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Wednesday 13 December 2017 12:25:07 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुस्ती के बावजूद भारत में विकास की गति आकर्षक है और यह तीन वर्ष के दौरान दुनिया की सर्वोत्तम विकास दरों में से एक रही है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष में 2014-15 से लेकर वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर औसतन 7.5 प्रतिशत रही है, जो इससे इन दो वर्ष में दर्ज की गई विकास दर की तुलना में काफी अधिक है। वित्तमंत्री नई दिल्ली में प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ अपनी पांचवीं और छटी बजटपूर्व परामर्श बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चालू वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई विकास दर से पिछली कुछ तिमाहियों में नज़र आ रही सुस्ती के अब समाप्त हो जाने की पुष्टि होती है। वित्तमंत्री ने कहा कि हम राजकोषीय मजबूती के रोडमैप पर अमल कर रहे हैं, जिसके तहत जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में राजकोषीय घाटा वर्ष 2015-16 में 3.9 प्रतिशत एवं वर्ष 2016-17 में 3.5 प्रतिशत रहा, जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 3.2 प्रतिशत रहने की आशा है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि व्यय को तर्कसंगत बनाने, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना एवं सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के जरिए सार्वजनिक व्यय में खामियों को दूर करने और राजस्व बढ़ाने के लिए अपनाए गए अभिनव प्रयासों से ही राजकोषीय घाटे के इन लक्ष्यों की प्राप्ति में हम समर्थ हो पाए हैं। परामर्श बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, नीति आयोग के सदस्य एवं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय, वित्त सचिव डॉ हसमुख अधिया, व्यय सचिव एएन झा, आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रमण्यन, सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील कुमार चंद्र और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। बैठक में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों एवं आर्थिक विशेषज्ञों की ओर से अनेक महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए जैसे-आगामी बजट में सरकार को राजकोषीय मजबूती के मार्ग पर चलना जारी रखना चाहिए और यदि राजकोषीय लक्ष्यों की प्राप्ति में किसी भी वजह से कोई कमी रह जाती है तो उस बारे में स्पष्टीकरण दिया जा सकता है।
बजट परामर्श बैठक में अनेक आर्थिक सुझाव आए जैसेकि अगले बजट में कर सुधारों के रोडमैप की भी घोषणा की जानी चाहिए, वृहद आर्थिक स्थिरता से कोई भी समझौता किए बगैर बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ छोटे एवं मझोले उद्यमों एवं निर्माण क्षेत्रों के लिए और ज्यादा प्रोत्साहन दिए जाने चाहिएं ताकि वे आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बन सकें, महंगाई दर को 4-6 प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य सुलभ कराने पर भी ध्यान केंद्रित करने का सुझाव आया। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश पर और अधिक जोर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे राजकोषीय घाटे को पाटने और व्यय संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने में मदद मिलेगी। एक अन्य सुझाव यह भी आया कि वृद्धावस्था पेंशन को मौजूदा 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये और विधवा पेंशन को मौजूदा 300 रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 500 रुपये कर दिया जाए।
बजट परामर्श बैठक में इसी तरह एक सुझाव यह दिया गया कि समस्त रियायतों को समाप्त करते हुए कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटाकर 20 प्रतिशत तक के स्तर पर ला दिया जाए, ताकि कॉरपोरेट जगत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। इक्विटी लाने एवं राजस्व बढ़ाने के लिए दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर टैक्स लगाने, न्यूनतम वैकल्पिक कर में कमी करने और दरों में सामंजस्य लाने सहित जीएसटी के लिए रोडमैप की घोषणा करने, एसएमई सहित श्रम बहुल उद्योगों और अनौपचारिक तथा असंगठित क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने, कर प्रशासन को और ज्यादा करदाता के अनुकूल बनाने, फसल बीमा योजना पर नए सिरे से विचार करने तथा इसे और ज्यादा प्रभावकारी बनाने, फसल बीमा योजना के तहत न केवल फसलों के खराब होने बल्कि कीमतों के एकदम नीचे आ जाने की स्थिति को भी कवर करने के सुझाव आए। पेंशन एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के वित्त पोषण के लिए दीर्घकालिक ‘न्यू इंडिया बांड’ जारी करने, रक्षा क्षेत्र में निजी एवं सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दिए जाने, मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में वृद्धि करके इसे न्यूनतम मजदूरी के बराबर अथवा यहां तक कि इसे बाजार दरों के अनुरूप कर दिए जाने के सुझाव आए।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान सरकार ने पिछले तीन वर्ष के दौरान अनेक कदम उठाए हैं, जिनमें निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भिन्न उत्पाद शुल्क व्यवस्था का विस्तार करने के साथ शुल्क ढांचे को तर्कसंगत बनाना, शुल्क रियायत को वापस लेना इत्यादि शामिल हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का एक वैश्विक हब बनाने हेतु एक परितंत्र का सृजन करने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट 2017-18 में प्रोत्साहन योजनाओं जैसे कि एम-एसआईपीएस और ईडीएफ के लिए आवंटन को काफी तेजी से बढ़ाकर 745 करोड़ रुपये कर दिया गया है। बैठक में आईटी समूह के हितधारक वित्त राज्यमंत्री एसपी शुक्ला, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव अजय प्रकाश साहनी ने भी विचार रखे। बैठक में आईटी समूह के जिन हितधारकों ने भाग लिया, उनमें डेटामीट के सहसंस्थापक जीएन थेजेस, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के अध्यक्ष टीवी रामचंद्रन, टीईएमए के चेयरमैन एमेरिटस एनके गोयल, टेलीकॉम उपकरण एवं सेवा निर्यात के उपाध्यक्ष राजीव अग्रवाल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात के अध्यक्ष श्रीप्रसाद गारापति शामिल थे।