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Sunday 3 December 2017 04:22:24 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि सभी नागरिकों की पूरी क्षमता का भाव सुनिश्चित करने पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ऐसे संवेदनशील और सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण की आवश्यकता है, जहां हर व्यक्ति अपने को सशक्त महसूस करे और एक ऐसा सहानुभूतिपूर्वक समाज हो, जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के दर्द को भी महसूस कर सके। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के संविधान में दिव्यांगजनों सहित सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, न्याय और गरिमा की गारंटी दी गई है और सरकार ने भी दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण, समावेश और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई परियोजनाएं और कानून लागू किए हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि किसी भी दिव्यांगजन का मूल्यांकन उसकी शारीरिक क्षमता से नहीं, अपितु उसकी बुद्धि, ज्ञान और साहस से किया जाना चाहिए। रामनाथ कोविद ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि वे अन्य दिव्यांगजनों को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में प्रेरणादायक भूमिका निभाएंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय नागरिक अपने सभी दिव्यांगजन भारतीयों के लिए एक उचित और संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ एक नए समावेशी भारत का निर्माण करेंगे। राष्ट्रपति ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंर्तगत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के कार्यक्रम में संस्थाओं, संगठनों, राज्यों, जिलों को दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यों और उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, विजय सांपला और रामदास आठवले भी उपस्थित थे।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय राष्ट्रीय पुरस्कारों का वितरण 14 प्रमुख श्रेणियों में करता है, जिनमें-सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारी, सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता, सर्वश्रेष्ठ प्लेसमेंट अधिकारी या एजेंसी, सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति और दिव्यांगजनों के लिए कार्य करने वाली सर्वश्रेष्ठ संस्था, प्रेरणास्रोत, दिव्यांगजनों के जीवनस्तर में सुधार के उद्देश्य से सर्वश्रेष्ठ प्रायोगिक अनुसंधान या उत्पाद विकास, दिव्यांगजनों के लिए बाधारहित वातावरण के निर्माण में उत्कृष्ट कार्य, पुर्नवास सेवाएं प्रदान करने में सर्वश्रेष्ठ जिला, राष्ट्रीय दिव्यांगजन संघ विकास निगम की सर्वश्रेष्ठ राज्य चैनलाईजिंग एजेंसी, उत्कृष्ट रचनात्मक प्रौढ़ दिव्यांगजन, सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक बाल दिव्यांगजन, सर्वश्रेष्ठ ब्रेल प्रेस, सर्वश्रेष्ठ पहुंच योग्य वेबसाइट, दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाला सर्वश्रेष्ठ राज्य और सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन खिलाड़ी शामिल होते हैं। दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक नए विभाग का शुभारंभ वर्ष 2012 में किया गया था। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करते हुए इनमें कई संशोधन किए गए हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दिव्यांगों की संख्या 2.68 करोड़ है।
राष्ट्रीय पुरस्कार का इतिहास 1969 से चला आ रहा है, जब भारत सरकार दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दों पर सार्वजनिक ध्यान केंद्रित करने और समाज में उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केवल दो श्रेणियों में पुरस्कार देती थी। दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2013 में अधिसूचित किया गया था, जिसमें अब 14 व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत व्यक्तियों और संस्थानों के लिए 58 पुरस्कार शामिल हैं। इस साल व्यक्तियों और संस्थानों के चयन के लिए विज्ञापन जुलाई 2017 में जारी किया गया था और इसकी अंतिम तिथि 15 अगस्त 2017 रखी गई थी, हालांकि अभ्यावेदन प्राप्त होने पर अंतिम तारीख 10 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी। इस प्रयोजन के लिए 984 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिन्हें चार स्क्रीनिंग समितियों ने चुना था। राष्ट्रीय चयन समिति ने 10 नवंबर और 16 नवंबर 2017 को सूची को अंतिम रूप दिया। इस वर्ष व्यक्तियों और संस्थानों को 52 पुरस्कार प्रदान किए गए, पुरस्कार में प्रत्येक के लिए एक प्रमाण पत्र और कुछ श्रेणियों में पदक एवं नकद धनराशि के रूपमें 43.50 लाख रुपये शामिल थे।