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Friday 25 August 2017 01:32:21 AM
लखनऊ। लखनऊ में धार्मिक आध्यात्मिक सामाजिक चेतना आराधना और आस्था का प्रसिद्ध मनकामेश्वर मठ मंदिर आज मानवजीवन के उत्थान के एवं महंत देव्यागिरि की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के प्रतिमान के रूपमें भी बड़ी ख्याति अर्जित कर रहा है। मनकामेश्वर मठ मंदिर में आस्थावादियों का मेला लगा होता है तो यहां और भी सामाजिक क्रियाकलाप होते हैं, जिनमें महिला सशक्तिकरण भी एक पहल है। मनकामेश्वर मठ मंदिर में यह पहल देखने को मिली, जिसमें महंत देव्यागिरि की मौजूदगी में महिलाओं का अखंड सौभाग्यवती का विशेष पूजन-अर्चन हुआ, जिसे मठ मंदिर की ओर से महिलाओं के लिए श्रेष्ठ सामाजिक उत्तरदान कहा गया है। मठ मंदिर परिसर में महिलाओं की मेंहदी, आलता सज्जा और समान्य ज्ञान की प्रतियोगिताएं हुईं, जिनमें महिलाओं और बालिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। महंत देव्यागिरि के ऐसे अभिनव प्रयासों की सराहना हो रही है। यह चित्र अपने में एक हजार शब्द हैं, जो सौभाग्य और महिला सशक्तिकरण का व्यापक संदेश देते हैं। प्रतियोगिताओं में महंत देव्यागिरि की ओर से अमीषा वर्मा, शिवानी, रूपाली, राखी को अव्वल रहने का गौरव प्राप्त हुआ।
महिलाओं के खास पर्वों में से एक हरतालिका तीज पर यह प्रतियोगिताएं हुईं। प्रतिभागियों ने हाथों पर शिव पार्वती, डमरू, सौभाग्य के चिन्ह सतिया, कलश, फूल और बेल के चित्र उकेरे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए भी मेंहदी प्रतियोगिता हुई, जिसपर महंत देव्यागिरि ने सतत सत्य कहा कि बेटियां ही नहीं होंगी तो समाज का विकास कैसे होगा, ऐसे तो समाज ही पतन की ओर चला जाएगा। उन्होंने कहा कि यह वही देश है, जहां नारियों को देवी का दर्जा दिया गया है, ऐसे में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक संतुलन को बिगड़ने न दे और स्वस्थ्य समाज के गठन में अपना सकारात्मक योगदान दे। सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रतिभागियों से हरतालिका पर्व से संबंधित जानकारियां हासिल की गईं। प्रतियोगिता के माध्यम से भक्तों ने जाना कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है, जिसमें माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूपमें पाने केलिए यह कठिन निर्जला व्रत रखा था।
महंत देव्यागिरि ने भक्तों को सुनाया कि किस प्रकार भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने मिट्टी की शिव प्रतिमा बनाकर रातभर उसका पूजन अर्चन कर महादेव को प्रसन्न किया था। उन्होंने सुनाया कि कच्ची मिट्टी के शिव पार्वती, गणेश कार्तिकेय और नंदी बनाकर उनका पूजन किया जाता है और अगले दिन नदी में उन प्रतिमाओं का विसर्जनकर महिलाएं व्रत पूरा करती हैं। इन प्रतियोगिताओं में उपमा पांडेय, नम्रता मिश्रा, ममता, पूनम, पूजा, तुलसी, रेखा, रेनु, खुशबू, पूजा पाल, ऋतु, गौरजा, कल्याणी ने भाग लिया। गुरुवार को महिलाओं ने पति के दीर्घ और स्वस्थ जीवन के लिए मनकामेश्वर मठ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर बाबा का भव्य श्रंगार किया गया था। भक्तों ने बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, दूध, फल और मिष्ठान अर्पित किए। महिलाओं ने भजन कीर्तन किया, महंत देव्यागिरि के साथ सुबह और शाम की महाआरती शंखनाद, ढोल ताशे नगाड़े और विशाल डमरू के संग हुई। मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने आध्यात्मिक चेतना के इस मठ मंदिर को बहुआयामी रूप दिया है, जिसकी प्रतिष्ठा के नए प्रतिरूप के प्रति बड़ी संख्या में आकर्षित आध्यात्मी मनकामेश्वर मठ मंदिर में अपने दुख-दर्द के निवारण एवं जीवन के गूढ़ प्रश्नों के उत्तर की जिज्ञासा में यहां आते हैं और अपनी आध्यात्मिक चेतना के उद्देश्य की सफलता की कामना करते हैं।