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लखनऊ में कश्मीरी युवकों के एंकाउंटर की जांच हो

इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गिरफ्तारी का स्वागत-रिहाई मंच

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 22 February 2013 07:30:42 AM

लखनऊ। रिहाई मंच ने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ में आरोपी एसीपी जीएल सिंघल की गिरफ्तारी का स्वागत करते हुए इसे न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धी बताई है। एक विज्ञप्ति में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि यह गिरफ्तारी आतंकवाद के नाम पर निर्दोषों की हत्या करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार के मुंह पर जोरदार तमाचा है। उन्होंने कहा कि यदि न्याय प्रणाली इस मसले पर ठीक से काम करे तो वह दिन दूर नहीं जब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं, बल्कि इसी मामले में सलाखों के पीछे होंगे।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि इस घटना से यह साफ हो जाता है कि राजनीतिज्ञों पर कथित हमले के नाम पर किए गए तमाम एनकाउंटर फर्जी हैं तथा ये हत्याएं राजनीतिक लाभ के लिए की जाती हैं, ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि उन तमाम घटनाओं की सीबीआई से जांच करवाई जाए, जिनमें राजनेताओं पर आतंकवादी हमले के नाम पर मुस्लिम युवकों का कत्ल किया गया है या उन्हें जेलों में सड़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके तहत यूपी में 2007 में राहुल गांधी पर हमले के नाम पर दो युवकों को आतंकी कह पकड़ा गया तो वहीं दिसंबर 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की हत्या करने की साजिश के नाम पर चिनहट में कश्मीर से शाल बेचने आए दो युवकों की हत्या कर दी गई थी। उस दौर की मीडिया रिपोर्टों में भी यह बात आई थी। जब तत्कालीन एडीजी बृजलाल से पत्रकारों ने पूछा कि चिनहट में एनकाउंर कैसे हुआ तो बृजलाल ने कहा कि मारे गए युवकों के मोबाइल सर्विलांस पर थे, जिसके जरिए उन्हें ट्रेस किया गया था, जब एक पत्रकार ने यह सवाल किया कि मारे गए दोनों युवकों के पास से कोई मोबाइल जब्ती नहीं हुई तो बृजलाल ने सवाल टाल दिया था, इसलिए तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल समेत इन दोनों अभियानों में शामिल पुलिस कर्मियों को जांच के दायरे में लाया जाए।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं चूंकि राजनीतिक कारणों से होती हैं, जो सिर्फ अफसरशाही के इशारे पर नहीं हो सकतीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी का नेतृत्व इसमें शामिल रहता है, इसलिए राहुल गांधी और मायावती को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए ताकि आतंकवाद से लड़ने के नाम पर राजनेताओं और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बने इस आतंकवादी गठजोड़ का खुलासा हो सके।

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