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Friday 22 February 2013 09:15:55 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ताबड़तोड़ लूट एवं डकैती नोएडा में हड़ताल के दौरान वाहनों एवं फैक्ट्रियों में आगजनी, लूट की घटनाओं से यह साबित हो गया है कि जहां एक ओर प्रदेश में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है, वहीं दूसरी ओर सरकार तथा शासन दर्शक की भूमिका में हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी ने एक बयान में कहा कि राजधानी लखनऊ में सरकार की नाक के नीचे सिलसिलेवार लूट की घटनाओं के तहत पहले दिन चौक में हीरा व्यापारियों से लूट हुई, उसके ठीक दूसरे दिन आलमबाग में मूथूट फाइनेंस में डकैती की घटनाओं से यह साबित होता है कि पुलिस ऐसी घटनाओं से कोई सबक नहीं ले रही है और अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर पहले दिन की घटना के बाद ही पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी होती तो अपराधियों ने आलमबाग की घटना का दुस्साहस न किया होता। इसी प्रकार हड़ताल के दौरान नोएडा में अराजक तत्वों ने जिस प्रकार आगजनी एवं लूट की है, उससे साफ है कि पुलिस योजनाबद्ध तरीके से ऐसी घटनाओं में उदासीनता बरत रही है और राजनीतिक शह पाये अपराधी अपने काम को बखूबी अंजाम देने में लगे हुए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सूबे में सत्तापक्ष और अपराधियों के बीच गठजोड़ का शक लगातार गहराता जा रहा है। जहां एक तरफ जरायम को प्रश्रय देने वाले को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ अपहरण और मारपीट के आरोप में मंत्री पद से हटाये गये व्यक्ति को पुनः सम्मानित तरीके से मंत्री पद पर नवाजा जाता है, ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के दायरे में काम करने वाले एवं शिकायत करने वाले अधिकारियों को अपमानित किया जाता है। सरकार ऐसे फैसलों से आखिर क्या संदेश देना चाहती है? एक मंत्री अपने ही विभाग के सीनियर मंत्री पर खुलेआम आरोप लगा रहा है तो एक और मंत्री सार्वजनिक रूप से 15फीसद कमीशन को जायज ठहरा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस सरकार की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी तथा अराजकता संगठित शक्ल ले रहा है और व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा बनता जा रहा है।
त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने जिस युवा मुख्यमंत्री से काफी उम्मीदें बांध रखी थीं, उसकी प्रदेश की नौकरशाही से निपटने में अनुभवहीनता, प्रशासनिक पकड़ में कमजोरी ने प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यह बात उनके बयानों से भी प्रमाणित होती है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों, नौकरशाहों के राजनीतिकरण की बात कही थी। इससे ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार अधिकारियों के सामने बेबस और लाचार है।