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उत्तर प्रदेश निकाय में फिर बीजेपी का डंका

यूपी के भाजपा के रणनीतिकारों को फिर बड़ी सफलता

गुजरात चुनाव पर भाजपा की विजय का बड़ा असर

Friday 1 December 2017 04:06:16 AM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

bjp

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव के परिणाम प्रचंड रूपसे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गए हैं, जिससे यूपी से गुजरात तक गदगद है। उत्तर प्रदेश के नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों में भाजपा ने जबरदस्त जीत हासिल की है और सपा-कांग्रेस एवं बसपा के छक्के छुड़ा दिए हैं, इससे साबित हुआ है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहले जैसा जलवा अनवरत कायम है। भाजपा जनता की पहली पसंद बनी हुई है और लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव एवं स्‍थानीय निकाय चुनाव में उसने अपनी लहर कायम रखी हुई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में जहां भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और सहयोगी नेताओं की मेहनत की दिल खोलकर सराहना की है, वहीं इन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल की संगठन रणनीतियों और मार्गदर्शन को इस जीत का श्रेय दिया है। योगी आदित्यनाथ ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग और सुरक्षाबलों की प्रशंसा की है। भाजपा की इस जीत से उत्तर प्रदेश भाजपा में जश्न का माहौल है और एक-दूसरे को बधाइयां एवं मिठाईयां दी जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत से गदगद उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल, नगरविकास मंत्री सुरेश खन्ना, रीता बहुगुणा जोशी, आशुतोष टंडन, कानून मंत्री बृजेश पाठक आदि मंत्रियों का इस विजय का वातावरण बनाने के लिए आभार जताया। दोनों नेताओं ने कहा ‌कि इस जीत से भाजपा की जिम्मेदारी और बढ़ गई है और गुजरात के संदर्भ में यह और भी बड़ी जीत है। वास्तव में भाजपा की चुनावी रणनीतियों की इस सफलता का विपक्ष ने लोहा मान लिया है। माना जा रहा है कि भाजपा की यह प्रचंड सफलता गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड विजय का एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध होगी। उत्तर प्रदेश स्‍थानीय निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ जीएसटी जैसे मुद्दे बनाकर बहुत शोर मचाया हुआ था, जबकि बहुजन समाज पार्टी अपने प्रत्याशी खड़े करके सपा और कांग्रेस के 'शोर और शो' से बाहर खड़ी थी, इसके बावजूद बसपा को सपा-कांग्रेस से ज्यादा सफलता मिली है।
सपा और कांग्रेस के लिए यह चुनाव परिणाम बेहद निराशाजनक साबित हुए हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की यह लगातार दूसरी बड़ी पराजय है। ये चुनाव उनकी अहंकार और तुष्टिकरणजनित रणनीतियों की विफलताओं में गिने जाएंगे, वे निरुत्तर हो गए हैं और माना जा रहा है कि सपा के संस्‍थापक नेता मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव को अलग-थलग करके सपा को चलाने में अखिलेश यादव अभी भी सक्षम नहीं हैं। स्‍थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस और सपा ने जिस प्रकार और जिन मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ लामबंदी की थी और भाजपा पर तीखे हमले किए थे, उन्हें लेकर मीडिया के एक वर्ग में भी बड़ा संशय था कि जीएसटी, नोटबंदी, कानून व्यवस्‍था या भाजपा कार्यकर्ताओं में अपनी ही सरकार के प्रति कथित निराशा के दुष्परिणाम भाजपा को देखने को मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां, उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी, लेकिन कहीं-कहीं पर भाजपा को अपनों ने भी घेरा है, जिसके कुछ वाज़िब कारण भी हैं, तथापि यह चुनाव परिणाम 2019 तक भाजपा के उच्च मनोबल में कारगर सिद्ध होंगे। भाजपा का मुख्य लक्ष्य अब 2019 है, हालांकि उत्तर प्रदेश में अभी दो लोकसभा उपचुनाव और सहकारिता के चुनाव भी होने हैं, मगर इनमें भी भाजपा को ‌कोई नहीं रोक सकेगा।
अयोध्‍या-फैजाबाद और मथुरा से बीजेपी के उम्‍मीदवार ने जीत दर्ज की है। अयोध्‍या-फैजाबाद पहलीबार नगर निगम बना है, जिसके मेयर के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिसे प्रत्याशी बनाया था, उसका संदेश सपा के खिलाफ ही गया है। माना गया है कि अयोध्या जैसे विश्व प्रसिद्ध आस्‍थावादी स्‍थान का समाजवादी पार्टी ने उपहास किया है। यद्यपि लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन समाजवादी पार्टी और उसका नेतृत्व एवं उसके कुछ नामधारी नेता किसी न किसी रूप में अयोध्या का उपहास ही उड़ाते आए हैं, लेकिन अयोध्या की जनता ने समाजवादी पार्टी को उसका उपहास करने पर उसे करारा तमाचा जड़ा है। भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रत्याशियों का जहां तक सवाल है तो इसबार भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी है, कहीं-कहीं पर बाहर से आए प्रत्याशियों को भी आजमाया गया है, जिसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराज़गी भी देखी गई, लेकिन इसके बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत से भाजपा को जीत दिलाई है। इस चुनाव में इसबार अनेक स्‍थानों पर यह भी देखा गया कि मतदान प्रतिशत कम रहा है, जिसका कारण बार-बार चुनाव होना भी है।
निकाय चुनाव में विपक्ष के दुष्प्रचार ने भाजपा का कुछ पीछा तो किया है, लेकिन यह तथ्य स्‍थापित रहा है कि पोलिंग बूथ पर आम जनता का नज़रिया भाजपा के काफी अनुकूल है, समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस भी मुकाबले से बाहर है और बसपा का सपा और कांग्रेस से अलग रहकर चलने का फैसला उसके लिए सही साबित हुआ है, नहीं तो बसपा इसबार भी साफ थी। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया गया था, जबकि योगी सरकार को बने इतना समय नहीं हुआ है कि इसे योगी सरकार की अग्नि परीक्षा मान ली जाए। भाजपा सरकार इन चुनावों पर काफी गंभीर दिखी, जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो-तीन दर्जन जनसभाओं को संबोधित किया। यह भी पहला मौका है, जब किसी मुख्यमंत्री ने नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार किया है। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रमुख हरिश्चंद्र श्रीवास्तव हरीशजी का कहना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा के कार्यकर्ताओं को पूरा भरोसा था कि स्‍थानीय निकाय चुनाव में भाजपा को भारी सफलता मिलनी निश्चित है और वैसा ही हुआ भी। उनका कहना है कि इसी प्रकार गुजरात चुनाव में भी भाजपा को प्रचंड सफलता मिलनी निश्चित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल, योगी मं‌त्रिमंडल में रीता बहुगुणा जोशी, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, मंत्री बृजेश पाठक, आशुतोष टंडन आदि ने उत्तर प्रदेश की जनता को भाजपा को एकबार फिर यह शानदार जीत दिलाने के लिए धन्यवाद और बधाई दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि इस चुनाव में भाजपा ने सात हजार वार्डों में से चार हजार वार्डों पर प्रचंड जीत दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय चुनाव में इसबार सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा है, जिससे यह भी संशय नहीं रहा है कि किसके कितने जीते हैं। समाजवादी पार्टी में बड़ी निराशा का माहौल है और कांग्रेस इसलिए परेशान हो गई है कि उसका गुजरात चुनाव और ज्यादा खराब हो गया है। बहरहाल इस चुनाव ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की और ज्यादा उत्साहजनक तैयारियों का मार्ग प्रशस्त किया है।

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