल रहा है कि नहीं। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि देश में जारी आरक्षण प्रणाली पर भी कोई फिरसे विचार होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में सरकार के पास न तो कोई प्रस्ताव है और न ही भविष्य में ऐसा होगा। उन्होंने ओबीसी की तरह अनुसूचित जाति में भी वर्गीकरण से इनकार किया। ओबीसी की नई आरक्षण व्यवस्था से उन लोगों को नौकरियों में लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा, जो आरक्षण मिलने के बावजूद नौकरी से वंचित थे।