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Wednesday 3 January 2018 12:43:53 AM
गुरुग्राम (हरियाणा)। भारत में कौशल विकास विश्वविद्यालयों के लिए समुचित दिशा-निर्देश तैयार करवाने के लिए गठित यूजीसी की समिति में भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालयों और उनकी संस्था एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्किल्स यूनिवर्सिटीज़ यानी एआईएसयू का प्रतिनिधित्व नहीं होने से एआईएसयू ने समिति की सिफारिशों पर आशंका व्यक्त करते हुए हरियाणा विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी में संक्षिप्त नोटिस पर एक बैठक का आयोजन किया। यूजीसी की समिति इसी जनवरी 2018 में यूजीसी को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने वाली है। बैठक का संयोजन भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और एआईएसयू के अध्यक्ष ब्रिगेडियर सुरजीत पाब्ला ने किया, जिसमें एचवीएसयू के कुलपति प्रोफेसर राज नेहरू भी शामिल हुए। ब्रिगेडियर सुरजीत पाब्ला ने बैठक में बताया कि यूजीसी ने कौशल विश्वविद्यालयों के लिए दिशा-निर्देश बनाने के लिए जो समिति गठित की है, उसमें ऐसे मानदंड तैयार किए जाने की संभावना है, जिसमें कौशल विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा, ऐसे में हो सकता है कि यह सिफारिशें कौशल विकास विश्वविद्यालयों के लिए उपयुक्त साबित न हों।
एआईएसयू ने अपने प्रतिनिधियों को यूजीसी कमेटी और अन्य सरकारी समितियों में शामिल करने की रणनीति तैयार करने हेतु यह बैठक बुलाई थी, ताकि नियमों की उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकारियों का मार्गदर्शन किया जा सके और प्रभावी मानदंड तैयार हों, ऐसे नियम तैयार हों, जिनसे कौशल विश्वविद्यालयों के हित सुरक्षित रहें और वह अकुशल को कौशल संपन्न करने के अपने अभियान को और मजबूती के साथ आगे बढ़ा सकें। एचवीएसयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर राज नेहरू ने कहा कि यदि यूजीसी अपनी समिति की सिफारिशों के आधार पर दिशा-निर्देश जारी करता है तो इन परिवर्तनों को बदलना काफी मुश्किल होगा, इस प्रकार इन दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले ये सिफारिशें विश्वविद्यालयों को भेजी जानी चाहिएं, जिनके लिए एआईएसयू को तत्काल काम करना है। उन्होंने कहा कि हमें कौशल विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी और एमएसडीई के उचित मानदंडों की आवश्यकता है, कौशल विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लाभार्थियों को वास्तव में जमीनीस्तर पर लाभ मिले।
प्रोफेसर राज नेहरू ने कहा कि हमें एक ऐसा तंत्र भी विकसित करने की जरूरत है, जहां एक छात्र जो पहले से विभिन्न प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या विभिन्न कौशल संस्थानों में डिग्री पाठ्यक्रम पूरे कर चुका है, उसका तमाम डेटा एक केंद्रीय भंडार प्रणाली पर उपलब्ध होते हुए सभी कौशल विश्वविद्यालयों में आसानी से उपलब्ध होना चाहिए, ऐसे में हम छात्र और उद्योग के लाभ के लिए पर्याप्त रूपसे स्किल की पहचान और उपयोग करने में सक्षम होंगे। प्रोफेसर राज नेहरू ने बताया कि एआईएसयू के सदस्य 11 जनवरी को पुणे में कौशल विकास प्राधिकारियों से मुलाकात करेंगे, इससे पहले कि वह अपनी सिफारिशें यूजीसी में भेजें। डिग्री के नामांकन के लिए वर्तमान में कौशल डिग्री में केवल बैचलर ऑफ वोकेशन और मास्टर ऑफ वोकेशन को यूजीसी की डिग्री में शामिल किया गया है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रदान की जा सकती है। उन्होंने बताया कि चूंकि शब्द 'वोकेशनल' का व्यावसायिक अर्थ नहीं निकलता और यह छात्रों को कौशल पाठ्यक्रम में भर्ती करने के लिए प्रेरित नहीं करता, ऐसे में इस बात को लेकर विमर्श हुआ कि क्या इन डिग्रियों को बी स्किल और एम स्किल लिखना ज्यादा सही नहीं रहेगा, जिनके साथ कोष्ठक में संबंधित स्किल लिखी गई हो, ये सुझाव आरआईएलडीएसयू जयपुर के वाइस चांसलर प्रोफेसर ललित के पंवार की तरफ से आए थे।
प्रोफेसर राज नेहरू ने बताया कि सदस्यों की ओर से इस संबंध में कुछ और सुझावों के बारे में चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि बी स्किल और एम स्किल के नामों को यूजीसी की डिग्री की सूची में शामिल करने के लिए यूजीसी से सिफारिश करनी चाहिए और जब तक यूजीसी अपनी सूची में इन नामों को शामिल नहीं करती, तब तक वर्तमान नामांकन बी वोक और एम वोक का उपयोग किया जाएगा। एआईएसयू की बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिया कि कौशल विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार सीमा को खत्म किया जाना चाहिए, कौशल विद्यालयों को अन्य क्षेत्रों में कैंपस शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि लाइव वर्चुअल कक्षाओं के साथ-साथ वास्तविक प्रशिक्षण दिया जा सके और नौकरी पाने में आसानी हो सके। एआईएसयू जल्द ही वर्चुअल क्लासेज की सिफारिश के लिए एक समिति का गठन करेगा, जो यूजीसी को प्रस्तुत की जाएगी। एआईएसयू के सदस्यों ने सुझाव दिया कि कौशल विश्वविद्यालयों को कक्षा 9 के बाद के छात्रों के नामांकन के लिए लचीला होना चाहिए और यूजीसी की प्रवेश मान्यता के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10 और 12 में शैक्षिक मानदंड होना चाहिए। कौशल विश्वविद्यालय, ओपन स्कूलिंग और आरपीएल यानी एमएसडीई द्वारा प्रारंभ किए जाने वाला पूर्व शिक्षण के छात्रों को भी स्वीकार करें। कौशल विश्वविद्यालय कई क्षेत्रों, व्यापारों और नौकरियों के लिहाज से काम करते हैं, ऐसे में अन्य विश्वविद्यालयों के विपरीत एक कौशल यूनिवर्सिटी के ढांचे के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिएं।
एआईएसयू ने भी कौशल विश्वविद्यालयों के लिए नियम तैयार किए हैं। ब्रिगेडियर सुरजीत पाब्ला ने इन नियमों को सदस्यों के समक्ष पेश किया और 11 जनवरी को पुणे में होने वाली बैठक के बाद इन नियमों को यूजीसी और एमएसडीई को भेजने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एआईएसयू कौशल विश्वविद्यालयों और पारंपरिक विश्वविद्यालयों से सदस्यता लेने के लिए खुला होगा, जो कौशल कार्यक्रमों की पेशकश कर रहे हैं। ब्रिगेडियर सुरजीत पाब्ला ने बताया कि बीएसडीयू जयपुर सभी कौशल क्षेत्रों में कौशल प्रमाणपत्र, कौशल डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, बी वोक और एम वोक के स्किल प्रोग्राम पेश करेगा। यह सामान्य विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तावित नियमित कार्यक्रमों की पेशकश नहीं करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक कौशल विश्वविद्यालय को पारंपरिक विश्वविद्यालयों की तरह बहुआयामी होना चाहिए, इसे स्नातकोत्तर और डॉक्टर कार्यक्रमों की पेशकश भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे संकाय में मोटर वाहन कौशल, विद्युत कौशल, सूचना विज्ञान, फोटोनिक्स और रोबोटिक्स, लकड़ी और आंतरिक फिटिंग, कार्यालय प्रशासन, पॉलीमेकेनिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल जैसे कार्यक्रम जारी हैं और भविष्य में और अधिक संकायों में नए कार्यक्रम जोड़े जाएंगे।
ब्रिगेडियर सुरजीत पाब्ला ने बताया कि हमने 25 विभिन्न उद्योगों के साथ करार किया है, जहां हमारे छात्रों का व्यावहारिक संपर्क होगा और उनके कौशल को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य उद्योग एकीकरण मॉडल प्रदान करना है, जहां छात्रों को कमाने और सीखने के मौके मिलें। उन्होंने कहा कि कौशल शिक्षा अनिवार्य रूप से उद्योग से संबंधित है, कौशल प्रमाण पत्र के पूरा होने पर एक छात्र को किसी उद्योग में काम करने के लिए तैयार होना चाहिए। बैठक में सेवानिवृत्त कर्नल आरके गोसैन प्रोवोस्ट बीएसडीयू, डॉ सुनील गुप्ता रजिस्ट्रार एचवीएसयू, डॉ अनुराग प्रो-वीसी सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, जयंत जोशी अध्यक्ष राजेंद्र उर्सुला जोशी चौरिटेबल ट्रस्ट, विक्रांत पांडे प्रोवोस्ट (वीसी) टीमलीज स्किल्स यूनिवर्सिटी, डॉ अशोक श्रीवास्तव डीन एचवीएसयू, डॉ राज सिंह संयुक्त निदेशक एचवीएसयू, एमएस चंचल भारद्वाज सीओई एचवीएसयू, एमएस सिमी सामसुंदरम उप निदेशक एचवीएसयू, डॉ दलीप रैना असिस्टेंट प्रोफेसर (प्रबंधन) एचवीएसयू और एचवीएसयू के उप निदेशक संजय भारद्वाज प्रमुख रूपसे उपस्थित थे।