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Sunday 3 December 2017 12:37:46 AM
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून यानी आईएचएल की सामरिक चुनौतियों पर आईसीआरसी तथा सीयूएनपी के बीच मानकशा सेंटर नई दिल्ली में 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक संयुक्त संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी में सशस्त्र संघर्षों के बदलते स्वरूप तथा आईएचएल और शांति बनाए रखने पर पड़ने वाले इसके प्रभावों, संवेदनशील जनसंख्या पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभावों तथा इन चुनौतियों से निपटने की नीतियों और सामने आ रही चुनौतियों को हल करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। संगोष्ठी का लाभ उठाने के लिए और युद्ध क्षेत्र में तैनाती हेतु संयुक्त राष्ट्रों के लिए उपलब्ध रहने हेतु 14 देशों के कुल 17 भागीदार तथा 50 भारतीय अधिकारियों ने संगोष्ठी में भाग लिया। संगोष्ठी का आयोजन सीयूएनपीके तथा आईसीआरसी सहित विश्व के कुछ अत्यधिक अनुभवी तथा प्रख्यात वक्ताओं ने किया था।
संयुक्त संगोष्ठी में सुनिश्चित किया गया कि प्रशिक्षण, ध्येय तथा निर्देशन के क्षेत्र में संतुलन बनाने के लिए सभी महाद्वीपों से अनुदेशक तथा प्रशिक्षक शामिल हों। संगोष्ठी भारत में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सीयूएनपीके तथा आईसीआरसी के बीच सफल समन्वय के कारण आयोजित हुई। तीस नवंबर 2017 को इसका प्रारंभिक स्तर आयोजित किया गया। भारतीय सेना के मेजर जनरल संदीप शर्मा वीएसएम, एडीजी, एसडी, जनरल स्टॉफ ड्यूटी इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे तथा उन्होंने उद्घाटन भाषण भी दिया। आईसीआरसी दिल्ली के क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडल के प्रधान मिस्टर जरेमी इंग्लैंड तथा वरिष्ठ अधिकारी, सेना तथा आईआरसी के प्रतिनिधि भी संगोष्ठी में उपस्थित थे।