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Thursday 21 February 2013 09:41:58 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को संसद के दोनों सदनों के समक्ष अभिभाषण दिया। उन्होंने कहा कि एक महत्वाकांक्षी भारत का उदय हो रहा है, एक ऐसा भारत जहां अधिक अवसर, अधिक विकल्प, बेहतर आधारभूत संरचना तथा अधिक संरक्षा एवं सुरक्षा होगी। उन्होंने कहा कि हमारे युवा जो हमारी सबसे बड़ी राष्ट्रीय धरोहर हैं, आत्मविश्वास और साहस से परिपूर्ण हैं, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि इनका जोश, इनकी ऊर्जा और इनका उद्यम भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि इन आकांक्षाओं के बीच, हमारे सामने आर्थिक मंदी, रोज़गार सुरक्षा और रोज़गार के अवसरों के सृजन की चुनौतियां भी हैं। समाज हमारी महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। लोग समय पर अपेक्षित सेवाओं को प्राप्त करने तथा व्याप्त सामाजिक एवं आर्थिक असमानता को लेकर भी चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि पिछला वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कठिन रहा है, यूरोप में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है, अधिकांश उभरते बाजारों में विकास की गति बहुत धीमी है। यह वर्ष भारत के लिए भी कठिन रहा है। वैश्विक एवं घरेलू, दोनों ही कारणों से हमारा विकास प्रभावित हुआ है। हमें इन दोनों के दुष्प्रभावों का समाधान करना होगा। सरकार ने इस स्थिति की ओर ध्यान दिया और निवेश गतिविधियों को पुनर्जीवित करने तथा निवेश वातावरण को सुधारने के लिए पिछले कुछ महीनों के दौरान अनेक उपाय किए हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण पहल की है जिसके तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली (Direct Benefits Transfer System) प्रारंभ की गई है। इससे सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभों, यथा छात्रवृत्ति, पेंशन और मातृत्व लाभ, को सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजा जा सकेगा। लाभार्थी अपनी आधार संख्या के माध्यम से इन लाभों को प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली के अंतर्गत मजदूरी तथा खाद्य पदार्थों एवं एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी को भी शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रणाली की सहायता से निधि के रिसाव (Leakage) को कम करने, लाखों लोगों को वित्तीय प्रणाली के अंतर्गत लाने और लाभार्थियों को बेहतर रूप से चिह्नित करने में मदद मिलेगी। यह, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, हमारे निर्धनतम नागरिकों को लाभ पहुंचाने में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में एक नई दिशा-निर्धारक का कार्य करेगी, परंतु प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली सार्वजनिक सेवाओं का स्थान नहीं लेगी और यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पूरक होगी।