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Tuesday 5 September 2017 10:30:12 AM
भोपाल। भारतीय सामाजिक जीवन में धर्म आधारित आध्यात्मिक आस्थाओं में अज्ञानतावश पैदा हुईं विभिन्न विकृतियों के समाधान और आध्यात्मिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अनेक धर्मशास्त्रों और मनीषियों ने तो जनमानस को समय-समय पर मार्ग दिखाए ही हैं, जनसामान्य ने भी ऐसे अनुकरणीय समाधान प्रस्तुत किए हैं, जो नकेवल समाज को जागरुक करते हैं, अपितु समाज को दिशा देते हुए धर्म और आस्था के प्रति सम्मान के नए उच्च मानदंड भी स्थापित करते हैं। सिद्धिविनायक भगवान गणेश के उत्सव के बाद उनकी प्रतिमा के नदी जल में विसर्जन का यह सुधारवादी प्रसंग भी आज समाज के सामने मौजूद है, जिसके अनुसरण से भगवान गणेश की प्रतिमा का सम्मानपूर्वक विसर्जन का उद्देश्य पूरा होता है और नदियों में जल की निर्मलता और स्वच्छता का अभियान भी सार्थक होता है।
भोपाल में शाहपुरा के सेक्टर सी में कई वर्ष से सीमा झा और उनकी मित्र भी ईको-फ्रेंडली गणेश पूजन करती आ रही हैं। उन्होंने नदी और तालाब में प्रदूषण को रोकने के लिए एक नई सोच विकसित करते हुए इस बार भी घर आंगन में ही बड़े बर्तन में जल भरकर उसमें विधिपूर्वक धूमधाम से गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया। गणेश प्रतिमा विसर्जन की यह पद्धति जहां प्रतिमा के जल में विसर्जन के सारे आध्यात्मिक उद्देश्य पूरे करती है, वहीं यह संदेश भी देती है कि तालाब या नदी में प्रतिमाएं और उनके साथ पूजा में प्रयोग किए गए सामान का विसर्जन करके उसे प्रदूषित नहीं किया जाए।
सीमा झा और उनकी मित्रों की इस सोच को बड़ा ही समर्थन मिल रहा है और गणेश उत्सव मनाने वाले भोपाल के ऐसे कई समूह उनसे जुड़ भी गए हैं। ये सभी लोग मिलकर प्रतिमाओं के तालाब या नदी में विसर्जन के बजाय प्रतिमा विसर्जन की इस नई पद्धति को अन्य लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं। उन्होंने और भोपाल के अनेक जागरुक लोगों ने भी इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से भी जोड़ दिया है। सीमा झा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में दो अक्टूबर गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान के बारे में जागरुक किया था, इसलिए भी इसे ध्यान में रखकर इस कदम को आगे बढ़ाने का अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने अपने ही घर में एक सुंदर वाटिका बनाई हुई है, जहां एकत्र होकर सभीजन हर प्रमुख त्यौहार बहुत ही अच्छे से मनाते हैं।