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Tuesday 19 December 2017 01:28:17 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक संत गाडगे प्रेक्षागृह में भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे विश्व में भारत की पहचान बढ़ रही है, भारतीय संस्कृति की विशेषता विश्व समझ रहा है, योग और कुम्भ मेले को अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर मान्यता मिलना इसके परिचायक हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की ताकत भारतीय संगीत की है, भारतीय संगीत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने की जिम्मेदारी नवोदित कलाकारों और विद्यार्थियों पर है। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत को विश्व पटल पर मान्यता दिलाने के लिए और अधिक अध्ययन, शोध एवं रियाज की जरूरत है। राज्यपाल ने इस अवसर पर 5 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की तथा एमपीए, बीपीए के छात्रों को संगीत की विभिन्न विधाओं के लिए पदक, प्रशस्ति पत्र एवं नकद पुरस्कार वितरित किए।
राज्यपाल राम नाईक ने भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के समर्थन में कहा कि संस्थान से सम का शब्द हटे और केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लक्ष्य को आगे लेकर चलना है। उन्होंने कहा कि भातखंडे देश का एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय है, जहां स्थानीय विद्यार्थियों के साथ-साथ विदेश से भी छात्र-छात्राएं संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान के संस्थापक एवं इससे जुड़े संगीतज्ञों ने जिस तरह कला को अपने जीवन में आत्मसात किया है, उसे स्मरण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यश प्राप्ति में शिक्षक और विद्यार्थियों के प्रयास से भातखंडे भारत के प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसा स्थान बन सकता है। राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि जीवनपर्यंत शपथ के शब्दों के अनुसार कार्य करें तथा अपने माता-पिता व गुरूजन को सदैव याद रखें, जिन्होंने इस स्तर तक उन्हें पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राम नाईक ने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों और अन्य विश्वविद्यालय के छात्रों में अंतर है, संगीत ऐसा क्षेत्र है, जहां निरंतर अभ्यास और प्रस्तुति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिणाम के आंकड़े महिला सशक्तिकरण का शुभ संदेश देते हैं।
राम नाईक ने प्रसन्नता व्यक्त की कि 88 उपाधियों में से 54 उपाधियां छात्राओं को दी गईं, जबकि 34 उपाधि छात्रों को दी गईं तथा पदक पाने वालों में 56 प्रतिशत छात्राएं और 44 प्रतिशत छात्र शामिल थे। उन्होंने कहा कि देश में हम परिवर्तन के साक्षी हैं कि पहले महिलाएं केवल शिक्षण या नर्सिंग क्षेत्र में कार्य करती थीं, लेकिन बदलते परिवेश में महिलाएं उच्च पदों को सुशोभित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बेटियों को सहयोगपूर्ण वातावरण मिलता है तो वे निश्चित रूपसे प्रगति करती हैं। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ वीएस चौहान ने कहा कि संगीत एक साधना एवं उपासना है और एक परिपक्व संगीतज्ञ बनने के लिए अनवरत रियाज आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा संगीतज्ञ अपने संगीत के माध्यम से श्रोता को भाव-विभोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि संगीत में हमारी प्राचीन परंपरा रही है, हमें देखना होगा कि डिजिटल तकनीक के युग में नई पीढ़ी इसे और अधिक ऊंचाईयों पर ले जाए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति श्रुति सडोलीकर काटकर, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं, अभिभावक और विशिष्टजन उपस्थित थे।