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Wednesday 13 December 2017 09:24:45 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने विधानसभा सत्र के सुचारु संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया है। विधानभवन में आहूत एक सर्वदलीय बैठक में उन्होंने कहा कि तार्किक तथ्यपरक एवं गुणवत्तापूर्ण संवाद से जनसमस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। मुख्यमंत्री तथा नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने सदन के सुचारू संचालन में सत्ता पक्ष के पूरे सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित करने से नहीं, बल्कि सदन में प्रभावी और तर्कसंगत चर्चा से समाधान निकलता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह सदन चलाने में सकारात्मक सहयोग करे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि सदन की बैठकें नियमित और अधिक से अधिक दिन तक हों। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर विषय पर चर्चा और तथ्यों के साथ जानकारी देने के लिए तैयार रहेगी और सदन को सुचारु ढंग से संचालित करने में सभी दल सहयोग करेंगे तो जनता में भी अच्छा संदेश जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से ही सदन को सुचारु रूप से चलाया जा सकता है। बैठक में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नेता तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन विकास मंत्री ओम प्रकाश राजभर, बहुजन समाज पार्टी के लालजी वर्मा, कांग्रेस पार्टी के अजय कुमार ‘लल्लू’ तथा अपना दल के नील रतन सिंह पटेल ‘नीलू’ ने भी अपने-अपने दलों की ओर से सदन चलाने में पूरा सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
विधानसभा सत्र काफी हंगामेदार होने के आसार हैं। संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए योगी सरकार इस सत्र में उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एक्ट यानी यूपीकोका ला रही है, जिसपर सपा बसपा और कांग्रेस सदन में पूरा हंगामा करेगी। उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव हुए हैं, इनको लेकर भी हंगामेदार चर्चा होगी। विधानसभा में मुठ्ठीभर प्रतिपक्ष का मुख्य हंगामा यूपीकोका पर होना तय है, जिसमें संगठित अपराध के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों में अपराधियों के मददगार व्यक्ति-व्यक्तियों और अधिकारी-अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शामिल की गई है। यूपीकोका बाहुबल से ठेके हथियाना और अवैध खनन, सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। विधानसभा सत्र में ऐसे ही मुद्दे विपक्ष का हथियार होंगे और जहांतक बुनियादी मुद्दों और रचनात्मक बहस का सवाल है तो अब इनसे बहुत दूर जा चुका है।