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Monday 11 December 2017 01:56:59 AM
नई दिल्ली। भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड यानी आईबीबीआई ने भारत सरकार के राजपत्र में आईबीबीआई प्रतिवेदन और शिकायत प्रबंधन प्रक्रिया विनियम 2017 को अधिसूचित कर दिया है। यह नियम भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड 2016 के अंर्तगत एक हितधारक को एक सेवाप्रदाता, दिवालिया पेशेवर एजेंसी, दिवालिया पेशेवर, दिवाला पेशेवर संस्था या सूचना उपयोगिता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाता है। इसके साथ-साथ यह विनियमन प्रतिवेदनों और शिकायतों के निपटान के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया प्रदान करता है। इस नियम के तहत एक हितधारक सेवाप्रदाता के आचरण, पीड़ित होने के कारण चाहे वह आर्थिक हों अथवा या अन्य के विवरण के अलावा सेवाप्रदाता के संचालन से हुई पीड़ा के निवारण के लिए सेवाप्रदाता के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है।
आईबीबीआई अधिनियम के अनुसार एक हितधारक दो हजार पांच सौ रुपये के शुल्क के साथ निर्दिष्ट फॉर्म में इसकी शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायतकर्ता को इस संदर्भ में किसी भी सेवाप्रदाता या उससे संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ आईबीबीआई द्वारा जारी किए गए विनियमों या नियमों या दिशानिर्देशों के अंतर्गत किसी भी प्रावधान के कथित उलंघन के लिए विवरण देना आवश्यक है, इसके साथ-साथ सेवाप्रदाता या उससे संबंधित व्यक्तियों के कथित आचरण या गतिविधि के लिए आचरण या गतिविधि की तिथि और स्थल के साथ कथित उलंघन के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा है। अधिनियम के अनुसार यदि शिकायत गंभीर अथवा दुर्भावनापूर्ण नहीं है, तो शुल्क वापस कर दिया जाएगा।
आईबीबीआई अधिनियम के अनुसार अगर आईबीबीआई यह मानती है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो विनियमन 3 के उप-विनियमन (3) के तहत निरीक्षण, विनियमन 7 के उप-विनियमन (2) के तहत एक जांच का आदेश अथवा कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण एवं अन्वेषण) विनियमन 2017 के विनियमन 11 के उप-विनियमन (2) के तहत इस मामले को तदनुसार आगे बढ़ाया जाएगा। ये विनियमन 7 दिसंबर 2017 से प्रभावी हो चुके हैं और वेबसाइट www.mca.gov.in और www.ibbi.gov.in पर उपलब्ध हैं।