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Saturday 18 November 2017 03:14:07 AM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि हम एक विकसित भारत का निर्माण नहीं कर सकते, यदि समाज में जाति, पंथ, धर्म और लिंग पर आधारित असमानताएं विद्यमान हैं। पीएस कृष्णन की पुस्तक ‘सोशल एक्सक्लूजन एंड जस्टिस इन इंडिया’ के विमोचन के दौरान उपराष्ट्रपति ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए यह बात कही। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले सात दशक से लेखक समाज के वंचित वर्गों की समस्याओं का अध्ययन कर रहे हैं, इन्होंने भारतीय समाज में भेदभाव को नज़दीक से अनुभव किया है, जो समाज में एक अभिशाप है और पुस्तक इस तथ्य का साक्ष्य है कि उन्हें वंचित वर्गों, दलितों, आदिवासियों और सामाजिक एवं आर्थिक रूपसे पिछड़े वर्गों के मामलों की गहरी जानकारी है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लेखक पीएस कृष्णन को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रहने वाले पिछड़े सामाजिक वर्गों की कठिनाइयों का लंबा अनुभव है और वे इनके निदान के लिए व्यावहारिक और प्रभावी तरीके भी सामने रखते आए हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि लेखक ने महात्मा गांधी और डॉ भीमराव अंबेडकर के बीच संवादों का पता लगाया है, पुस्तक में इस बात का वर्णन किया है कि भारतीय संविधान के अंतिम प्रारूप में इन दोनों व्यक्तियों के पृथक विचारों का किस प्रकार समायोजन किया गया है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पुस्तक संविधान के प्रावधानों का गंभीरता से वर्णन करती है कि किस प्रकार प्रावधानों को अधिनियमों में परिवर्तित किया गया है। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासी और पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने के पश्चात ही हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकेगा। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।