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शिंदे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें मुलायम-रिहाई मंच

इंडियन मुजाहिदीन को लेकर हिंदू वोटों की फिराक में है कांग्रेस

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 26 February 2013 12:39:15 AM

लखनऊ। रिहाई मंच ने हैदराबाद धमाकों में पूछताछ के नाम पर मुस्लिम युवकों की गिरफतारियों और उपीड़न को यूपीए सरकार की मुस्लिम विरोधी और सांप्रदायिक हिंदू वोटों के लिये राजनीतिक कवायद करार दिया है। रिहाई मंच ने केंद्रीय गृहमंत्री सुशीन कुमार शिंदे को नया हिंदू हृदय सम्राट घोषित करते हुए कहा कि शिंदे के यह कहने से कि हैदराबाद में विस्फोट अफजल गुरू और कसाब की फांसी की प्रतिक्रिया थी, संदेह पैदा होता है कि इस घटना के पीछे स्वयं सरकार का हाथ तो नहीं है, जो धमाकों से अफजल की फांसी पर उठे सवालों को दबाना और खुद को भाजपा से ज्यादा हिंदुत्ववादी साबित करना चाहती है। रिहाई मंच ने केंद्र में यूपीए सरकार को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से भी शिंदे के भगवा आतंकवाद संबंधी बयान से पीछे हटने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
हैदराबाद धमाकों के बाद मुस्लिम युवकों के उत्पीड़न पर रिहाई मंच के लखनऊ कार्यालय पर आयोजित बैठक के बाद प्रेस को जारी ई-मेल में मंच के महासचिव और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआर दारापुरी ने कहा है कि हैदराबाद धमाकों के ठीक पहले जिस तरह शिंदे हिंदुत्ववादी संगठनों की आतंकवाद में संलिप्तता के अपने बयान से पीछे हटे और भाजपा नेताओं के साथ बैठक की, उससे संदेह होता है कि ये धमाके भाजपा और संघ परिवार को खुश करने के लिये गृह मंत्री और उनके मंत्रालय के अधीन खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने कराए और मुस्लिम समुदाय से जोड़कर इंडियन मुजाहिदीन आदि का नाम लिया जाने लगा ताकि हिंदुत्ववादी संगठन शक के दायरे से बाहर हो जाएं। आतंकवाद के आरोपों में घिरे संघ परिवार को क्लीन चिट देने की यूपीए सरकार की इस रणनीति की तसदीक इससे भी हो जाती है कि घटना के ठीक बाद हिंदुत्ववादी संगठनों ने हैदराबाद बंद का आह्वान किया तो दूसरी तरफ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी को पाकिस्तान से आतंकी संगठनों के धमकी भरे कथित फोन भी आने लगे, ताकि भाजपा और संघ की भूमिका पर शक न किया जाए।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब एडवोकेट ने कहा कि इससे साफ हो जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन गृह मंत्रालय का ही कागजी संगठन है, जिसका नाम उछाल कर सरकार बार-बार अपने राजनीतिक संकट हल करती है। उन्होंने शक जाहिर किया कि जिस तरह भटकल और आजमगढ़ के कुछ युवकों का नाम उछाला जा रहा है, उससे लगता है कि वे खुफिया एजेंसियों के पास ही हैं, जिनको किसी फर्जी मुठभेड़ में मार कर हैदराबाद विस्फोट की गुथ्थी सुलझा लेने का दावा किया जाए। रिहाई मंच ने हैदराबाद विस्फोटों की जांच को गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों पर भटकाने का आरोप लगाते हुये शिंदे से 7 सवाल पूछे हैं-
धमाकों के ठीक बाद दिल्ली स्पेशल सेल ने चार कथित आईएम सदस्यों की कथित इंट्रोगेशन रिपोर्ट मीडिया को क्यों और कैसे लीक कर दी, क्या ऐसा करके जांच को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश की गयी? हिंदुत्ववादी संगठनों को जांच के दायरे से क्यों बाहर रखा गया, जबकि हैदराबाद समेत देश के कई हिस्सों में आतंकी विस्फोटों में उसकी भूमिका उजागर हुई है? क्या ऐसा गृह मंत्री ने भाजपा और संघ परिवार के दबाव में किया है या गृह मंत्री स्वेच्छा से संघ परिवार के कथन-सभी मुसलमान आतंकी नहीं होते, लेकिन सभी आतंकी मुसलमान होते हैं, मानते हुए सिर्फ मुसलमानों को आरोपी बना रहे हैं? कथित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन को इस घटना में संलिप्त बताने का आधार विस्फोट का मोडस ऑपरेंडी-आईईडी, डेटोनेटर, जिलेटिन की छड़ो का इस्तेमाल बताया जा रहा है, जबकि जिन आतंकी विस्फोटों में हिंदुत्ववादी संगठनों की संलिप्तता उजागर हुई है, उनमें भी इन्हीं विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में जांच एजेंसियों के केवल मॉडस ऑपरेंडी के तर्क से सिर्फ कथित मुस्लिम संगठनों को ही जिम्मेदार ठहराने को जांच एजेंसियों की सांप्रदायिक जेहनियत की नजीर क्यों न माना जाए?
मक्का मस्जिद धमाकों में कोर्ट से बरी और राज्य सरकार से मुआवजा प्राप्त एवं आतंकवाद में संलिप्त न होने का प्रमाण पत्र पाए मुस्लिम युवकों को क्यों पूछताछ के नाम पर उठाया जा रहा है, क्या केंद्र सरकार इन मुस्लिम युवकों को निर्दोष बताने वाली अदालत के फैसले से सहमति नहीं रखती? अगर सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, तब जांच एजेंसियों ने एक दाढ़ी वाले व्यक्ति को साइकिल बम रखने का फुटेज प्राप्त होने का दावा किस आधार पर किया है? 21 नवंबर 2002 को हैदराबाद में हुये कथित आतंकी बम विस्फोट के नाम पर 22 नवंबर को उप्पल, हैदराबाद के मोहम्मद आजम को और 23 नवंबर को करीमनगर के अब्दुल अजीज नाम के युवक को उनके घरों से उठा कर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया, वहीं 12 अक्टूबर 2005 को हैदराबाद के एसटीएफ आफिस में हुये कथित हमले के आरोप में यजदानी नामक हैदराबादी युवक को 2006 में दिल्ली में कथित मुठभेड़ में मारा गया, सरकार इन मुठभेड़ों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी?

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